मुझ पे करना यकीन

मुझ पे करना यकीन, मुझ पे करना यकीन
मुझ पे करना यकीन, मुझ पे करना यकीन

हो तनहा खड़े,दर्द हद से बड़े,
टूटते से लगे जब तुम्हे हौसले
ऐसा वक़्त कभी ज़िन्दगी में कही
आ जाए तो मुझ पे करना यकीन

मुझ पे करना यकीन, मुझ पे करना यकीन
मुझ पे करना यकीन ,मुझ पे करना यकीन

टूटना ही लिखा है अगर ख्वाब का
टूट जाये अभी जब ये मुकम्मिल नहीं…
फिर किसी मोड़ पे ग़र हमतुम मिले
तो यूँ न लगे की निभाया नहीं …

मुझ पे करना यकीन, मुझ पे करना यकीन
मुझ पे करना यकीन ,मुझ पे करना यकीन

कैसे जाने की तुझको इजाज़त मैं दूँ
मेरा तेरे सिवा अब कोई भी नहीं
दिल के टूटने का मैं अब क्या ग़म करूँ
की ये किस्सा पुराना है नया कुछ नही

मुझ पे करना यकीन, मुझ पे करना यकीन
मुझ पे करना यकीन ,मुझ पे करना यकीन

नरेश”मधुकर”

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