कहाँ राजा भोज कहाँ गंगू तेली

sohanpal singh
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यूं तो हमारे हरदिल अजीज यानिकि लोकप्रिय प्रधान मंत्री जो कुछ भी बोलते है वह वही सबकुछ होता है जो आमतौर पर कोई भी नेता बोलता है। अब चूँकि वह स्टेट लेवल से ऊपर वर्ल्ड नेता के रूप में उभर रहे है (यह उनकी पार्टी का कथन है ) और वह ऐसा मान भी चुके है। लेकिन यह देश का दुर्भाग्य है की प्रधान मंत्री जी अभी भी अपने आप को एक पार्टी विशेष का प्रचारक ही मानते है और उसी के परिणाम स्वरुप वह एक नेता कम प्रचारक के सामान भाषण बाज के रूप में अधि विख्यात होते जा रहे है विषय कोई सा भी हो वह धाराप्रवाह बोलते नजर आते ही है :
अभी जब श्री स्व. जयप्रकाश नारायण जी की ११३ वी. जयंती के अवसर पर श्री प्रकाश सिंह बदल , पंजाब के मुख्य मंत्री भी उपस्थित थे तो मोदी जी ने बदल की तुलना नेल्शन मंडेला से कर दी वह यही नहीं रुके उन्होने इसमें एक आयाम और जोड़ दिया की प्रकाश सिंह बदल ” भारत के नेल्सन मंडेला है ” अब अपने लोकप्रिय बड़बोले प्रधान मंत्री से कौन पूंछे की आप ये सब किसी तथ्य के आधार पर बोल रहे हो या सुनी सुनाई बातों पर सामने वाले की खिचाई कर रहे हो या उसका सम्मान कर रहे हो। लेकिन बात कुछ भी ऐसा कह कर उन्होंने एक प्रकार से नेल्शन मंडेला का अपमान ही किया है प्रकाश सिंह बदलt जैसे राजनितिक भ्रष्टाचारी से करके, जब की भारत मंडेला को भारत रत्न से सम्मानित कर चूका है। अब सवाल यही है कि क्या बदल की तुलना मंडेला से करना सही है 😕 यह तुलना नितांत गलत और अपमान जनक है क्योंकि नेल्शन मंडेला अपने देश की स्वतंत्रता के लिए और मानवाधिकारों की लड़ाई लड़ते हुए २७ वर्षो तक जेल में रहे। जबकि हमारे बदल साहेब का ऐसा कोई इतहास नहीं वह केवल जातिगत राजनीती के कारण से पांचवी बार मुख्या मंत्री बने है और उनके परिवार पर पंजाब में ड्रग के धंधे में लिप्त होने के आरोप लगते रहते है? यहां तक की उन पर भरष्टाचार के मुकद्दमे मी चल चुके हैं !लेकिन जैसा होता है मुलजिम भी खुद पुलिस भी खुद और जज भी खुद जो सजा कौन दे सकता है?
अब अपने लोकप्रिय प्रधान मंत्री को कौन या बताये की नेल्सन मंडेला से प्रकाश सिंह बादल से करना बिलकुल ऐसा ही है जैसे राजा भोज की तुलना किसी गंगू तेली से करना ! क्योंकि बादल को कोई भी इतिहास रहा हो आज उनके नेतृत्त्व में पंजाब का ८० प्रतिशत नौजवान ड्रग ऐडिक्ट हो चूका है, कभी पंजाब का गौरव यह था की अकेला पंजाब ही देश की भूख मिटने सक्षम था ? आज भी पंजाब देश का सबसे समृद्ध प्रदेश है लेकिन वहां का युथ बेकार हो चूका है, तो फिर ऐसे अक्षम मुख्य मंत्री की तुलना किसी सच्चे देश भक्त से करना क्या उचित है ?

नेल्सन मंडेला :

प्रारम्भिक जीवन
मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के यहाँ हुआ था। वे अपनी माँ नोसकेनी की प्रथम और पिता की सभी संतानों में 13 भाइयों में तीसरे थे। मंडेला के पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे।[1] स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला।[2] उनके पिता ने इन्हें ‘रोलिह्लाला’ प्रथम नाम दिया था जिसका खोज़ा में अर्थ “उपद्रवी” होता है। उनकी माता मेथोडिस्ट थी। मंडेला ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की। उसके बाद की स्कूली शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से ली। मंडेला जब 12 वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी।[3]

राजनीतिक संघर्ष
सोवियत संघ में नेल्सन मंडेला पर जारी किया गया डाकटिकट
1941 में मंडेला जोहन्सबर्ग चले गये जहाँ इनकी मुलाकात वॉल्टर सिसुलू और वॉल्टर एल्बरटाइन से हुई। उन दोनों ने राजनीतिक रूप से मंडेला को बहुत प्रभावित किया। जीवनयापन के लिये वे एक कानूनी फ़र्म में क्लर्क बन गये परन्तु धीर-धीरे उनकी सक्रियता राजनीति में बढ़ती चली गयी। रंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने के उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 1944 में वे अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस में शामिल हो गये जिसने रंगभेद के विरूद्ध आन्दोलन चला रखा था। इसी वर्ष उन्होंने अपने मित्रों और सहयोगियों के साथ मिल कर अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस यूथ लीग की स्थापना की। 1947 में वे लीग के सचिव चुने गये। 1961 में मंडेला और उनके कुछ मित्रों के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चला परन्तु उसमें उन्हें निर्दोष माना गया।

