पैनल डिस्कशन में राजस्थान में शिक्षा क्षेत्रा में हुए कार्यों की सराहना

सीएसआर यानी ‘कंट्रीब्यूट फाॅर स्कूल रिफाॅर्म’, कंट्रीब्यूट फाॅर स्कूल रिनोवेशन
‘ज्ञान संकल्प पोर्टल’ और ‘मुख्यमंत्राी विद्यादान कोष पोर्टल’ में करें सहयोग विद्यालयों कें विकास में सहभागी बन शैक्षिक उजास के संवाहक बनें -शिक्षा राज्य मंत्राी
अजमेर, 26 जुलाई। शिक्षा राज्य मंत्राी श्री वासुदेव देवनानी ने सीएसआर को सामाजिक दायित्व का पर्याय बताते हुए काॅरपारेट, भामाशाहों और दानदाताओं का आह्वान किया है कि वे ‘ज्ञान संकल्प पोर्टल’ और ‘मुख्यमंत्राी विद्यादान कोष पोर्टल’ के जरिए राजस्थान के विद्यालयों के विकास में सहभागी बन शैक्षिक उजास के संवाहक बनें। उन्होंने कहा कि सीएसआर, काॅरपोरेट सोशल रेस्पाॅंस्बिलिटी है परन्तु इसे ‘कंट्रीब्यूट फाॅर स्कूल रिफाॅर्म’, कंट्रीब्यूट फाॅर स्कूल रिनोवेशन’ के रूप में समझते हुए शिक्षित-विकसित राजस्थान के सभी सहभागी बनें। उन्होंने काॅरपोरेट जगत से अपील की कि वे विद्या के लिए अपने लाभ के कुछ अंश को समर्पित करें। उद्यमिता को इसी से टिकाऊ बनाया जा सकता है।
श्री देवनानी आज जयपुर में एसएमएस कन्वेंशन सेंटर में आयोजित ‘सीएसआर काॅन्क्लेव’ में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अच्छी शिक्षा से श्रेष्ठ नागरिकों का निर्माण होता है और राजस्थान में राज्य सरकार इसी दिशा में कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि राजस्थान में इस समय 64 हजार विद्यालयों में 82 लाख के करीब विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। सरकार शिक्षा पर 209 अरब से अधिक का व्यय कर रही है। जरूरत इस बात की है कि शैक्षिक विकास में अधिकाधिक सामाजिक सहभागिता हो।
शिक्षा राज्य मंत्राी ने कहा कि राजस्थान दान की संस्कृति वाला प्रदेश है। हमारे यहां कहा गया है कि जो दूसरे का कमाया खाए, वह विकृति है। जो अपना कमाया खाए वह प्रवृति है और जो अपने कमाए से दूसरों को खिलाए, वही संस्कृति है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जब तीन साल पहले सरकार बनी थी तब शिक्षा विभाग में 52 प्रतिशत पद खाली थे, आज मात्रा 34 प्रतिशत पद ही रिक्त है। आगामी कुछ समय में और भर्तियां हो रही है इसलिए अगले सत्रा तक रिक्त पदों की संख्या 11 प्रतिशत तह ही रह जाएगी। उन्होंने काॅरपोरेट जगत का आह्वान किया कि वे आगामी एक वर्ष के लिए सीएसआर का सरा योगदान शिक्षा में ही करें। उन्होंने विश्वास दिलाया कि सीएसआर के एक-एक पैसे का समुचित सदुपयोग होगा और काॅरपारेट को अपने योगदान की सुखद अनुभूति होगी।
इससे पहले शिक्षा सचिव श्री नरेशपाल गंगवार ने बताया कि प्रदेश में शिक्षा के सुदृढ़ीकरण के लिए तीन स्तरों पर प्रयास हो रहा है। राज्य के 134 ब्लाॅक्स में स्वामी विवेकानंद राजकीय माॅडल स्कूल के तहत अंग्रेजी माध्यम से बेहतरीन शिक्षा की पहल की गई है। प्रत्येक पंचायत समिति में एक-एक आदर्श विद्यालय कक्षा एक से 12 वीं तक तथा हरेक पंचायत समिति में एक-एक उत्कृष्ट विद्यालय कक्षा एक से 8 तक का खोला गया है। उन्होंने बताया कि विभाग में 60 हजार पदों पर नियुक्ति की ऐतिहासिक पहल हुई है। एक लाख शिक्षकांे को पदोन्नति का लाभ दिया गया है। उन्होंने सीएसआर के तहत राजस्थान में अधिकाधिक योगदान का आह्वान करते हुए कहा कि राजस्थान शिक्षा क्षेत्रा में देश क माॅडल स्टेट बने, इसमें सभी सहभागी बनें।
