-सुमित सारस्वत- हे पत्रकार, तुम इस महीने के व्यवहार की चिंता छोड़ दो। तुम पिछले इन्क्रीमेंट का पश्चाताप मत करो। तुम अगले प्रमोशन की चिंता भी मत करो। तुम ट्रान्सफर का मोह त्याग दो। बस अपनी करंट सेलेरी से ही प्रसन्न रहो। तुम जब नहीं थे, तब भी ये अखबार या चैनल चल रहा था। तुम जब नहीं रहोगे। तब भी ये अखबार या चैनल चलता रहेगा। जो बीट आज तुम्हारी है, कल किसी और की थी। वो कल किसी और की होगी। तुम इसे अपना समझ कर मगन हो रहे हो। यही तुम्हारे समस्त दुखों का कारण है।
प्रमोशन, इन्क्रीमेंट, ट्रान्सफर जैसे शब्द अपने मन से निकाल दो। फिर तुम इस सिस्टम के और ये सिस्टम तुम्हारा होगा।
(सारस्वत मीडिया…ज्ञान की बात)