5 अगस्त 1962 को उन्हें मजदूरों को हड़ताल के लिये उकसाने और बिना अनुमति देश छोड़ने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया। उन पर मुकदमा चला और 12 जुलाई 1964 को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनायी गयी। सज़ा के लिये उन्हें रॉबेन द्वीप की जेल में भेजा गया किन्तु सजा से भी उनका उत्साह कम नहीं हुआ। उन्होंने जेल में भी अश्वेत कैदियों को लामबन्द करना शुरू कर दिया था। जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद अन्ततः 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई। रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी।
1994 में दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए। अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी। 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के सर्वप्रथम अश्वेत राष्ट्रपति बने। दक्षिण अफ्रीका के नये संविधान को मई 1996 में संसद की ओर से सहमति मिली जिसके अन्तर्गत राजनीतिक और प्रशासनिक अधिकारों की जाँच के लिये कई संस्थाओं की स्थापना की गयी। 1997 में वे सक्रिय राजनीति से अलग हो गये और दो वर्ष पश्चात् उन्होंने 1999 में कांग्रेस-अध्यक्ष का पद भी छोड़ दिया।

विचारधारा
नेल्सन मंडेला बहुत हद तक महात्मा गांधी की तरह अहिंसक मार्ग के समर्थक थे। उन्होंने गांधी को प्रेरणा स्रोत माना था औ्र उनसे अहिंसा का पाठ सीखा था।

व्यक्तिगत जीवन
मंडेला के तीन शादियाँ कीं जिन से उनकी छह संतानें हुई। उनके परिवार में 17 पोते-पोती थे।[4] अक्टूबर 1944 को उन्होंने अपने मित्र व सहयोगी वॉल्टर सिसुलू की बहन इवलिन मेस से शादी की। 1961 में मंडेला पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया परन्तु उन्हें अदालत ने निर्दोष पाया। इसी मुकदमे के दौरान उनकी मुलाकात अपनी दूसरी पत्नी नोमजामो विनी मेडीकिजाला से हुई। 1998 में अपने 80वें जन्मदिन पर उन्होंने ग्रेस मेकल से विवाह किया।[3]

मृत्यु
5 दिसम्बर 2013 को फेफड़ों में संक्रमण हो जाने के कारण मंडेला की हॉटन, जोहान्सबर्ग स्थित अपने घर में मृत्यु हो गयी।

प्रकाश सिंह बदल
जीवन परिचय

पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का जन्म 8 दिसम्बर 1927 को पंजाब के छोटे से गांव अबुल खुराना के जाट सिख परिवार में हुआ था। यह पंजाब के पहले मुख्यमंत्री हैं जो चौथी बार इस पद पर काबिज हुए हैं। प्रकाश सिंह बादल की पत्नी सुरिंदर कौर का देहांत हो चुका है। इनका एक बेटा और एक बेटी हैं। प्रकाश सिंह बादल के बेटे सुखबीर सिंह बादल पंजाब के फाज़िल्का निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। प्रकाश सिंह बादल की बेटी का विवाह पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह कैरों के बेटे से संपन्न हुआ है।

प्रकाश सिंह बादल का व्यक्तित्व
प्रकाश सिंह बादल कई दशकों से राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उन्हें पंजाब की राजनीति के बेहद सम्माननीय वरिष्ठ व्यक्ति का दर्जा दिया जाता है। प्रकाश सिंह बादल एक कुशल राजनीतिज्ञ और अपने धर्म के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं।

राजनैतिक सफर
वर्ष 1947 में प्रकाश सिंह बादल ने राजनीति के क्षेत्र में प्रदार्पण किया था। लेकिन उन्होंने अपना पहला विधानसभा चुनाव वर्ष 1957 में जीता था। 1969 में वह दोबारा विधानसभा चुनाव में जीत गए। वर्ष 1969-1970 तक उन्होंने सामुदायिक विकास, पंचायती राज, पशुपालन, डेरी आदि से संबंधित मंत्रालयों में कार्यकारी मंत्री के रूप में कार्य किया। प्रकाश सिंह बादल 1970–71, 1977–80, 1997–2002 में पंजाब के मुख्यमंत्रीऔर 1972, 1980 और 2002 में नेता विपक्ष रह चुके हैं। मोरारजी देसाई के शासन काल में वह सांसद भी बने. उन्हें केन्द्रीय मंत्री के तौर पर कृषि और सिंचाई मंत्रालय का उत्तरदायित्व सौंपा गया। वर्तमान में प्रकाश सिंह बादल पंजाब के तीसवें मुख्यमंत्री हैं। इनका कार्यकाल 1 मार्च 2007 से प्रारंभ हुआ है।

इसके अलावा प्रकाश सिंह बादल पंजाब के प्रतिष्ठित सिख धर्म पर आधारित राजनैतिक दल शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष भी हैं। इसका मुख्य उद्देश्य पंजाब को एक सशक्त राज्य बनाना है। प्रकाश सिंह बादल पंजाब, पंजाबियत और पंजाबियों की रक्षा और उनके हितों के लिए आवाज उठाने के चलते अपने जीवन के लगभग सत्रह वर्ष जेल में बिता चुके हैं। प्रकश सिंह बादल आज भी एक जाति विशेष के नेता की भूमिका से आगे नहीं निकल सके है ? इस लिए मंडेला से तुलना करना नितांत मूर्खता पूर्ण कार्य है ?
क्योंकि बदल की जेल यात्रा केवल भ्रष्टाचार के आरोपण में ही हुई थी ?

एस पी सिंह, मेरठ

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