मूल: रेखा मैत्र
उँगलियों की फ़ितरत
रेत पर लिखी हुई
तहरीर मिट ही जाएगी
वक़्त के समंदर का
एक तेज़ ज्वार जो आएगा
साहिल की सारी इबारतें
समेटता चला जाएगा
वो और बात है
कि लिखना उँगलियों की
फ़ितरत है
मिटने के डर से
उँगलियाँ कहाँ थमती हैं ?
उन्हें रोशनाई मयस्सर न हो
तो भी वे लिखती हैं
लिखना उनकी फ़ितरत जो है !
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सिन्धी अनुवाद: देवी नागरानी
आगुरियुन जी फ़ितरत
रेत ते लिखियल
तहरीर मिटजी वेंदी
वक़्त जे समुंढ जो
हिकु तेज़ ज्वार जो ईन्दो
साहिल जूं समूरियूं इबारतूँ
समेटींदों हल्यो वेंदो
इहा बी गाल्हि आहे
त लिखणु आगुरियुन जी
फ़ितरत आहे!
मिटण जे डप खां
आगुरियूँ किथे रुकजंदियूँ आहिन ?
तिन खे रोशनाई मयस्सर न थ्ये
त बि से लिखंदियूँ आहिन
लिखणु तिन जी फ़ितरत जो आहे !
पता: यूएसए