… जीत मे तब्दील की जा सकती है, मिली हुई हार भी, आस्था, धैर्य और विश्वास के बल पर

शमेन्द्र जडवाल
शमेन्द्र जडवाल
मशहूर साहित्यकार शेख्सपीयर कहते हैं, – ” वे लोग निर्धन हैं, जिनके पास धैर्य नहीं है।”

रामायण के रचनाकार, तुलसीदास जी ने एक स्थान पर लिखा है, – ” धीरज ,धरम, मित्र अरु नारी/आपद काल परखिये चारी। अर्थात जीवन में जब कठिन हालात हों तभी व्यक्ति को स्वयं के धैर्य, कर्तव्य, साधना और जीवन साथी की निष्ठा का सही अनुमान हो पाता है।”
लेकिन एक सच्चाई यह भी है, कि, आज के इस भागमभाग और चंद दिनों ही में, तरक्की का मुकुट ओढ लिये जाने की इच्छाओं ने मानव को एक ऐसे सख्त और खुरदरे धरातल पर ला खडा़ किया है, जहाँ उसे लगता है कि, अब और कतई नहीं सहा जाएगा।
यहाँ यह भी कहदेना सच है कि, अच्छे अच्छे ज्ञानी और विद्वान भी परिस्थिति वश घबराकर जीवन में हार
मान बैठते हैं।
इधर यह भी सही है कि, धैर्य यानि धीरज और विश्वास के बूते इस छटपटाहट से निजात पाया जाना कतई असंभव नहीं है।अत: धैर्य ही कड़वी दवा के रूप में ग्रहण योग्य औषधी होती है। सिकन्दर से हारकर जब राजा पोरस को एक बन्दी के रूप में सिकन्दर के सम्मुख खड़ा किया गया, तब सिक
न्दर ने दंभ से पूछा – तुम्हारे साथ क्या सलूक किया जाए ? पोरस ने उतने ही सवाभिमान से उत्तर देते कहा -” वैसा ही जैसे एक राजा को दूसरे राजा के साथ करना चाहिये।” सिकन्दर का अचंभित चेहरा उस समय देखने योग्य था। सोचा एक हारा हुआ राजा विश्व विजेता के सामने बराबरी का दावा भला कैसे कर सकता है? लेकिन पोरस ने किया और अपने धैर्य के बल पर सिकन्दर की आँखेंखोल दीं। इतिहास मे राजा पोरस अमर हो गये।
यों धैर्य खो देने के अनेक उदाहरण हैं, – सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को भी शुरु में फिल्म, इन्डस्ट्री मे जगह नहीं मिली, उनकी आवाज को – सिनेमा के लिये उपयुक्त नही समझी गई। लेकिन बावजूद इसके कुछ फिल्में बाक्स आफिस पर पिट जाने के बावजूद संघर्ष जारी रखा।और सब देख रहे हैं, इसी संघर्ष व सहनशीलता ने उन्हें सदी का महा नायक बना दिया। आज लोग उनकी आवाज के दीवाने हैं।
एक और मिसाल देखिये – पवनसुत हनुमानजी ने जब लंका के लिए.छलाँग लगाई तब, उनका सामना सुरसा नाम की राक्षसी से हुआ, सुरसा को यह वरदान प्राप्त था कि, वह अपने शरीर को चाहे जितना बड़ा करले।सुरसा ने अपने मुख का आकार बहुत बड़ा कर लिया, हनुमानजी ने भी अपना आकार उसके मुख से दुगना बढा़ लिया, और अंत मे बेहद लघु आकार धारण करते उसके मुख में समाकर पुन: बाहर वापस भी आ गये।
यह सही है, कि, मनुष्य कई बार जीवन में परिस्थिति वश फंसकर अपने आपको बहुत असहाय पाता है। परेशानियो से मुक्ति का कोई उपाय नहीं सूझता, और जिनसे मदद की, आस लगी हो वे भी अपना हाथ खींच लेते हों तब ऐसे में अक्सर लोगों के प्रति दुर्भावनाएं पाल लेता है, और हताशा का शिकार हो जाता है।
यों जीवन में बहुत उतार चढाव आते हैं।
पृथ्वी पर अवतार लेकर भी जिन्हें परिस्थितियों से जूझना पड़ा हो, उनसे जुड़ी कथाएं बतलाती है कि, विपरीत परिस्थितियों में, अदम्य साहस और अद्भुत धैर्य का परिचय देकर ही अपने व्यक्तित्व को महान बना सके हैं। सत्य यह भी है कि, धैर्य धारण करने वाले पर – ईश्वरीय कृपा बरसती है। बस यही गुरुमंत्र जैसा समझलें । इन्हीं सब को देखते कहा गया है, अनिश्चित चीजें ही देतीं हैं, अपनी क्षमता परखने का एक मौका।

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