सानिया मिर्जा को खेल रत्न अवार्ड क्यों

एस.पी.मित्तल
एस.पी.मित्तल
कर्नाटक हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें खेल का सर्वोच्च राजीव गांधी खेलरत्न अवार्ड टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा को दिया जा रहा था। पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में चल रही भाजपा की सरकार को अब यह बताना है कि आखिर सानिया मिर्जा को यह अवार्ड क्यों दिया जा रहा था। हाईकोर्ट के समक्ष पेरालम्पिक एथलीट एच.एन.गिरीश ने एक याचिका प्रस्तुत करते हुए कहा कि वर्ष 2011 से 14 तक सानिया मिर्जा कोई पदक नहीं जीता है। खेल के क्षेत्र में अवार्ड देने के लिए खेल मंत्रालय ने जो अंक प्रणाली बनाई है, उसमें भी सानिया मिर्जा के खाते में शून्य अंक है, जबकि खेल मंत्रालय ने उन्हें 90 अंक दिए हैं। ऐसे में खेलरत्न अवार्ड पर पहला हक मेरा बनता है। गिरीश की याचिका को गंभीरता से लेते हुए ही हाईकोर्ट ने अवार्ड पर रोक लगा दी है। सवाल उठता है कि जब खेल मंत्रालय ने शून्य अंक दे रखा है, तो फिर सानिया मिर्जा को यह सम्मान क्यों दिया जा रहा है? क्या इसलिए कि सानिया ने पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ी शोएब मलिक से निकाह किया है? क्या इस अवार्ड के बहाने सरकार पाकिस्तान को यह बताना चाहती है कि भारत में मुस्लिम खिलाडिय़ों को कितना सम्मान दिया जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि यदि सानिया को खेलरत्न से नवाजा जाता तो भारत से ज्यादा पाकिस्तान में चर्चा होगी। यहां यह सवाल भी उठता है कि आखिर भारत सरकार पाकिस्तान को खुश करने के लिए कितने जतन करती रहेगी, हालांकि ऐसे जतन कांग्रेस के शासन में भी होते रहे, लेकिन तब भाजपा के नेताओं ने साफ आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार तुष्टीकरण की नीति अपना रही है। यदि कांग्रेस की सरकार सानिया मिर्जा को खेलरत्न देती तो भाजपा के नेता धरती आसमान एक कर देते। लेकिन सत्ता हासिल करने के बाद भाजपा भी वहीं कर रही है जो कांग्रेस करती रही है।
यह तो अच्छा हुआ कि पेरालम्पिक एथलीट गिरीश ने हाईकोर्ट से रोक लगवा दी, नहीं तो केन्द्र की भाजपा सरकार सानिया को अवार्ड दे ही देती। सब जानते हैं कि सानिया मिर्जा निकाह के बाद भारत से ज्यादा पाकिस्तान में रहती है। हालांकि सानिया ने अभी पाकिस्तान की नागरिकता स्वीकार नहीं की है और वे टेनिस की विश्व प्रतियोगिताओं में भारत की ओर से ही खेलती हैं। यह बात अलग है कि वर्ष 2011 के बाद से 14 तक सानिया ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई पदक हासिल नहीं किया है। सानिया अपनी शर्तों पर भारत की ओर से खेलती हैं, जब कभी सुविधाओं में कोई कमी रह जाती है तो सानिया अपने देश के खिलाफ बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ती है। अच्छा होता कि केन्द्र सरकार खेलरत्न का सम्मान उस खिलाड़ी को देती, जिसने गिरीश की तरह 100 में से 90 अंक प्राप्त किए हैं। यदि सानिया को अवार्ड दिया जाता है तो देश के वे खिलाड़ी मायूस होंगे, जो भारत के लिए खून पसीना बहाते हैं। केन्द्र सरकार को चाहिए कि पाकिस्तान को खुश करने की बजाए अपने देश के खिलाडिय़ों का सम्मान करें।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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