क्रोध से छुटकारा पाने के कुछ आसान उपाय

डॉ. जुगल किशोर गर्ग
डॉ. जुगल किशोर गर्ग

विश्राम—रिलैक्सेशन—– विश्राम या रिलेक्सेशन एक सहज और सरल उपाय है, गहरी सांस लेकर दिमा की नसों को ढीला छोडे, यह क्रोध की भावना को शान्त करने में फायदेमंद होगी | गहरी और लम्बी दीर्घ स्वांस लेते हुए सुखदायी कल्पनाएँ कर मन को शांत एवं प्रसन्न करें | ऐसा करने से आपकी क्रोधान्धता की भावनायें शिथिल हो जायगी और आप अपनी क्रोध की ज्वाला को शांत कर सकगें | योग की सरल कसरतों को नियमित रूप से करने से आपकी नसों को आराम मिलेगा और आपके मन को भी शांती प्राप्त होगी |

क़ई पुस्तकें और पाठयक्रम हैं जो आपको रिलेक्सेशन टैक्नीक्स सिखाते हैं। इन रिलेक्सेशन टैक्नीक्स को सीख लें, एक बार आप जब इन रिलेक्सेशन टैक्नीक्स को सीख लेगें तो फिर आप उन्हें किसी भी परिस्थिति पर काबू पाने के लिये परिस्तिथी के मुताबिक उपयोग में ला सकते हैं।अगर आप विवाहित हैं और आप दोनों ही गर्म दिमाग के हैं तो यह अच्छा तरीका है कि आप दोनों रिलेक्सेशन की ये विधियां सीख लें।यह जानना सदैव अच्छा है कि गुस्से पर कैसे काबू किया जाये बजाये इसके कि आप कई अवांछित और दुष्परिणामों में उलझ कर रह जाएं।

आपके सम्मुख उत्पन्न समस्याओं का हल निकलने का प्रयास करें—-

मन को रिलैक्स रखने के लिये बार बार इन शब्दों का उच्चारण करें और दोराएँ “में हर अवस्था मे- शांत चित्त रहुगां– में शांत चित्त रहुगां “, हर घटना को सहजता से लें | स्वयं को कहें ” टेक इट इजी” या ” कोई बात नहीं” ” शान्त ”।बार बार हर गहरी सांस के साथ इसे दोहरायें।

जीवन में घटित सुखदायी क्षणों को याद कर मन ही मन मुस्कराएँ, प्रसन्नता का अनुभव करें और सुखद कल्पनाएँ भी करें | अपनी स्मृतियों में से अपने आराम के शांत पलों की कल्पना करें। किसी हरे घास के मैदान या झरने, नदी या झील के पास स्वयं को बैठा पायें या कल्पना करें यह सुन्दर दृश्य आपकी खिडक़ी के बाहर ही है।अपने लॉन या अपनी बालकनी या छत पर तेज चहलकदमी भी आपको शांत करने में मददगार हो सकती है।

योजना बनायें एवं अपने कार्यों की समीक्षा करें—

अपने आप से वादा करें कि आप अपनी पूरी क्षमता से अपने कर्तव्य /कार्य का निष्पादन करगें किन्तु अगर कार्य आपकी योजना के अनुरूप सम्पन्न नहीं हो पा रहें हो तो भी अधीर नहीं हों और शांत रह कर पुन: गम्भीरता और कार्य निष्पादन हेतु पूर्ण समरपर्ण के साथ प्रयास करते रहें |

संवाद बनाये रक्खें—-

जब कभी किसी के साथ वार्ता करते समय अगर कड़वाहट उत्पन्न हो जाय या वादविवाद उग्र हो जाय, उस वक्त्त आपको अपने पर थोडा संयम रख कर शांतचित्त से विचार कर सामने वाले के तर्क को सुनने-समझने की कोशिश कर ही अपना उत्तर देना चाहिए | आपको अच्छा श्रोता भी बनना चाहिए | परस्पर निरंतर संवाद करने से विवादों का शांतीपूर्ण समाधान निकल जाता है

वार्तालाप मे हसीं-मजाक (विनोद) और ह्यूमर का प्रयोग करें—-

पारस्परिक संवाद के दोरान ह्यूमर (हसीं-मजाक ) का उपयोग करने से वाद-विवाद से उपजी रोष-गुस्से की भावना धीमे-धीमे मंद पड कर खत्म भी हो जाती है |

