झुकें … किन्तु प्रेम, नम्रता एवं सौजन्य से

कंचन पाठक
कंचन पाठक

आज के आपा-धापी भरे गलाकाट प्रतियोगिता के युग में चाहे कोई भी क्षेत्र हो आप अपने संतुलित व्यव्हार एवं सौम्य आचरण की बदौलत हीं अपनी पहचान और पैठ बना सकते हैं । भीड़ से हटकर अपनी एक नई पहचान, अपना एक अलग मुकाम बनाने के लिए आपको अपने व्यक्तित्व को उस योग्य बनाना होगा । 1.252 अरब आबादी वाले हमारे देश में ऐसा नहीं है कि लोगों के अन्दर क्षमता नहीं है बल्कि ज्यादातर लोग योग्य हैं, पर अपनी क्षमता का उचित उपयोग नहीं कर पाते क्योंकि उनके अन्दर नकारात्मकता गहरे तक पैठ बनाए होती है । आपने अपने जीवन में बहुत से सफ़ल व्यक्तियों को देखा होगा अथवा किसी भी सफ़ल व्यक्तित्व के जीवन चरित्र को उठाकर पढ़ लें, एक बात उनसब में समान रूप से नज़र आएगी, कि इनके विचारों में सकारात्मक तथ्यों की मौजूदगी अवश्यम्भावी रूप से रही है । दया, साहस, जीवन के लिए एक अदम्य जिजीविषा और नम्रता का बाहुल्य रहा है । विचारों में अपरिमित शक्ति है । इस शक्ति का दुरुपयोग कतई नहीं होना चाहिए । इसके दुरुपयोग से होने वाले भयंकर दुष्परिणाम आप हीं को झेलने पड़ेंगे, जिससे पतन आपका हीं होगा । क्रोध, अहं, द्वेष हमारे व्यक्तित्व के सबसे बड़े दुश्मन हैं । क्रोधी, अहंकारी व्यक्ति का व्यक्तित्व नकारात्मकता से भरा होता है । इस नकारात्मक ऊर्जा की वजह से ये स्वयं तो विचलित रहते हीं हैं दूसरों के द्वारा भी उपहास के पात्र बनते हैं । वहीँ दूसरी ओर जिनके व्यक्तित्व में सौजन्य एवं नम्रता की मौजूदगी होती है वे निःसंदेह सकारात्मक दृष्टिकोण के धनी होते हैं । अपने इसी गुण की बदौलत वह स्वयं तो प्रसन्नचित्त रहते हीं हैं दूसरे लोग भी उन्हें बेहद पसंद करते हैं । घर, परिवार, कार्यशाला या समाज हर जगह ये आकर्षण का केंद्र होते हैं । लोग खुले दिल से इनकी सराहना करते हैं । विचारों से व्यक्तित्व बनते हैं, व्यक्तित्व से मनुष्य बनता है । विचारों में नकारात्मकता होगी तो वो सबसे ज्यादा नुक्सान आपका हीं करेगी । सकारात्मक एवं उदात्त विचार आपके व्यक्तित्व को दिव्य बनाते हैं । क्रोध, अहं, ईर्ष्या, द्वेष, घृणा ये सब नकारात्मक विचार हैं । यह अंततः आपको दुखित, पीड़ित और विभ्रमित करते हैं । ऐसे विचार असामंजस्य निराशा एवं रोगों के भी कारक हैं । यह व्यक्ति को क्लेश और दुःख के अंधकार की ओर ले जाता है और व्यक्ति तिनके के समान दिशाहीन इधर-उधर भटकते हुए निरुद्देश्यता को प्राप्त करता है । अतः विनाशकारी विचारों को त्यागकर अच्छे विचारों का सृजन कीजिये, आपके जीवन में तत्काल नई ख़ुशियों का शुभागमन हो जायेगा । (1) आत्मनिरीक्षण करें, आप अपने अन्दर किस तरह के विचारों को रखना चाहते हैं ।(2) सम्यक वाणी एवं सम्यक विचार, आपको ईश्वरीय दिव्यता से युक्त कर देंगे ।(3) दम्भ, घमंड अथवा अहंकार हमेशा पतन की ओर ले जाता है ।(4) विनय और विनम्रता आपके व्यक्तित्व को सुमधुर और आकर्षक बनाते हैं ।(5) क्रोध अविवेक से जन्म लेता है जो मनुष्य को उपेक्षा एवं लज्जा के अतिरिक्त कुछ नहीं देता ।(6) धैर्य एवं सहनशीलता मनुष्य की कमजोरी नहीं अपितु एक महान गुण है जो आपके व्यक्तित्व को शौर्य प्रदान करता है ।(7) नम्रता अहं के त्याग से हीं संभव है ।(8) मन सकारात्मक ऊर्जा से भरा रहे इसके लिए थोड़ी देर ध्यान कीजिये ।(9) मृदुभाषी बनें … यह एक श्रेष्ठ गुण है ।आपका भविष्य कभी भी अतीत की भांति नहीं हो सकता, ना हीं आप ये जान सकते हैं कि भविष्य में आप क्या रहेंगे … किन्तु ये निश्चित है कि क्रोध, दंभ, द्वेष और मिथ्या अहं से रहित सकारात्मक विचार एवं आचरण आपको लोगों के बीच हमेशा लोकप्रिय एवं सर्वश्रेष्ठ रखेगा । प्रेम, नम्रता एवं सौजन्य से झुकने वाला संसार को अपने आगे झुका लेता है।

– कंचन पाठक, नई दिल्ली
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