व्यथा और प्रथा

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
पुनर्वास के योजनाधीन एक नए वीरान गॉव तक पहॅुच के लिए पक्की सड़क मंजूर हो गई । नए ठेकेदार को ठेका मिला। पड़ौसी ग्राम के सरपंच से लेकर विधायक सभी ने नए ठेकेदार से अपना – अपना हिस्सा देने के लिए कहा। षिकायत करने पर एक बाबू ने बताया कि बडे बाबू , अकाउन्टटेंट एवं छोटे बड़े साहब सबको प्रचलित दर से उनका कमीषन देना होता है ,अन्यथा ठेका बहुत मंहगा पड़ता है।
ठेकेदार ने देखा सबको देने के बाद 50 प्रतिषत में ही काम करना होगा। उसने हिम्मत कर मंत्रीजी से सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ करने का उद्घाटन का प्रस्ताव रखा। अपनी वाहवाही के अवसर को मंत्रीजी क्यों छोड़े ? मंत्रीजी ने तुरन्त पी0ए0 से कह कर क्षेत्र के रिष्तेदार की षादी वाले दिन का दौरा कार्यक्रम बना दिया।
ताबड़तोड़ उद्घाटन स्थल पर ऊॅचा मंच लगाकर , माईक व बड़े- बड़े कानफाडू भोंगों की व्यवस्था की गई । सदा धूप में तपने वाली जनता के लिए चंद घंटों के लिए पंडाल लगाया गया । चाय नाष्ते की भरपूर व्यवस्था की गई । मंत्रीजी एवं उनके परिवार को छोड़कर सब के रात्रि भोज हेतु मुर्गे- बकरे की व्यवस्था भी मंत्रीजी की इच्छा पूर्ति हेतु की गई। मंत्रीजी की प्रचलित स्थायी इच्छानुसार उनका खिलखिलाता चेहरे वाला आदम कद फोटो का फ््््लेक्स का पोस्टर मंच पर लगाया गया । जो मुख्य -मुख्य चौराहों पर भी लगाया गया । उनके चेहरे के आस -पास रावण के सिर जैसे चार -चार चंगु -मंगुओं के फोटो भी छापे गए , जिन्होंने कभी गॉव नहीं देखा था। मंत्रीजी के आदम कद फोटो के सिर के ऊपर उनके राजनीतिक गुरु का फोटो लगाया गया। जो कि बीयर बार व क्लब हाऊस के मालिक हैं। जिनके डर से पुलिस थर्रथराती है और अघोषित केबरे क्लब पर झाकती नहीं । पोस्टर के बेकगाऊॅड में एक आदर्ष विकसित ग्राम दर्षाया गया । जिसमें लहलहाते खेत,पषुधन बकरे मुर्गे सब दर्षाए गए । जिसे विरोधियोंने इसे पहले ही ‘‘ सब्ज बाग ‘‘ की संज्ञा दी । आज मंत्री जी हर कार्यक्रम की अपेक्षा ज्यादा खुष थे। उनके काफिले में बाई साहब एवं बच्चे तथा षादी में आने वाले दूसरे प्रदेष के मेहमान व परिवार के अन्य सदस्यों के लिए जुटाई सरकारी कारें भी कार्यक्रम में चार चॉद लगा रही थी। जिसने बारात में भी षोभा बढ़ाई। जिस षादी के बाराती मंत्रीजी हो उसष्षादी का आलम क्या होगा ? कहने की जरुरत नहीं और फिर दुल्हा मंत्रीजी का लंगोटिया यार हो स्वयं का चुनाव संयोजक हो तो क्यो न मंत्रीजी इस गाने पर थिरकें -आज मेरे यार की ष्षादी है। बीच में मंत्रीजी यह जानकर नाराज हो गए कि रात को केबरे या कव्वाली नहीं रखी है। यह भी कहते सुने गए कि खर्चे से क्यों डरते हो बहुत सारे विभाग हैं बिल भुगतान के लिए ।
