हमने मुस्कराकर
बात क्या कर ली
उन्हें लगा हम उनसे
प्यार जता रहे हैं
नाराज़ हो कर
कहने लगे
अपनी उम्र देखिये
ना जान ना पहचान
मीठी बातें क्यूं कर रहे हैं ?
हमने जवाब दिया
हमें पता नहीं था
अपनों से छोटों से
मीठी बात नहीं
करनी चाहिए
मानते हैं
भेड की खाल में
भेड़िये भी होते हैं
फिर भी एक सलाह
आपको भी देते हैं
अपना सोच बदलिए
उम्र में
छोटा हो या बड़ा
हर मुस्काराकर
मीठी बात करने वाले को
आशिक नहीं समझना
चाहिए
कभी उसमें
पिता और भाई भी
ढूंढना चाहिए
प्रेम का समुद्र
पानी की बूँद था,
अपने प्रेम से
तुमने उसे समुद्र
बनाया
अब तुम ही विछोह
चाहती हो
भाप जैसे उड़ा कर
आकाश में
मिलाना चाहती हो
मेरे अस्तित्व को ही
मिटाना चाहती हो
सृजक भी तुम
विध्वंसक भी तुम
यह कैसे हो सकता है ?
कितना भी प्रयत्न कर लो
सफल नहीं हो पाओगी
अब भावनाओं से
खेल नहीं सकती
अपने प्रेम को नफरत में
बदल नहीं पाओगी
इस तरह मिटा नहीं
पाओगी
मैं वर्षा के साथ पुनः
बूँद बन कर धरती पर
आ जाऊंगा
अपने प्रेम से तुम्हें
सरोबार कर दूंगा
तुम मजबूर हो कर
फिर मुझे समुद्र
बनाओगी
सदा के लिए मुझ में
समा जाओगी
तुम्हारा अस्तित्व
मुझ में समाहित होगा
चाहोगी तो भी मुझसे
अलग नहीं हो पाओगी
डा.राजेंद्र तेला,”निरंतर”
“GULMOHAR”
H-1,Sagar Vihar
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