स्वयं की स्म्रति को बढ़ाने (Memory Booster) के प्रभावकारी तरीके

डॉ. जुगल किशोर गर्ग
डॉ. जुगल किशोर गर्ग

प्राय ऐसा देखा गया है कि 40 से 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के आदमी अपना चश्मा, चांबिया रख कर भूल जातें हैं ? वें कार्यालय अथवा अन्य स्थान पर खुद के द्वारा नियत किये गये अपॉइंटमेंट को ही भूल जाते हैं यहाँ तक कि उन्हें पुराने परिचित का चेहरा तो याद रहता है किन्तु उनका नाम वे अक्सर भूल जाते हैं ? भूलने का मुख्य कारण स्म्रति के कमजोर हो जाने एवं एकाग्रता की कमी कि वजह से होता है। अधिकतर समस्या रिकाल करने में होती है, क्योंकि हमारे दिमाग को रिकाल प्रोसेस के लिए जिन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है उनकी हमारे शरीर में कमी हो जाती है । अच्छी स्म्रति के लिये उत्तम स्वास्थ्य और दिमाग (ब्रेन ) की सक्रियता आवश्यक है| मनुष्य के दिमाग मे प्रोढ़ या वर्द्धाअवस्था में भी स्वीकार करनेऔर समयानुसार अपने को बदलने की अद्दभुत क्षमता होती है, इस क्षमता को न्यूरोप्लातिसिटी (NEUROPLASTICITY) कहते हैं, सही प्रोत्साहन या (स्तिमुलेशन) stimulation से हमारा मष्तिष्क नये न्यूरल पाथवे (तंत्रिका तन्त्र ) खोज लेता है जिससे वे परिस्थती को भी बदल कर नये मार्ग भी ढूढ़ लेता है |

आप भी किसी से कम नहीं हैं:—-
यह सोचकर पीछे हट जाना ठीक नहीं है कि मेरी तो स्मरण शक्ति कमजोर है। वैज्ञानिकों का मानना है कि हर व्यक्ति का दिमाग सामान्य तौर पर 50 करोड़ खरब सूचनाएं, जानकारियां या आकृतियां अपने स्मृति-पटल पर अंकित कर सकता है।
याद रखें, आत्मविश्वास की कमी, तनाव और कुपोषण से स्मरण शक्ति कमजोर हो सकती है। नकारात्मक रूप से कभी न सोचें यानी यह मन में नहीं लाएं कि मैं तो यह काम कर ही नहीं सकता हूं। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के डॉं. रॉबिन वेस्ट का कहना है कि अच्छी तकनीक, अभ्यास और मानसिक प्रेरणा से स्मरण शक्ति बढ़ सकती है। वैज्ञानिक सैम्युल जॉनसन कहते हैं कि स्मरण शक्ति की कला सतर्कता की कला है।

यह जानना रोचक होगा कि हम भूलते क्यों हैं? इसके तीन कारण हैं –
विषय या घटना में अरुचि का भाव रहना।
किसी बात को याद रखने की इच्छा का न होना।
किसी विषय या घटना को ध्यानपूर्वक समझने का प्रयास न करना।
पढ़ने से पहले यह बात मन में ठान लें कि विषय को इच्छापूर्वक ध्यान से और गहरी रुचि के साथ पढ़ना है। ऐसा तय कर लिया तो विषय आपके मस्तिष्क के स्मृति कोषों में जमा हो जाएगा। इसी कारण से तो हमें फिल्मों की कहानी याद रह जाती है। एकाग्रता से सुनने, पढ़ने और देखने से स्मृतियां धुंधली नहीं पड़तीं व हमेशा के लिए मस्तिष्क में बनी रहती हैं।

स्मृति सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदम :—-
रिलेक्स मूड में रहें |
आप को अगर कुछ याद करना चाहते तो उसको कागज पर लिख कर याद करें |
किसी चीज को याद करने या कंठस्थ करने हेतु उसको बार-बार बोलें और अगर संभव हो तो उसे जोर जोर से पढ़ें और किसी उसे दो से तीन बार सुने भी |
चिंता मुक्त होकर सोयें जायें |

स्मरण शक्ति अर्थात मस्तिष्क को सशक्त बनाने के महत्वपूर्ण उपाय हैं——
पर्याप्त व्यायाम, तनावमुक्त जीवन, अच्छी गहरी नींद, पर्याप्त ऑक्सीजन, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और श्रेष्ठ प्रोटीन युक्त पौष्टिक भोजन।

मस्तिष्क-दिमाग को एक्‍टिव रखने के लिये शारारिक व्यायाम जरूरी है:—–
नार्थ कैरलोनिया की डुक यूनिवर्सिटी के मेडिकल सेंटर में किये गये शोध के अनुसार सप्ताह में कम से कम तीन बार आधा- आधा घंटा शारारिक व्यायाम करने से ब्रेन मे रक्त का प्रवाह बढ़ता है और वहां ज्यादा पोषण और ऑक्‍सीजन पहुंचता है। शारारिक व्यायाम ग्लूकोस मेटाबोलिज्म की गती को भी बढ़ाते हैं एवं तनाव को भी कम करते हैं| साइकोलॉजी के प्रोफेसर का कहना है कि शारारिक व्यायाम दिमाग को चुस्त बनाते हैं और मेमोरी को पुनर्स्थापित करने मे सहायता करते हैं। व्यायाम अधिक उम्र के मनुष्य में ब्रेन टिशू के क्षीण (लॉस) होने की गति को कम भी करता है, व्यायाम से ब्रेन की सक्रियता भी बडती है।