पैनल डिस्कशन में राजस्थान में शिक्षा क्षेत्रा में हुए कार्यों की सराहना
सीएसआर काॅन्क्लेव में राज्य में शिक्षा क्षेत्रा में हुए नवाचारों और प्रयासों के लिए अपनायी गयी नीतियों के साथ ही देश में राजस्थान के शिक्षा माॅडल की चर्चा के संबंध में ‘पैनल डिस्कशन’ भी आयोजित हुआ। शिक्षा राज्य मंत्राी श्री वासुदेव देवनानी से जब पूछा गया कि राज्य में शिक्षा क्षेत्रा में इतनी सफलताएं कैसे संभव हुई तो उन्होंने बताया कि यह मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुन्धरा राजे की सोच, टीम एजूकेशन के प्रयासों और राजनीतिक ईच्छा शक्ति से संभव हो पाया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि शिक्षकों की काउन्सिलिंग से पारदर्शिता से पदस्थापन और पदोन्नति का निर्णय आसान नहीं था परन्तु राजनीतिक इच्छा शक्ति से इसे संभव किया गया। उन्होंने विद्यालय एकीकरण, पुस्तकों के साथ स्मार्ट क्लासेज की शुरूआत, कक्षा 3, 5 और 8 की परीक्षाओं की पहल जैसे निर्णयों में राजस्थान को शिक्षा क्षेत्रा में अग्रणी किए जाने के साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए किए प्रयासों और चुनौतियों के बारे में भी विस्तार से बताया।
श्री देवनानी ने कहा कि राजकीय विद्यालयों में एनरोलमेंट में 17 लाख से अधिक की वृद्धि, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परीक्षा परिणामों में 16.5 प्रतिशत की वृद्धि और वृहद स्तर पर शिक्षकों की पदोन्नतियों इसीलिए संभव हो सकी कि राजस्थान में शिक्षा विभाग को एक परिवार मानते हुए कार्य किया गया है। उन्होंने ‘ज्ञान संकल्प पोर्टल’ के जरिए शिक्षा क्षेत्रा में विद्यालयों के सुदृढ़ीकरण मेें सभी को सहभागी बनने का आह्वान किया।
डिस्कशन में मुख्यमंत्राी सलाहकार उप समिति की सदस्य एवं शिक्षाविद् श्रीमती उर्वशी साहनी ने कहा कि राजस्थान में विद्यालयों का सकारात्मक रूपान्तरण हुआ है। उन्हेांने कहा कि टिकाऊ परिवर्तन के अंतर्गत शिक्षा क्षेत्रा में बेहतरीन कार्य शायद इसीलिए किए जा सके हैं कि शिक्षा क्षेत्रा में सभी ने जवाबदेही रखते हुए कार्य किया है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह भी कहा कि राजस्थान ने यह साबित किया है कि शिक्षा ही राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने राजस्थान में शैक्षिक संप्रेषण की बेहतरीन व्यवस्था की भी तारीफ की तथा शाला दर्शन और शाला दर्पण पोर्टल की भी सराहना की।
मुख्यमंत्राी सलाहकार उप समूह की ही सदस्य एवं शिक्षाविद् श्रीमती गौरी ईश्वरन ने कहा कि पूरे देश में कहीं भी प्रधानाध्यापकों के प्रशिक्षण की व्यवस्था नहीं है परन्तु राजस्थान में इस संबंध में कार्य किया गया है, वह मार्केबल है। उन्होंने राजस्थान की पाठ्यपुस्तकों में विद्यार्थियों के मानवीय सरोकारेां को ध्यान में रखते हुए चेप्टर जोड़े जाने, डिजिटलाईजेशन के कार्य आदि की भी सराहना की।
