हमने सिर्फ टेक्नोलॉजी में तरक़्क़ी की हैं: प्रकाश झा

prakash jhaफ़िल्म मेकिंग एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. फ़िल्म से जुड़ी टीम के सभी सदस्यों के कार्य के बाद जो काम बाकि रहता है वह है फिल्म के संपादन का. फ़िल्म संपादन भी काफी चुनौतीपूर्ण काम है. एक ऐसे ही फ़िल्म एडिटर है प्रकाश झा, जिन्होंने दोज़ख़ (इन सर्च ऑफ़ हैवन), डर्टी पॉलिटिक्स, मुम्बई केन डांस साला, NH 8 रोड़ टू नीधिवन जैसी अनेक फ़िल्में एडिटिंग की है. और जो जमीन से जुड़े इंसान, काफी मिलनसार, खुशमिज़ाज और दूसरों को भी सहयोग करने वाले हैं. उनमें घमंड तो रत्ती भर नहीं है. जब हमारे पत्रकार उनसे मिले तो बातचीत का दौर खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था. उनसे साक्षात्कार लेना एक उपलब्धि ही था, क्योंकि वे अपने काम में काफी व्यस्त रहते हैं. पेश हैं अजमेर नामा न्यूज़ के लिए फ़िल्म एडिटर प्रकाश झा से जगदीश सैन पनावड़ा की मुलाकात के दौरान लिए गए साक्षात्कार के दौरान की गई बातचीत के मुख्य अंश – साक्षात्कार जगदीश सैन पनावड़ा

आप आपने बारें में कुछ बताएं.
प्रकाश झा – मैं दरभंगा बिहार का रहने वाला हूँ, मेरे पिताजी और बड़े भाई पटना में एक एड एजेंसी चलाते हैं और वही पर मैंने थियेटर की शुरुआत की. मेरी शुरुआत मैथली नाटकों से हुई फिर धीरे धीरे मुझे हिन्दी नाटकों में मौका मिलता रहा. इन नाटकों में काम करने के दौरान मैंने देश विदेश के विभिन्न शहरों में रंगमंच पर काम किया.

अपनी शिक्षा-दीक्षा के बारें में कुछ बताएं.
प्रकाश झा – शिक्षा मैंने इग्नू से बी.कॉम.किया हैं. इस दौरान मैंनें गोवा में कला अकादमी नाट्य विद्यालय से तीन साल का नाट्य डिप्लोमा किया. फिर चेन्नई से एडिटिंग का कोर्स किया.

अपने परिवार के बारें में बताएं.
प्रकाश झा – मेरे परिवार में माता पिता और एक भाई, एक बहन और मेरी पत्नी व दो बच्चे हैं. मुझे मेरे परिवार का हमेशा से ही पूरा सहयोग रहा है. सबसे ज्यादा मुझे मेरे बड़े भाई ने सपोर्ट किया. आज भी मेरे बड़े भाई हमेशा मुझे सहयोग करते है. मेरे बड़े भाई जैसा भाई हर एक को मिले, मेरे पिताजी के जितनी इज्जत मेरे बड़े भाई की मैं करता हूँ. आज में जिस मुकाम पर हूँ, उसमे मेरे भाई का ही हाथ और बड़े भाई की वजह से हूँ.

फ़िल्मों के प्रति आपका रूझान कैसे हुआ ?
प्रकाश झा – यह तो बचपन से ही फिल्मों की और रुझान था, क्योंकि एक तो शुरू से ही थिएटर से जुड़ा हुआ था. और दूसरा हम जिस बिल्डिंग में रहते थे. उस बिल्डिंग में एक नाटककार रहते थे. जिनका नाम था रोहिनी रमन झा वो नाटक की कहानियां लिखते थे. और रोहिनी रमन झा ने ही मुझे पहली बार नाटक में काम करने का मौका दिया. इस तरह से मेरी नाटकों से शुरुआत हुई और धीरे धीरे फिल्मो की तरफ आ गया.

फ़िल्मों में आपका प्रवेश कैसे हुआ ?
प्रकाश झा – जैसे ही मैंने एडिटिंग का कोर्स ख़त्म किया. 2007 में मेरा पहला कोर्स खत्म हुआ. और 2008 में मुझे पहली फ़िल्म मराठी भाषा में मिली जिसका नाम था केश करूँ अनी ऐश करूँ इसके बाद मुझे के. सी. बोकाड़िया की फ़िल्म का प्रोमो करने का मौका मिला. जिनका नाम था खुदा कसम, दीवाना मैं दीवाना. उसी दौरान मुझे धीरे-धीरे कई फिल्में मिलनी शुरू हो गई.

