बुटाटी धाम : जहां होता है लकवे का इलाज

1भारत वर्ष में एक मंदिर ऐसा भी है जहा पर पैरालायसिस(लकवे ) का इलाज होता है ! यहाँ पर हर साल हजारो लोग पैरालायसिस(लकवे ) के रोग से मुक्त होकर जाते है यह धाम नागोर जिले के कुचेरा क़स्बे के पास है, अजमेर- नागोर रोड पर यह गावं है! लगभग 500 साल पहले एक संत होए थे चतुरदास जी वो सिद्ध योगी थे, वो अपनी तपस्या से लोगो को रोग मुक्त करते थे ! आज भी इनकी समाधी पर सात फेरी लगाने से लकवा जड़ से ख़त्म हो जाता है ! नागोर जिले के अलावा पूरे देश से लोग आते है और रोग मुक्त होकर जाते है हर साल वैसाख, भादवा और माघ महीने मे पूरे महीने मेला लगता है !
ये एक महान संत और सिद्ध पुरुष चतुरदास जी का मंदिर है.
(यह विचार साभार लिए हैं–गूगल से)
संत चतुरदास जी का इतिहास उस वक्त मुझे बुटाटी धाम के विषय में कोई जानकारी नहीं थी घर पर तेल मालिश करते रहे फिजियोथेरापी का लाभ लेते रहे। स्वास्थ्य में कोई खास बदलाव नहीं था। उस वक्त मेरे एक पड़ोसी मनोज तंवर ने मुझे बुटाटी धाम के विषय में जानकारी दी। बीकानेर रहवासी उनकी मौसीजी, जोकि लकवा से पीड़ित थी। उन्होंने बाबा की ७-७ फेरी लगायी और उन्हें बहुत ज्यादा फायदा हुआ। मुझे इन बातों पर विश्वास नहीं था परन्तु मेरी धर्मपत्नी ने जिद की आप मुझे एक बार बुटाटी धाम ले चलो आखिर अपने मन से मैंने स्वीकृति दी।
हम दीवाली के पश्चात् कार्तिक सुदी ११ को अहमदाबाद से रवाना होकर नागौर होते हुए कार्तिक सुदी १२ को बुटाटी पहुंचे धाम में काफी भीड़ थी। पता लगा कि कल मेला था। हमें वहां पर एक कमरा दे दिया गया। मेरे साथ में मेरी लड़की आरती थी। हम लोग ७ दिन तक बुटाटी में रहे एक दिन की एक फेरी मानी जाती है। इस तरह हमने ७ दिनों में ७ फेरी लगायी परन्तु इन सात दिनों में मैने अपनी धर्मपत्नी में अभूतपूर्व परिवर्तन देखा। जिससे चला नहीं जा रहा था। अब बिना सहारे ही चलने में समर्थ थी। कोई भी दवा नहीं की थी। केवल एक विश्वास बाबा का विश्वास, दो समय आरती प्रसाद आरती के समय आ रही ज्योति को दिखलाकर सरसों को तेल और इस तेल में मिलाने के लिए बाबा की भभुती। भभुति मिले हुए तेल से मरीज के हाथ, पावं एवं शरीर की मालिश। यही तो किया था। अद्भुत था चमत्कार। कमाल हो गया। सच पूछो तो मैं निहाल हो गया। सात दिन में ५० प्रतिशत से भी ज्यादा फायदा हमें नजर आया। जब वहां से रवाना होने लगे तो मेरी धर्मपत्नी ने बाबा से अरदास भी की कि यदि मैं बिल्कुल ठीक हो जाऊंगी। तो बाबा तेरी रात जगाउंगी एवं सवामणी का भोग चढ़ाउंगी। अद्भुत था बाबा का चमत्कार आज मेरी धर्मपत्नी ८० प्रतिशत ठीक है।
