धरती मां के चेहरे पर कालिख, छाती पर आग?

DSC_0629किसानों द्वारा जारी नरवाई जलाने का सिलसिला
धरती की उर्वराशक्ति पर विपरित प्रभाव
-डा. एल. एन. वैष्णव– भोपाल/ हरी और स्वर्णिम चादर के साथ खुबसूरत सी दिखलायी देने तथा प्राणियों के पेट को भरने वाली मां की छाती पर आग और उसके बाद उसके मुख ही नहीं शरीर पर कालिख? जी हां एैसा ही कुछ होता और उक्त कृत्य को अंजाम देते हुये इस समय किसानों का एक बडा वर्ग देखा जा सकते हैं। अपने आपको धरती पुत्र कहने वाले अपने निजि हितों को दृष्ट्रिगत रखते हुये लगातार इनमें से एक बडा वर्ग एैसा करने में लगा हुआ है। जी हां हम बात कर रहे हैं उनकी जो अपने आपको धरती पुत्रों की संज्ञा देते हैं और सारी दुनिया के प्राणियों को एक मां की तरह पालने वाली पृथ्वी का इस प्रकार अपमान करने में लगे हुये हैं। ज्ञात हो कि इस कुछ माह पूर्व एक हरित और स्वर्ण चादर में लिपटी हुई धरती मां की सम्पूर्ण देह आग की तपन और कालिख से अपने आपको अपमानित सा महसूस कर रही है? प्रदेश के एक बडे क्षेत्र में इस समय लगातार नरवाई जलाने का सिलसिला जारी है वहीं दूसरी ओर अनेक कृषकों का मानना है कि इस प्रकार करने वाले सच्चे अर्थों में धरती पुत्र हो ही नहीं सकते? जो अपने निजि स्वार्थों के चलते अपनी मां को आग और कालिख के हवाले कर दे? उक्त कृत्य के चलते धरती मां की श्राप एवं करोडों एैसे मित्र कीटों की हत्या करने का परिणाम तो नहीं है जो लगातार विपरीत स्थिति पैदा हो रही है? यह निश्चित रूप से चिंतन और मनन करने की आवश्यता की ओर ईशारा करता है?
धरती की उर्वराशक्ति प्रभावित-
खेती के जानकार एवं संबधित विभाग के अधिकारियों की माने तो नरवाई जलाने से जहां एक ओर पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पडता है तो वहीं उर्वराशक्ति भी प्रभावित होती है। बतलाया जाता है कि जमीन में एैसे अनेक छोटे-छोटे कीटाणु निवास करते हैं जो किसान एवं धरती के मित्रों की श्रेणी में आते हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार जमीन के पोषक तत्वों के नष्ट्र हो जाने के साथ ही भूमि सख्त हो जाती है जिसके चलते उसके जल धारण करने की क्षमता भी लगभग खत्म हो जाती है। धरती का तापमान बढता है तो वहीं मिट्टी में कार्बन कम हो जाती है। जो कभी मिट्टी के उर्वराशक्ति को बढाने में एक खाद का कार्य करती थी इससे निकलने वाला भूसा मूक पशुओं का आहार बनता था आज आग के हवाले किया जा रहा है?
नरवाई से होते हैं लाभ-

डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव
डा.लक्ष्मीनारायण वैष्णव

किसानी के जानकार एवं विभाग के जानकार बतलाते हैं कि यह कार्बनिक पदार्थ ेकी उपलब्धता में वृद्धि होती है। वह बतलाते हैं कि कार्बनिक पदार्थ ही एक मात्र एैसा स्त्रोत है जिसके द्वारा मृदा में उपस्थित विभिन्न पोषक तत्व फसलों में उपलब्ध हो पाते हैं। कम्बाईन द्वारा कटाई किये गये प्रक्षेत्र उत्पादित अनाज की तुलना में लगभग 1.29 गुना अन्य फसलों के अवशेष होते हैं। बतलाया जाता है कि आवश्यक पोषक तत्वों के साथ 0.45 प्रति.नत्रजन की मात्रा पायी जाती है।
मृदा अर्थात् मिट्टी फसलों के अवशेष मिलाने से उसकी परत में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढने से मृदा की कठोरता नष्ट हो जाती है। मृदा के रसायनिक गुुण जैसे उपलब्ध पोषक तत्वोंं की मात्रा,मृदा की विद्युत चालकता तथा पीएच में सुधार होता है। जानकार बतलाते हैं कि एैसा करने वाले किसानों के खेतों में फसलों की उत्पादन में काफी वृद्धि होती है।

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