भाईसाहब, माचिस है क्या?

बलराम हरलानी
बलराम हरलानी
(नहीं…………………..)
कई बार हमने यह वाक्य सुना है कि-भाईसाहब माचिस है क्या? इस वाक्य ने मुझे कुछ लिखने को प्रेरित किया है। धुम्रपान के खिलाफ हम सब को आवाज उठानी चाहिये। आपके परिवार या मित्रों में भी कोई भी धुम्रपान करता हो तो यह लेख आपके लिऐ उपयोगी है।
सामान्यतः एक धुम्रपान करने वाला व्यक्ति यदि आप से माचिस मांग ले और आप के पास हो तो आप एक आर्दश मित्र या इन्सान की तरह तुरन्त ही उसे उसके और समाज के लिए खतरनाक सामान निकाल कर दे देते हैं। एक पल भी यह नहीं सोचते कि आपने क्या दिया है। आपके माचिस देते ही उससे होने वाले धुम्रपान के दुष्परिणामों से आप अच्छी तरह परिचित हैं।
घर पर जब आपके परिवारजन, ऑफिस में आपका मित्र या कोई अन्य व्यक्ति आपसे विनम्र निवेदन करे -माचिस है क्या? कसम खा लें-आप बोलेंगें-नहीं………………….मेरी सलाह मानिये – माचिस हो तो छुपा लें, लेकर आ रहे हों तो मत लाओ, किसी भी सूरत में मेरे पाठक धुम्रपान वाले व्यक्ति को माचिस, या लाईटर मत दें। ऐसी सेवा का कोई मतलब नहीं जिससे धुम्रपान को बढ़ावा दिया जाता है। भाईसाहब ये हानिकारक है। शायद आपका या मेरा यह बहुत छोटा सा प्रयास कुछ मामूली हद तक सुधार ला सके।
मैनंे अपने जीवन में कभी धुम्रपान नहीं किया और कभी नहीं करूंगा- क्या आप सब भी मेरी सलाह मानेगें????
बलराम हरलानी
लेखक का परिचय – एक सफल व्यवसायी, कृषि उपज मंडी के डायरेक्टर, समाज सेवी, पूर्व छात्र सेंट ऐन्सलमस अजमेर।
E-mail : [email protected]

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