आज दिनांक ६-११-२००८ वार गुरुवारमें बुटाटी धाम पहुंचा हूं मेरे साथ मेरी धर्मपत्नी है जो बिना किसी सहारे के चलती है। खाना पकाती है। कपड़े धोती है। घर का सभी कार्य करने में आज सक्षम है। मैं तो कहता हूं कि यह सब बाबा की कृपा होगी। उनका ही चमत्कार है। दिनांक ७-११-२००८ को बाबा का जागरण किया।
८-११-२००८ को सवामणी का भोग लगाया। उस वक्त बाबा के दरबार में मन में यह विचार आया कि बाबा की करूणा पर एक पुस्तक लिखूं। जिसका वितरण पूरे भारत वर्ष में नहीं बल्कि पूरी धरा पर हो और जो लोग इस कष्टप्रद एवं असाध्य बीमारी से पीड़ित है और जिन्होंने लाखों रूपये अपने इलाज पर खर्चा किये है। फिर भी उन्हें कोई फायदा नहीं है, तो भी बाबा के चमत्कार एवं बुटाटी धाम के विषय में जाने यहां आये और इस असाध्य रोग से छुटकारा पायें।
इसी भावना से फलस्वयप मैं यहां पर आये हुए लकवा पीड़ित लोगों से मिला उनको क्या फायदा हुआ, इसका वर्णन में नीचे कर रहा हूं। साथ में उन मरीजों के नाम व फोन नम्बर भी लिख रहा हूं। यदि कोई पाठक चाहें, तो लिखे हुए फोन नम्बर पर फोन करके और विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सर्वप्रथम मैं चतुरदासजी मंदिर के भूतपूर्व अध्यक्ष श्री रतनसिंह सुपुत्र श्री आनंदसिंह राजपुत गांव बुटाटी धाम (फोन नं. ०१५८७-२४८०३६) के बारे में बताता हूं ये १४ जनवरी १९९७ के दिन प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष बने। इसके पहले प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष श्री अमरसिंह राजपुत थे।
मैं बात कर रहा हूं कि श्री रतनसिंह के विषय में कि उनके साथ क्या घटना घटित हुई और क्या रहा बाबा का चमत्कार उनसे मैं मिला और उनके द्वारा बतलायी हुई जानकारी मैं आपको दे रहा हूं।
श्री रतनसिंह जी सरकारी नौकरी में कार्यरत थे। निवृतिकाल में अभी एक साल की देरी थी। परंतु चमडी अथवा अन्य किसी बीमारी के कारण उनके हाथ एवं पांव से पानी झरने लगा, जिसके कारण वे स्वेच्छा से नौकरी से इस्तीफा देकर अपने गांव बुटाटी आ गये। बाबू के पद से निवृत हुए थे। आपको प्रबन्धन का ज्ञान था। गांव वालों के विशेष आग्रह के कारण आपने कुछ समय के लिए यह कार्य संभाल लिया।
अपनी कुशाग्र बुद्धि एवं कड़ी मेहनत के कारण तथा बाबा चतुरदासजी के आशीर्वाद फलस्वरूप आपने मंदिर की व्यवस्था को एक नया आयाम दिया। मई १९९८ में आपको अचानक सर्दी के उपरांत बुखार हो गया। बुटाटी के नजदीक जो की एक कस्बा है। आपको वहां ले जाया गया डॉक्टर को दिखलाया। डॉक्टर ने पांच पेनीसिलिन के इंजेक्शन लिखे। तीन दिन में तीन इंजेक्शन लग चुके थे। कोई दवा शरीर में रीऐक्ट नहीं हुई। चौथे दिन जो इंजेक्शन लगा वह रीऐक्ट कर गया। श्रीरतनसिंह मृत प्रायः हो गये। उनकी याददाश्त कभी आये कभी चली जाये। उनकी धर्मपत्नि उनकी हालत देखकर बहुत ज्यादा घबरा गयी। परिवार में सभी सदस्य एकत्रित हो गये। निर्णय लिया गया कि उनको जयपुर ले जाया जाए।

