अपने बुढापे को उपयोगी, आरामदायक और उद्देश्यपूर्ण बनायें

डॉ. जुगल किशोर गर्ग
डॉ. जुगल किशोर गर्ग

व्रद्धावस्था आदमी की शारीरिक अवस्था के बजाय उसकी मानसिकता पर ज्यादा निर्भर करती है | हमारी 80% से अधिक समस्याओं का समाधान अपने आप या स्वत: ही हो जाता है अगर हम यह स्वीकार कर लें की व्रद्धावस्था हमें भगवान् या प्रक्रति के द्वारा दिया हुआ इनाम या गिफ्ट है | याद रक्खे,मन /आत्मा कभी भी बुड्डी नहीं होती है, इसलिए यह विचार कभी भी मन में नहीं लाये की आप बुड्डे या वृद्ध हो गए हैं |
अपनी इच्छा शक्ती को कमजोर नहीं होने दे, मन में याद रखें कि आप सब कुछ कर सकते हैं
वृद्धावस्था को तकलीफ़देह नहीं किन्तु जीवन का स्वर्णकाल माने, क्योंकि इस समय तक आपने अपनी सभी जिम्मेवारियों का निर्वाहण पूरा कर लिया है, अब आप चिन्ता मुक्त होकर अपने जीवन को जियें,उसका आनंद लें, भारत भ्रमण एवं विश्व भ्रमण पर जायें |
एक सीमा के बाद कभी भी अपने पुत्र, पुत्री, पुत्रवधुओं, दामाद या पोत्र-पोत्री के कामों में रोक-टोक नहीं करें, अगर आप उन्हें निरन्तर प्यार, आशीर्वाद देगें तो वे भी आपके हर आदेश,सलाह को स्वीकार कर आपको सम्मान देंगें |
अपनी पुत्र-वधु को दिल से बेटी मानें, उसकी छोटी मोटी गलतियों पर ध्यान नहीँ दें , उसके काम की परिवार जन के सम्मुख प्रशंसा करें, उत्साहित करें, आशीर्वाद दें | पुत्र वधु के माता-पिता को आदर दें और उन्हें सुलक्ष्मी के समान पुत्र वधु देने हेतु धन्यवाद भी दें |
सबके के लिए अच्छा करें ,अच्छा पायें \ सेवा करें और सेवा पायें |
हमेशा नियत समय पर भोजन करें, संतुलित, स्वास्थ्यवर्धक,सुपाच्य भोजन करें वो भी सीमित मात्रा मैं | बीमारीयों को अपने से दूर रखें |
अपना काम खुद अपने आप करें, किसी पर निर्भर नहीं बने |
हर सुबह घूमने ( वाक ) जरुर जायें, रोजाना नियमित समय पर कसरत, योग-प्राणायाम,ध्यान (meditation) जरुर करें |
सुबह-शाम प्रभु का स्मरण/प्राथना करें |
दिन में कम से कम एक बार आत्म-चिन्तन जरुर करें, सज्जनों के साथ सत्संग करें |
जो हो रहा है, उसे होने दें, उसका आनंद लें |
जो बीत गया ,सो बीत गया , कभी भी भूत काल का चिन्तन / चिन्ता नहीँ करें |
अगर मुमकिन हो तो 15 दिनों में एक बार उपवास जरुर करें |
हँसें-हसांयें, laughter को अपनी दिनचर्या बनायें |
बच्चों के साथ बच्चा बन कर जियें, उनके साथ मौज-मस्ती करें |
रोज ताली बजाये |
अपनी वृद्धावस्था को स्मरणीय एवं प्रेममय बनाएं, सबको स्नेह दें, सबसे स्नेह प्राप्त करें |
कभी हिम्मत नहीँ खोएं,उत्साह रखें और मानसिक रूप से मजबूत बने |
अपने आत्मविश्वाश को मजबूत बनाएं, आत्मविश्वाश सफलता की कुंजी है |
हमेशा सकारत्मक सोच रखें |
हर परिस्थती में (अच्छी या बुरी ) हमेशा शांत एवं रिलैक्स रहें |
सबमें खुशीयों को बाटें, हर हालात मैं खुश रहें |
कभी भी दुखी न हों, अपना दुःख दूसरे पर नहीं डालें,उन्हें आपका दुःख बता कर दुखी नहीं करें |
अपने जान-पहचान वालों और अनजान लोगो की भी मदद करें,उनके हितों की रक्षा करें |
सामाजिक सम्बन्धों को मजबूती प्रदान करें |
गरीबों एवं जरूरतमंदों के लिए मददगार बनें |
हमेशा आशावादी रहें,निराशा को अपने से कोसों दूर रखें |
कभी भी किसी भी अवस्था में भय की छाया में नहीं जियें, भय को दूर भगाएं,भय को करें अपने जीवन से अलविदा |
गांधीजी की बात का अनुसरण करें “ अच्छा करें,अच्छा सोचे,अच्छा देखें और अच्छा सुने |
बुरा नहीं करें, बुरा नहीं देखें, बुरा नहीं सुने, बुरा नहीं सोचें |
अपने आप के प्रति निष्ठावान/ इमानदार/वफादार बने |
समय के अनुसार अपने अनुभवों को दूसरों के साथ शेयर/ साँझा करें |
याद रखे नदी भी खुदका पानी नहीं पीती है, पेड़ कभी भी अपने फलों का सेवन नहीं करते है, फूल कभी भी अपनी खुशबु का आनन्द नहीं उठाते हैं, सूर्य कभी भी अपनी रोशनी से खुद को रोशनी नहीं देता हैं उसी प्रकार जीवन का असली आनंद दूसरों को आनंदित रखने ओर आनंदित करने से मिलता हैं |
भूलो और माफ़ करो को अपने जीवन का आदर्श बनायें |
अपनी सोच/ विचार/ निर्णयों को दूसरों पर थोपने की कोशिश नहीं करें |
समय के साथ-साथ अपने आपको परिव्रतित करें,परिवर्तन ही जीवन है | परिवर्तन को सहज मन से स्वीकारें,उसका आनंद लें |

शिक्षा प्राप्ति के लिये कोई भी उम्र बाधक नहीं होती है, आधुनिक ज्ञान को सीखने की कोशिश करतें रहें, कम्प्यूटर का उपयोग करें, इंटरनेट पर जा कर नवीनतम ज्ञान/ जानकारी अर्जित करें |
अपने जीवन साथी, बच्चों, मित्रों, आसपास के लोगों को वो जैसे हैं उसी रूप में स्वीकार करें |
खुशी प्राप्त करना आप का जन्मसिद्ध अधिकार है, खुश रहें | उत्तम स्वास्थ्य भी आपका अधिकार है, स्वस्थ रहें |

डा. जे.के. गर्ग
सेवा निर्वत सयुत्त निदेशक, कॉलेज शिक्षा.
E mail—[email protected]

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