नई सास का चक्कर

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
पति ने कहा- ‘‘ मैं रेलवे स्टेषन जा रहा हॅू ।‘‘ पत्नी बोली क्यों ? पति ने कहा – ‘‘ सास को लेने ।‘‘ पत्नी बोली- ‘‘पापा – मम्मी तो सुबह की टेªन से आ गए ‘‘ , मै लेने गई थी। आपको जगाने के लिया खूब आवाज लगाई थी पर आप उठे नहीं ? पति ने कहा- ‘‘सॉरी मैं उन्हे नहीं, नई सास को लेने जा रहा हॅू ‘‘ और पति स्टेषन चला गया। पति-पत्नी के इस वार्तालाप से अलग-अलग कमरे में आराम कर रहे सभी सोच में पड़ गए।
सासजी सोचने लगी – ‘‘ बेटी दामद तो एक दूसरे को बहुत चाहते हैं।‘‘ (फिर सास मन ही मन आपने पति के बारे में सोचते हुए) -कहीं इन्होंने तो नहीं किसी से दिल लगा लिया ? ये हमेषा गाते तो रहते हैं -‘‘मैं तेरी षौतन लाऊॅगा तुम देखते रहियो । ‘‘ ऊधर ससुरजी सोचने लगे ‘‘ मेरी योग्य बेटी के होते हुए दामादजी ने किसी और से – छी छी छी ।‘‘ इन दोनों की तो आज भी अच्छी पटती है। एक दूसरे को जी जान से चाहते हैं, फिर यह क्या चक्कर है ? ऊधर पत्नी झल्लाने लगी बड़बडाने लगी – आफिस वाली मेडम की मॉ को हमेषा बड़े प्यार से मम्मीजी – मम्मीजी कहते हैं। कहीं उसको तो लेने नहीं जा रहे। वह भी आज ही तो आने वाली थी। इसी कालोनी में रहती है। कलमुही मेडम कहींकी। बड़ी आई मेरे पति पर डोरे डालने वाली । थोड़ी देर मेें पति देव स्टेषन से एक अधेड अम्मा को लेकर आए तो सबको नई सास का चक्कर समझ आ गया। उस अम्मा ने वर्षो पहले उसे मॅुह बोली बेटी बनाया था । जब एक साथ नौकरी में थे। आते ही वो अपनी मुॅह बोली बेटी से लिपटकर गदगद हो गई और कहने लगी बेटी तू बहुत दिनों बाद मिली। दामादजी से तो मैं सदा मंथली मीटिंग में मिलते रही । हेड आफिस से दामादजी के आफिस में फोन लगाने पर सदा तेरे हालचाल लेते रहती थी। वे ईद पर मुझे सदैव मुबारकबाद देते थे तो मैं दषहरे दिवाली उसे षुभकामनाएॅ अवष्य देती थी। अब हमेषा मिलॅूगी ही प्रमोषन पर मेरी पोस्टिंग यहीं हुई है और दामादजी अब मेरे अण्डर में ही रहेंगे। आप सब चिंता छोड़ दे मैं उनका ध्यान रखॅूगी। मुझे ए टाईप बंगला आबंटित हो चुका है जो तुम्हारे क्वार्टर के सामने ही है।फोन एसी, गाड़ी सभी का लूफत उठाने, वहॉ आते रहना।

हेमंत उपाध्याय
व्यंग्यकार एवं लघुकथाकार
9424949839 / 09425086246़

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