रेखा मैत्र की हिंदी रचना का देवी नागरानी द्वारा सिंधी अनुवाद

Rekha Maitraमूल: रेखा मैत्र
उँगलियों की फ़ितरत

रेत पर लिखी हुई
तहरीर मिट ही जाएगी
वक़्त के समंदर का
एक तेज़ ज्वार जो आएगा
साहिल की सारी इबारतें
समेटता चला जाएगा

वो और बात है
कि लिखना उँगलियों की
फ़ितरत है
मिटने के डर से
उँगलियाँ कहाँ थमती हैं ?
उन्हें रोशनाई मयस्सर न हो
तो भी वे लिखती हैं
लिखना उनकी फ़ितरत जो है !

पता: 18943विकी एवेन्यू apt # 62, केर्रिटोस CA 90703 फोन: 9499408953

Devi N 1सिन्धी अनुवाद: देवी नागरानी
आगुरियुन जी फ़ितरत

रेत ते लिखियल
तहरीर मिटजी वेंदी
वक़्त जे समुंढ जो
हिकु तेज़ ज्वार जो ईन्दो
साहिल जूं समूरियूं इबारतूँ
समेटींदों हल्यो वेंदो

इहा बी गाल्हि आहे
त लिखणु आगुरियुन जी
फ़ितरत आहे!
मिटण जे डप खां
आगुरियूँ किथे रुकजंदियूँ आहिन ?
तिन खे रोशनाई मयस्सर न थ्ये
त बि से लिखंदियूँ आहिन
लिखणु तिन जी फ़ितरत जो आहे !

पता: यूएसए

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