राजनीतिक पतन की पराकाष्ठा हो चुकी है

प्रकाशचंद बिश्नोई
प्रकाशचंद बिश्नोई

दोस्तों राजनीती कि पराकाष्ठा देखे। यदि देश कि खातिर कोई शहीद होता है
तो उसके परिवार को पुरुस्कार के रूप में सरकारी सहायता दी जाती जिससे
उसका परिवार शहीद कि अनुपस्थिति में दुखी न हो और जिसे भी पुरुस्कार दिया
जाता है वो अच्छे काम के लिए दिया जाता है लेकिन राजनीती में इस बार उन
लोगो के परिवारो को टिकट दिया गया है जिन्होंने घिनोनी वारदात कि
है..जैसे बाबूलाल नागर के भाई को टिकट महिपाल मदेरणा कि पत्नी को टिकट और
मलखान विश्नोई  कि माँ को टिकट … दोस्तों ये है राजनीती कि पराकाष्ठा
अब आप सोचे ऐसे राजनितिक दल देश को क्या देंगे… आज देश की दिशाहीन तथा
भ्रष्ट राजनीति के कारण ही ये सारी विसंगतियां पैदा हो रही है। आलेख में
… जिन्होंने कभी गरीबी देखी ही नहीं भला ऐसे लोगों से गरीबी रेखा
खिंचवाना गरीबों के साथ एक भद्दा मजाक है सोचो समझो विचार
करो…अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबसे ज्यादा दुरूपयोग में आने वाला शब्द
है. हमको समझाया जाता है कि भारत एक लोकतंत्र है. हमारा लोकतांत्रिक
संविधान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है. लेकिन क्या संविधान
प्रदत्त यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देश के टुकडे टुकडे करने की आज़ादी
भी देती है. ये है राजनीती।

Prakashchand Bishnoi – Dhorimanna Dist -Barmer
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