मराठी कवि कुसुमाग्रज की रचनाओं का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद

कुसुमाग्रज
कुसुमाग्रज

कृपा
मेरे घर की दीवारें
रहीं माटी से लिपि पुती
चहुं ओर से
आज बरस रही हैं मुझ पर
संगमरमरी पत्थर बन
ख़ाविंद मेरे
यह है आपके बदौलत
पर निर्भय निष्ठुर कृपा
………. (पाथेय से…..)

सिवाय इसके
मैं अपना प्रांत नहीं देख पाता हूँ
सिवाय देश के
और देश का दर्शन संभव नहीं
पृथ्वी के बिना
पृथ्वी को नहीं देखा जा सकता
विश्व के बिना
और विश्व का दर्शन तो
संभव नहीं आत्मदर्शन बिना संभव नहीं
तस्मात शिवाय नमः ! (पाथेय)
हिन्दी अनुवाद: वैध्य केशव चिट्को
Add: बंगला न. 8, यमाई, अक्षर सोसाइटी, समर्थ नगर, नासिक 422005

देवी नागरानी
देवी नागरानी

सिन्धी अनुवाद: देवी नागरानी
कृपा
मुहिंजे घर जूं दीवारूँ
मिट्टीअ साँ
लेप्यल पोत्यल रहयूँ
चाइनी पासन खाँ अजु,
भतार मुहिंजा मुहिंजे मथा
वरसी रही आहे
सँगमर्मर जो पत्थर बणजी हीअ आहे
तव्हांजी सदके पर बे-डपी, कठोर कृपा. (पाथेय से….. )

हिन खाँ सवाइ
माँ पाहिंजों
प्रान्तु नथो डिसी सघाँ
सिवाइ देश जे
ब्ये देश जो दर्शनु मुमकिन नाहे…
पृथ्वीअ खाँ सवाइ
पृथ्वीअ खे
नथो डिसी सघिजे।
विश्व खाँ सवाइ ब्ये विश्व जो
दर्शन त मुमकिन नाहे।
अत्म दर्शन बिना मुमकिन नाहे
तस्मात शिवाय नमः (पाथेय)

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