क्या आतंकी पचा पाएंगे पीडीपी-भाजपा की सरकार को

एस.पी.मित्तल
एस.पी.मित्तल

एक मार्च को जम्मू कश्मीर में मुफ्ती मोहम्मद सईद और निर्मल कुमार सिंह के नेतृत्व में पीडीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार बन गई। जम्मू कश्मीर के इतिहास में यह पहला अवसर रहा जब भाजपा के मंत्री भी सरकार में शामिल हुए। आजादी के बाद से ही कांग्रेस अथवा उसके सहयोगी दल ही जम्मू कश्मीर में सरकार बनाते रहें। भाजपा शुरू से ही कश्मीर में धारा 370 हटाने और पाकिस्तान से आए हिन्दूओं को नागरिकता देने की मांग करती रही है, इसलिए कश्मीर में भाजपा को राजनीतिक दृष्टि से अछूत माना जाता रहा। पाकिस्तान से प्रशिक्षित आतंकी कश्मीर को आजाद देश बनाने की लड़ाई लड़ते रहे है। ऐसे आतंकियों को राजनीतिक दलों का संरक्षण भी प्राप्त है। इसलिए यह सवाल उठ रहा है कि क्या आतंकी भाजपा की गठबंधन वाली सरकार को पचा पाएंगे? जहां तक भाजपा का सवाल है तो उसने सरकार बनने से पहले ही पीडीपी की मांगें पूरी करना शुरू कर दिया था। पीडीपी की मांग पर ही कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान से वार्ता करने के लिए भारत के विदेश सचिव जय शंकर 3 मार्च को पाकिस्तान जा रहे है। इसी प्रकार कश्मीर में धारा 370 नहीं हटाई जाएगी इसका लिखित वायदा सरकार ने राज्यसभा में गत सप्ताह ही किया है। भाजपा कश्मीर में अलग झंडे का भी विरोध करती रही है, लेकिन एक मार्च को जब मुफ्ती मोहम्मद सईद ने मुख्यमंत्री की शपथ ली तब शपथ ग्रहण समारोह में भारत के राष्ट्रीय ध्वज के साथ-साथ कश्मीर का हरे रंग वाला अपना ध्वज भी लगा हुआ था। इस झंडे के नीचे ही पीएम नरेन्द्र मोदी भी बैठे हुए थे। यानि भाजपा ने तो अपने पिछले सभी विरोधों को दरकिनार कर पीडीपी के साथ सरकार बना ली हो, लेकिन अब यह देखना होगा कि कश्मीर के अलगाववादी नेताओं का रूख इस संयुक्त सरकार के प्रति कैसा रहता है। भाजपा के विधायकों ने जम्मू-कश्मीर की अलग-अलग भाषाओं में जब शपथ ली तो समारोहों का माहौल सद्भावना से भरा हुआ था। कश्मीर के इतिहास में यह पहला अवसर रहा जब मंत्रियों ने अपनी शपथ के बाद जय हिन्द, जय भारत का उद्घोष किया। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में 28 विधायक पीडीपी और 25 बीजेपी के है। पीडीपी के साथ गठबंधन करने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य तथा मुसलमानों के बीच संघ की विचारधारा को बढ़ाने के अभियान में लगे इन्द्रेश कुमार और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री राममाधव की भूमिका महत्वपूर्ण रही। सरकार के गठन के बाद राममाधव ने कहा भी कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम के अनुसार जम्मू-कश्मीर में गठबंधन की सरकार आसानी के साथ चलेगी। भाजपा और पीडीपी की सरकार को जम्मू और कश्मीर की सरकार भी कहा जा सकता है क्योंकि भाजपा को कश्मीर घाटी में और पीडीपी को जम्मू में एक भी सीट नहीं मिली है। भाजपा के विधायक जम्मू का और पीडीपी के विधायक कश्मीर का प्रतिनिधित्व कर रहे है। सीएम पद की शपथ लेने के बाद सइद ने पत्रकारों से कहा कि विधानसभा के चुनाव में सकारात्मक माहौल बनाने में अलगाववादिों और हुर्रियत के नेताओं ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। सइद का यह बयान भाजपा को चौंकाने वाला है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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