भारती चंदवानी की रचनाएं

भारती चंदवानी
भारती चंदवानी
1.
काली स्याह रातों में
वेदना की लपटो में जलना तुम्हारा
और दिल का तड़पना नर्म आँचल के लिए
की दूर कही,गगन में…
करता है एक टूटता तारा साजिश
माँ आज ज़मीन पर उतर आती है
ख्वाबों में ही सही माँ आज तुम्हारें सिरहाने होती है।
2.
कंकरीट के फैलते जंगलों में
आदमी का बैर होना
झूमते दरख्तों से
की दूर कही,किसी कोने में
करती है एक नन्ही सी गिलहरी शरारत…
बो देती है एक बीज
जहाँ गायेगा एक समय बाद
हरियाला बन्ना,
गीत मल्हार के…
3.
किनारें का उदास चेहरा,
जाते देख लहर को
करता है विदा…
अपनी नम आँखों से
की दूर कही,चौथे पहर में
करता है दुआ चाँद कही से
लौट आती है लहर फिर से
किनारें से आलिंगबद्ध होने को…
4.
ऐसे ही किसी बंजर ज़मीन पर
फूटता है एक नव अंकुर
और लिख देता है
गीत आशा के…
की आज गाँव का हर गरीब
सो सका है
दूर गगन में तारा टिमटिमाता है
और आसमान सिमट कर चादर बन जाती है।
भारती चंदवानी प्रखर बुद्धिजीवी व युवा कवयित्री हैं – संपादक

2 thoughts on “भारती चंदवानी की रचनाएं”

Comments are closed.

error: Content is protected !!