अपने आसपास के वातावरण में परिवर्तन करें

कभी-कभी आसपास का वातावरण से भी मन में उत्तेजना /क्रोध उत्पन्न होता है, इसलिये उस वातावरण से दूर अन्य जगह चलें जायें, अपने परिवार के साथ समय बिताएं , ऐसा करने से आपको अपने क्रोध से मुक्ति मिलेगी |

आवश्यकता होने पर किसी विशेषज्ञ सलाहकार से मदद लें

अगर आप को महसूस होने लगे कि आपकी क्रोध करने की प्रवर्ती आपके नियन्त्रण से बाहर होती जा रही है एवं इससे आपके पारस्परिक सबंध भी खराब हो रहें हैं, आपके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है तो इस हालत में आपको किसी अनुभवी मनोचिकित्सक या विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए | मनोचिकित्सक या विशेषज्ञ आपसे वार्ता कर आपकी समस्या को समझ कर आपको कारगार उपाय बतायगा जिससे आप अपनी मनोव्रत्ति एवं सोच में परिवर्तन ला सकगें और आपकी क्रोधाग्नी को शीथील कर क्रोध से निजात पा लेगें |

अपनी बात को द्दढता और मुखरता पूर्वक व्यक्त्त करने हेतु प्रशिक्षण प्राप्त करें—-

जब आप अपनी क्षमता से अधिक प्रयास करने के बावजूद अपनी मनमर्जी के परिणाम नहीं प्राप्त कर पाते हैं तब आप क्रोधित भी हो जाते हैं , आप इस स्तिथी को तो नहीं बदल सकते हैं किन्तु अपने नजरिये को बदल कर यह निष्कर्ष तो निकाल ही सकते हैं कि प्रयास करना तो आपके हाथ में है किन्तु परिणाम पर आपका नियन्त्रण नहीं है, इस सोच से घटित घटना एवं अप्रत्याक्षित परिणाम आपको विचिलीत नहीं करेगें और आप क्रोधित भी नहीं होगें |

आपकी आक्रामकता की प्रव्रत्ति आपके क्रोध को ज्यादा पनपाती है इसलिये यह जरूरी है कि क्रोधी स्वभाव वाले लोगों को आक्रामक होने के बजाय अपनी बात को द्दढता पूर्वक प्रस्तुत करने की कला सीखनी होगी |

क्रोध पर नियन्त्रण करने के अन्य आसान एवं उपयोगी तरीके——-

ईगो (स्वअंहकार) को अपनी जिन्दगी से दूर रक्खें और ईगो को करे बाय-बाय |

अपनी गलतीयों के लिये खेद प्रकट करें, माफी मागें, भूल जायें और माफ़ करने (Forgive and Forget ) की निति अपनायें |

अपनी मनस्थिती को मजबूत और सकारात्मक बनाये, दूसरों की कड़वी बात को भी हजम करने का जज्बा रक्खें, शांत रहें, अपना धेर्य नहीं खोएं |

हर बात की तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दे , चुप रहना सीखें, याद रक्खें “साइलेंस इस गोल्ड “ |

कभी भी किसी के लिये बुरा नहीं सोचें, बुरा नहीं देखें,बुरा नहीं बोलें | सबके लिये अच्छा सोचें, अच्छा करें, अच्छा देखें और अच्छा बोलें |

किसी से कोई अपेक्षा नहीं रक्खें और ना ही किसी की उपेक्षा करें |

अभद्र भाषा की जगह मीठी वाणी बोलें | दिमाग में आइस फैक्ट्री , दिल में लव फैक्ट्री और जुबान पर शुगर फैक्ट्री खोलें, ऐसा करने से आप निच्चय ही क्रोध मुक्त्त जीवन के मालिक बन जायगें |

अगर आप शांती के समुद्र बनेगें तो शर्तिया क्रोध आप पर हावी नहीं हो पायेगा बल्कि वह (क्रोध) तो अपने दोनों हाथ जोड़ कर आपके चरणों की शरण में होगा | अत: हमेशा खुश रहें, मुस्करातें रहें |

डा. जे. के. गर्ग

सन्दर्भ—–विकीपीडिया, हिन्दी नेस्ट.कॉम,मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न संतों एवं महापुरूषों के प्रव्रचन आदि

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