कौन कहता है बोझ होती है बेटियां

रश्मि जैन
रश्मि जैन
करती है कोख से ये पुकार बेटियां,
कर दे हम पर ये उपकार माँ,
मत मारो हमे भी देखने दो ये गुल गुलशन गुलज़ार माँ।

मरती रहेँगी बेटियां तो बहू कहां से लाओगे,
बेटों को पैदा करने को जननी कहां से पाओगे।

हंसती खेलती सबका मन मोह लेती है बेटियां,
मानो तो दो कुल की लाज होती है बेटियां।

मिट्टी की सोंधी ख़ुशबू सी होती हैं बेटियां,
आंगन की तुलसी पूजा सी होती है बेटियां।

सबको खुशियाँ देने वाली होती है बेटियां,
फिर क्यों हम नही मनाते खुशियाँ जब जन्म
लेती है बेटियां।

सत्यं शिवं सुंदरम सी होती है बेटियां,
नादां भोली खूबसूरत सी होती है बेटियां।

दो-दो वंश चलाने वाली होती है बेटियां,
फिर क्यूं कोख में ही मार दी जाती है बेटियां।

माँ के गले का हार तो पिता का गर्व होती है बेटियां,
माँ बहन और तुम्हारी प्रिया होती है बेटियां।

माँ की प्यारी सखी तो पिता की राजकुमारी होती है बेटियां,
भाई की मुस्कान तो पिता के चेहरे का ओज होती है बेटियां।

बुढ़ापे में अब माँ बाप का सहारा बनती है बेटियां,
त्यौहार पर भाई की कलाई की शान होती है बेटियां।

रसोई में माँ का हाथ बंटाती है बेटियां तो,
खेतों में पिता का हल भी चलवाती है बेटियां।

घर का कोना-कोना अपनी ख़ुशबू से महकाती है बेटियां,
वंश चलाने के लिए पुत्रों को जन्म भी देती है बेटियां।

पाल पोस कर पढ़ा लिखा कर ब्याह दी जाती है बेटियां,
फिर क्यूं ससुराल पहुंचते ही अक्सर जला दी जाती है बेटियां।

घर को जन्नत तो बनाती ही है बेटियां,
शादी के बाद अनेकों नए रिश्तें निभाती है बेटियां।

यौवन और श्रृंगार से परिपूर्ण होती है बेटियां,
प्यार, मनुहार और पालनहार भी होती है बेटियां।

सृष्टी का सृजन और मृगचिका भी होती है, बेटियां
बनकर दुर्गा करती है दुष्टों का विनाश बेटियां

इतिहास के पन्ने पलट कर देख लो, स्वर्णाक्षरों में नाम लिखाती रही है बेटियां,
लक्ष्मीबाई, मीराबाई और मदर टेरेसा भी थी किसी की बेटियां।

अंतरिक्ष में पहुँची कल्पना और सुनीता भी है हमारी ही बेटियां,
लता जी, सानिया मिर्जा और मेरीकॉम भी तो है भारत की बेटियां।

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पद की शोभा बढाती है बेटियां,
विंग कमांडर और मजिस्ट्रेट बन रही है हमारी बेटियां।

आसमां की ऊंचाइयों को छू विमान उड़ा रही है बेटियां,
माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहरा चुकी हमारी बेटियां।

गणतन्त्र दिवस की परेड में शक्ति प्रदर्शन कर रही है बेटियां,
राष्ट्रपति वीरता पुरस्कार पा रही ये है हमारी बेटियां।

सीमा पर बम और आग के शोलों को झेल रही है बेटियां,
जंग के मैदानों में दुश्मनों के दांत खट्टे करती है बेटियां।

ट्रेन, प्लेन, बस और टैक्सी सब चला रही है बेटियां,
डॉक्टर, इंजीनियर और वक़ील भी बन रही है बेटियां।

खेल के मैदान में भी अपना जौहर दिखा रही है बेटियां,
खुदा की नेमत से भरपूर जिगर का टुकड़ा होती है बेटियां।

रौशनी भले चिरागों से हो, हर घर में उजाला करती है बेटियां,
हम सब की आन, बान और शान होती है बेटियां।

बिन नारी प्रीत अधूरी है, नारी बिन सूना है संसार,
बेटी ही बहन, बेटी ही दुल्हन, बेटी से ही है घर परिवार।

पूछती है रश्मि आप सभी से, कैसे बोझ होती है बेटियां,
अब ना कहना कभी किसी से कि बोझ होती है बेटियां।

यें तो खुदा की रहमत से भरपूर होती है बेटियां,
जब खुदा खुश होता है तो जन्म लेती है बेटियां।

इसलिये कहती हूं कभी बोझ नहीं होती है बेटियां,
कभी बोझ नही होती है बेटियां,
कभी बोझ नहीँ होती है बेटियां।

रश्मि डी जैन*
नयी दिल्ली

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