यूनिसेफ की शिक्षा विशेषज्ञ श्रीमती सुलोचना ने राजस्थान में शिक्षा क्षेत्रा में खुलापन रखते हुए शैक्षिक उन्नयन के लिए किए प्रयासों की चर्चा करते हुए कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण है कि राजस्थान में शिक्षा विभाग सर्व शिक्षा, रमसा, प्रारंभिक एवं माध्यमिक निदेशालय स्तर पर कार्य करने के बावजूद सभी प्रदेश को उत्कृष्ट शैक्षिक राज्य बनाने के एक लक्ष्य के प्रति समर्पित होकर कार्य कर रहे हैं।
शिक्षा सचिव श्री नरेशपाल गंगवार ने गुणवतापूर्ण शिक्षा के लिए हो रहे प्रयासोें तथा इस संबंधमें चरणबद्ध किए गए कार्यों के बारे में जानकारी दी। उच्च शिक्षा विभाग के आयुक्त श्री आशुतोष ने स्कूलों के विकास के लिए समाज की सहभागिता के आदर्श माॅडल पर कार्य किए जाने और इस संबंध में नवाचार, नवीन विचारों के बारेें में बताया।
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा अभियान की आयुक्त श्रीमती आनन्दी ने कहा कि राजस्थान में ‘ज्ञान संकल्प पोर्टल’ और ‘विद्या दान कोष’ अभिनव पहल है। इसके जरिए काॅरपोरेट आॅनलाईन विद्यालयों को सहयोग कर सकता है। उन्होंने बताया कि शिक्षा के लिए दी जाने वाली राशि 80 जी के तहत आयकर मुक्त होगी। उन्हानें इसमें अधिकाधिक सहभागिता पर जोर दिया। इससे पहले माध्यमिक शिक्षा अभियान की उपायुक्त श्रीमती तुलिका सैनी ने ‘ज्ञान संकल्प पोर्टल’ के बारे में विस्तार से प्रस्तुतिकरण दिया। पूर्व कलेक्टर श्री मुक्तानंद अग्रवाल ने सीएसआर के तहत विद्यालयों में आए बदलाव की सफलता की कहानी सबसे साझा की।

तैयारियों के संबंध में हुई विशेष बैठक
देश की शैक्षिक राजधानी के रूप में स्थापित होगा राजस्थान
देश का पहला ‘फेस्टिवल आॅफ एजूकेशन’ 5 एवं 6 अगस्त को
अजमेर, 25 जुलाई। राज्य मंे आगामी 5 एवं 6 अगस्त को देश का पहला ‘फेस्टिवल आॅफ एजूकेशन’ आयोजित किया जाएगा। शिक्षा राज्य मंत्राी श्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि लिटरेचर फेस्टिवल और विश्व संगीत उत्सव के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है जब राज्य में शिक्षा विभाग द्वारा जेम्स एजूकेशन के सहयोग से पूरी तरह से शिक्षा पर केन्द्रित एजूकेशन फेस्टिवल आयोजित किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस फेस्टिवल में वैश्विक स्तर पर शिक्षा क्षेत्रा में हो रहे सकारात्मक बदलाव, नवीनतम शिक्षा तकनीक, शिक्षा और समाज विषयक विशेष चर्चाएं और संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि फेस्टिवल में ही 5 अगस्त को मुख्यमंत्राी श्रीमती वसुन्धरा राजे द्वारा ‘ज्ञान संकल्प पोर्टल’ का भी उद्घाटन किया जाएगा। सीएसआर के तहत औद्योगिक घरानों, भामाशाहों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा प्रदेश के विद्यालयों के विकास में सहयोग प्रदान करने के लिए ‘ज्ञान संकल्प पोर्टल’ एक तरह से आॅनलाईन मंच होगा। उन्होंने कहा कि ‘फेस्टिवल आॅफ एजूकेशन’ से राजस्थान में शिक्षा क्षेत्रा में हो रहे कार्यों, विशेष उपलब्धियाॅं को वैश्विक मंच मिलेगा।

संभाग स्तरीय फीस निर्धारण समिति की बैठक 27 को
अजमेर, 26 जुलाई। संभाग स्तरीय फीस निर्धारण समिति की बैठक 27 जुलाई को शाम 4 बजे संभागीय आयुक्त श्री हनुमान सहाय मीना की अध्यक्षता में उनके कार्यालय में आयोजित की जाएगी।

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