आपके द्वारा किए गये कार्यों के बारे में बताएं…
प्रकाश झा – केश करूँ अनी ऐश करूँ, खुदा कसम, दीवाना मैं दीवाना, फ्यूचर तो ब्राइट हैं जी इन फिल्मो में प्रोमो एडिटर था. उसी दौरान मुझे एडिटर के तौर पर दोज़ख़ (इन सर्च ऑफ़ हैवन), डर्टी पॉलिटिक्स, मुम्बई केन डांस साला, NH 8 रोड़ टू नीधिवन पंजाबी में तीन फिल्में दिल्ली 984, दिदारिया, प्यार ना माने हार जो अभी चल रही हैं. दी घोष एन डार्कनेस, फ्रेंड रिक्वेस्ट, तेलगु फन फ्रिक्स फेसबुक, हिन्दी बुक्ड . अभी दो दिन पहले ही निमुन कोनकनी की फ़िल्म मिली हैं. जिनके डायरेक्टर ने मुझे पहली फ़िल्म दी थी.

भारतीय फ़िल्मी दुनिया के 100 वर्ष पूरे होने के बारे में कुछ बतलाएं..
प्रकाश झा – इन सौ सालो के फ़िल्मी सफर में हमने बहुत ग्रोथ किया हैं. लेकिन मुझे लगता हैं की हमने सिर्फ टेक्नोलॉजी में सिर्फ तरक्की की हैं. जो फिल्में साठ या सत्तर के दशक में चलती थी. जिनमे कहानियां संगीत गाने और अभिनय देखने को मिलता था. वो सब अभी के समय में नही देखने को मिलता, इसलिए मेरे हिसाब से यह सब मिसिंग होता दिख रहा हैं. हाँ, कुछ लोग हैं, जो इन सभी बातों को लेकर काम कर रहे हैं.

पुरानी फ़िल्मों तथा नई फ़िल्मों में आपके विचार से क्या-क्या बदलाव आया है ?
प्रकाश झा – पुरानी और नई फ़िल्मों में हमारे हिसाब से यह बदलाव हैं की पुरानी फिल्मो में कहानियां हुआ करती थी और नई फिल्मो में सिर्फ रीमेक ही देखने को मिल रहा हैं.

जीवन के प्रति आपका नज़रिया क्या है ?
प्रकाश झा – मैं तो मेरे हिसाब से हर दिन हर पल को बड़े ख़ुशी से जीता हूँ और जीवन अनमोल है. हर इंसान को इसे ख़ुशी से जीने की कोशिश करनी चाहिए.

वर्तमान में आपकी किन किन फ़िल्मो में काम चल रहें हैं ?
प्रकाश झा – फ्रेंड रिक्वेस्ट, फ्रिक्स फेसबुक, निमुन, माल रोड़ दिल्ली और एक मराठी में कांधे पोहे हैं.

आपके कार्यों में से आपका पसंदीदा कार्य कौन सा हैं ? और क्यों ?
प्रकाश झा – मेरे द्वारा किये गए सभी कार्यो को उस समय के हिसाब से बहुत अच्छा लगा है. और अभी ऐसा लग रहा हैं की मुझे मेरे काम में और सूधार करना चाहिए. क्योंकि यह मेरी ग्रोथ हो गई और मुझे यह लगा की छः सात साल के कार्यकाल में मुझे अलग-अलग तरह के डॉयरेक्टरों के साथ काम करने का मौका मिला. जिनसे बहुत कुछ सिखने को मिला.

आपको इस स्थान पर पहुँचाने में सबसे ज़्यादा किस का सहयोग रहा.
प्रकाश झा – मैं सबसे ज्यादा मेरे शुभचिंतको में के. सी. बोकाड़िया जी को मानता हूँ. लेकिन वो मेरे गॉड फादर हैं. इसलिए कुछ नही बोल सकता. मेरे सात सालों के कैरियर में जो सात लोगो सहयोग रहा हैं. उनसे मैं बहुत कुछ सिखा हूँ. जिनमे से के. सी. बोकाड़िया, आदित्य ओम, जयगम इमाम, मुनीन्द्र गुप्ता, सजंय अम्र, श्री पादपई यह लोग नहीं होते तो मैं आज यहाँ नही होता.

राजस्थानी सिनेमा के बारे में आप क्या कहना चाहेंगे ?
प्रकाश झा – राजस्थानी सिनेमा में मुझे तीन लोगो ने बहुत मोटीवेट किया हैं. जिनमे अरविंद जी, नीलू जी और सुनील कुमावत जी ने. मुझे लगता है यह तीनों राजस्थानी सिनेमा को नई ऊँचाई पर ले जायेंगे.

जगदीश सैन
जगदीश सैन

अजमेर नामा न्यूज़ के पाठकों तथा अपने शुभचिन्तकों को आप कुछ कहना चाहेंगे ?
प्रकाश झा – मैं सभी से यही कहना चाहूँगा कि आप अपने काम को ईमानदारी और नियमितता से करते रहें, एक ना एक दिन आपको सफलता जरूर मिलेंगी. और फिल्मी संसार पढ़ते रहें. मुझसे जुड़ी नई-नई बातें सबसे पहले इसी जगह पढ़ने मिलेगी

प्रकाश जी आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा आपको फ़िल्मी दुनियां में कामयाबी मिले अजमेर नामा न्यूज़ परिवार आपको अग्रिम बधाई देता हैं.

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