पंडित दयानन्द शास्त्री
पंडित दयानन्द शास्त्री

श्रीरतनसिंह जी ने उसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि मुझे यहीं रहने दो। मौत आए तो आ जाए उनकी जिद के आगे परिवार झुक गया। १८ घंटे की बेहोशी के बाद जब होश आया, आपने आंखे खोली ओर पास में कोई भी न था। आप उठकर बैठ गये अकेल ही आप नंगे पांव, बाबा चतुरदासजी के मंदिर पहुंच गये आप डायबिटिज के मरीज भी थे। आपने दरबार में जाकर बाबा से कहा कि गांव के लोग क्या कहेंगे कि कोई मंदिर में घपलेबाजी की होगी। जिसका यह परिणाम है। मेरे मुह पर कालीख पुत जायेगी। जिसका यह परिणाम है यदि मैं सच्चा हूं तो मेरीरक्षा कर। उन्होंने पूजारी कर से कहा कि मुझे बाबा का प्रसाद दों आपने तीन दफा प्रसाद के लिए हाथ बढ़ाया पुजारी ने तीनों दफा आपका हाथ (खोबा) प्रसाद से भर दिया। आपने यह प्रसाद जेब में रख लिया। प्रसाद खाते-खाते आप घर के लिए रवाना हो गये।
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री,(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)
राष्ट्रिय महासचिव-भगवान परशुराम राष्ट्रिय पंडित परिषद्
मोब. 09669290067 (मध्य प्रदेश) एवं 09024390067 (राजस्थान)

16 thoughts on “बुटाटी धाम : जहां होता है लकवे का इलाज”

  1. पिता का 4 साल पहले एक्सिदेन्त हो गया था जबसे उन्हे यदस्त नही हे और लकवाग्रस्त हे कृपया कोई इलाज बतये

  2. Pichhle 5 month se mere Papa ko lakva lga h kya vo butati dham m aane se tik ho skte h plz reply my cont.no 9213105141

  3. मेरे पापा को 3 फरवरी 2017 को लकवा हुआ है
    Plz मुझे कुछ दवा बताये । मेरे पापा को हाथ पैर में लकवा हुआ है please मुझे कुछ दवा बताये।
    मेरा न 09165108884 please please please मुझे call किजिये

  4. मेरे माता जी कैंसर से प‍िडीत है अप्रैल 17 से । कया इलाज संभव है आपके यहॉ । पटना बीहार से धाम पर आने का रास्‍ता बाताये कृपया

    • जी, यहां केवल लकवे का ही इलाज होता है

      • मेरी दादी जी को लकवा हो गया है, 6 महीना हो गया है हॉस्पिटल से इलाज करवाते हुए, फिर भी कोई ज्यादा फर्क नही पड़ा है।
        और दादी जी के सीर में खून का थक्का जम गया है (brains paralysis) हुआ है।
        एक तरफ पूरा शून्य है (let site).
        क्या बुटाटी धाम में मेरी दादी का इलाज हो पायेगा.???
        कृपया करके जवाब देवे।
        मेरा नं. 9669385856.

        • असल में लकवा होते ही बुटाटी जाना चाहिए, तभी अधिक लाभ होता है, मगर आप अब भी ले जा सकते हैं, कुछ तो लाभ होना ही चाहिए

  5. Sir mere pita ji ko 20 02 2017 ko lakva yani brain damage hua h ek side ka bol nahi rahe kha bi nahi rahe na chal pa rahe kya kia jaye sir ji 9034617125

  6. My wife is suffering from both knee pain, I treat her many hospitals and doctors advices to replace both knee but she/I feel fear for replace of knees. We want to visit Butati Dhamma for treatment. Please give me contact number and nearest railway station, so that we can reach.

    • हमारी जानकारी तो ये है कि बुटाटी में लकवे का ही इलाज होता है, वह अजमेर के पास नागौर जिले में हैं, यहां से प्राइवेट बसें रीजनल कालेज के पास से जाती है।

  7. Namaskar main ballia Up Ka rahne wala hoon mere pitajee ko 2 saal se lakwa hai ek pair kaam nahi karta kya butati dham mein theek ho jayega?

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