तनाव मुक्त रहें——-
अपने ब्रेन को शांत रखना अति आवश्यक है क्योंकि स्ट्रेस- तनाव स्वस्थ मष्तिष्क का सबसे बड़ा दुश्मन है, अगर तनाव पर नियन्त्रण नहीं रखा जाये तो तनाव से दिमाग के सेल (तन्त्र) भी नष्ट होने लगते हैं और यही तनाव धीमें-धीमें ब्रेन के महत्वपूर्ण भाग यथा हिप्‍पेाकैंपस को भी क्षति ग्रस्त करता है । दिमाग के इसी भाग हिप्‍पेाकैंपस ( Hippocampus में ही नई -नई स्मर्तियाँ बनती है और रीकाल मेमोरीज निर्मित होती है | विभिन्न शोध एवं सर्वे से ज्ञात हुआ है कि सगींत ( क्लासिक, आधुनिक या वेस्टर्न ) भी तनाव को कम करने और स्म्रति-मेमोरी में अभिव्रद्धी करने मे मददगार होते हैं |

सामाजिक बने:—
मित्रों के साथ गपशप करे और मनोरंजक गतिविधीयाँ मे भाग लें—
चुटकुले सुनें, कॉमेडी फिल्‍में या प्रोग्राम देखें, कार्टून बनायें, कार्टून फ़िल्में देखें और खूब मजे करें, इससे दिमाग को ऊर्जा मिलेगी,सामाजिक इंसान बनें, मित्रों के साथ समय बिताएं, म्रदुल सवांद स्थापित करें,अपने सुख-दुःख को इष्ट मित्रोँ के मध्य शेयर (साँझा ) करें।
शोधकर्ताओं के अनुसार दिमाग के लिये पारस्परिक सवांद,बातचीत सव्रश्रेष्ट एक्सरसाइज होती है, जो लोग सामाजिक रूप से सक्रिय रहते हैं उनमे मेमोरी लोस न्यूनतम होता है | सामाजिक सक्रियता बड़ाने के कई रास्ते हैं यथा क्लब के सदस्य बनना, सेवा कार्य करना, बच्चों या प्रोढ़ों को निशुल्क पढ़ाना, लेखन कार्य करना,नई नई किताबें पढना, पहलियां हल करना, नियमित रूप से डायरी लिखना, अपाहिजों देख भाल करना आदि आदि |
याद रक्खे कि मेमोरी भी एक मांसपेशी या muscle के समान ही है इसलिये आप इससे अधिक से अधिक काम करायें जिससे यें सक्रिय बनी रहें,अपने दिमाग से भी कसरत करायें यानी नित नयी बात सीखें जैसे नयी नयी कविताएँ, प्राथनाएँ या अन्य कोई |

अच्छी गहरी नींद——-
ब्रेन-दिमाग को आराम दें,अगर आप किसी निर्णय को लेकर दुविधा कि स्थिति में हैं, तो मस्‍ती भरी भरपूर नींद लें। अगली सुबह आपको बेहद क्रिएटिव सोल्‍यूशन मिल जाएगा और समस्या अपने आप हल हो जाएगी। सोने के पहले अपने मन को शांत रक्खें, शांत चित एवं तनावमुक्त होकर सोयें, कम से कम 6-7 घंटे जरुर सोयें, अगर हो सके तो दिन मे भी झपकी या नेप लेने की आदत डालें | शोधकर्ताओं ने बतलाया है कि गहरी नींद मे स्म्रति को बढ़ाने वाले तन्त्र सक्रीय हो जाते हैं और इसीलिए उत्तम स्म्रति के लिये गहरी एवं आराम दायक नींद जरूरी है |

नाक में ब्राह्मी तेल-घी की 5-5 बूंद डालें —-
आर्युवेद में नासिका को ब्रेन का प्रवेश द्वार कहा गया है, ब्रेन की नर्व केंद्र को क्रिया शील रखने हेतु नाक के दोनों छिद्रों में गुनगुने ब्राह्मी तेल-घी की 5-5 बूंदें रात्री मे सोते समय डालें और दीर्घ स्वांस लें |

प्राणायाम से बढ़ती है स्मरण शक्ति :——
ध्यान, प्राणायाम और व्यायाम से तनाव दूर हो जाता है, आत्मविश्वास बढ़ता है, एकाग्रता बढ़ती है और मस्तिष्क को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन, रक्त एवं पोषक तत्व मिल जाते हैं। इन सबसे स्मरण शक्ति बढ़ती है।
अनुलोम-विलोम प्राणायाम से मष्तिष्क के बाएं एवं दायें हेमीस्फीयर उत्तेजित (stimulate)होते हैं जिससे दिमाग की याददास्त बडती है | सूर्य नमस्कार भी उपयोगी प्राणायाम है |

ध्यान(Meditation):—-
मेडीटेशन से भी स्म्रति बड़ाने मे बहुत सहायता मिलती है, प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट मेडीटेशन नियमित रूप से करें |

लाफ्टर-हंसना:—-
स्वस्थ शरीर एवं स्वस्थ ब्रेन के लिये हंसना-हंसाना या लाफ्टर सबसे अच्छी दवा साबित हुई है अत: हंसे-हंसाये, अपने खुद पर भी हंसे | हंसते- हंसाते जीवन जियें |
डा. जे. के. गर्ग

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