तुमने इन्सानों को खाली पेट दिया
अच्छा किया !
पर एक सवाल है ऐ क़िस्मत!
खाली पेट वालों को
तूने आँसू क्यों दिये?
उन तक पहुँचने वाले हाथ क्यों दिये?
साभार: हिन्दी की प्रतिनिधि श्रेष्ठ कवितायें
लेखक :अभिमन्यु अनंत, संपादक: बच्चन
सिन्धी अनुवाद:
तो मांणहुन खे खाली पेटु डिनो
सुठो कयुइ !
पर हिकु सवालु आहे ऐ क़िस्मत !
खाली पेट वारन खे
तो गोढ़ा छो डिना ?
उन्हन ताईं डिघेरण वारा हथ छो डिना?
-देवी नागरानी