लीजिए पढिये यूआईटी का रोचक किस्सा

आज अखबार में दो तीन घटनाओ के बारे में पड़ा जो में आपसे साँझा (शेयर) करना चाहता हूँ.

आज अजमेर के अखबार में समाचार था की किसी न्यायाधीश (महोदय) की दीवार UIT अजमेर ने तोड़ दी UIT भी सरकारी काम पर थी टूट गयी तो टूट गयी.

और जैसा की होता है सरकारी कर्मचारिओं ने न्यायाधीश (महोदय) की दीवार वापस सही करने की बात को भाव नहीं दिया और चले गए. न्यायाधीश (महोदय) गुस्सा हो गए और मुकदमा करा दिया.
अब सिक्के के दो पहलु देखिये पहला सरकारी कर्मचारी की नज़र में सब बराबर है आज पता चल गया चाहे जज हो या आम आदमी.

दूसरा यदि UIT जज की नहीं सुन रही तो जनता की क्या सुनेगी, न्यायाधीश जी केस कर दिया तो भले ही UIT उनकी दीवार बना दे उन्हें केस वापस नहीं लेना चाहिए और अब उनको पता चलना चाहिए की शहर की क्या हालत है कोई सुनने वाला नहीं है पूरा शहर गड्डो में तब्दील हो चूका है आम आदमी के पास तो रीडर नहीं होता न पुलिस उनकी सुनती है वो कहाँ जायेगा और पुलिस की फुर्ती देखो JCB पकड़कर थाने में बंद कर दी तब जा कर अखबार में लिखा है UIT अफसरों के हाथ पैर फूल गए.

ये सोचने का मुकाम है की आजाद होने के बाद आज हम कहाँ खड़े है और हमने क्या कार्येशाली अर्जित की है.

नोट:१ कल बंद है यदि किसी को कोई परेशानी होती है तो में माफ़ी चाहता हूँ में कुछ नहीं कर सकता बंद है तो बंद है, भले ही कोई मजदूर भूखा मरे ये इस देश का विरोध का तरीका है बंद.

नोट:२. बहुत जल्दी हम महंगाई और दुसरे जख्म भूल जायंगे क्योंकि मरहम टी-20 शुरू हो चूका है.

-ऐतेजाद अहमद

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