मंत्रीजी ने अतिप्रसन्न होने से जल्दबाजी में मंत्राणीजी का रीबिन ही कतर डाला। खुषी की लहर छा गई क्या आत्मीय कार्यक्रम है । तालियों की बौछार हो गई । ठेकेदार ने मंच को सुषोभित करने वाले मंत्रीजी, विधायक, मुख्य वक्ता यहॉ तक की मंत्रीजी के जीजा, साले ,साली साडूभाई सभी को आकर्षक तोहफे से नवाजा । मंत्रीजी के संपूर्ण परिवार के ठेकेदार ने अपनी पत्नी सहित जोड़े से पॉव छूकर आषीर्वाद प्राप्त किए।
मंत्रीजी के जाते ही संपूर्ण खर्च टेंटवाले ने ठेकेदार से वसूल लिया। बिल मॉगने पर कहा- नगद भुगतान का बिल एवं कोटेषन सब पहले लोक निर्माण विभाग और पंचायत विभागवाले अधिकारी ले गए।उनका कार्यक्रम जो था।ठेकेदार ठगा सा रह गया।
नए ठेकेदार ने सोचा – मंत्रीजी ने आषीर्वाद दे दिया अब कोई कमीषन नहीं मॉगेगा । मै ऐसी उन्नत सड़क बनाऊॅगा कि आम जनता सदियों तक मुझे याद रखेगी। सड़क का काम चालू हो इसके पूर्व मंत्रीजी ने भी उचित माध्यम से अपना कमीषन भेजने हेतु इषारा कर दिया।
हताष होकर नए ठेकेदार ने सोचा मैं हिम्मत नहीं हारुॅगा हमारे यूनियन लीडर सदैव नारे लगाते हैं -‘‘एकता में बल है।‘‘ मैंे भी बल दिखाऊॅगा। यूनियन लीडर के पास जाता हॅू। अतः वह एक पुराने ठेकेदार के पास गया, जो कि यूनियन लीडर भी था। नए ठेकेदार ने अपनी व्यथा सुनाई। यूनियन लीडर ने कहा-‘‘ यह कोई व्यथा नहीं है यह तो प्रथा है।‘‘ नए ठेकेदार ने कहा – इतने कम पैसे में कैसे सड़क बनेगी ? यूनियन लीडर ने कहा -आप यूनियन का हिस्सा पहले जमा करा दो। जब सब हिस्सेदार और भागीदार हैं ,तो आपको डर किस बात का। आप तो सड़क का बिल बना लो पास होने में कोई दिक्कत नहीं आएगी । सड़क बनाओगे तो बिल भी पास नहीं होगा और जनता के लिए सड़क दुःखदायी हो जाएगी। समाचार पत्र वाले अलग परेषान करेंगे। जो प्रथा ह,ै उसे तोड़ो मत नही तो नई प्रथा सबके लिए व्यथा बन जावेगी। आपने आप को भाग्यषाली समझो कि पहला ही ठेका वीरान गॉव की सड़क का मिला। आबाद गॉव वाले तो मॉग ही करते रह गए। मार्च के माह में मिले ऐसे ठेके तो सबके लिए हितकर होते हैं ताकि समय पर बिल लगा कर फंड को लेप्स होने से बचाया जा सके । आप राष्ट्र की मुख्यधारा में सहर्ष सम्मिलित हो जाओ । ये पुण्य अवसर न गवांओ। इस सड़क के बिल के भुगतान के उपरान्त ही विभाग और मंत्रीजी कागजों पर वार्षिक प्रगति एवं उन्नति भी दर्षायेंगे। जो मंत्रीजी को आगामी 6माह बाद होने वाले चुनाव के समय काम आवेगी और आप पर लॅाच्छन भी नहीं आवेगा। प्रथा को प्रथा रहने दें व्यथा न बनाएॅ ।
( हेमंत उपाध्याय)
व्यंग्यकार एवं लघुकथाकार
साहित्य कुटीर , पं0रामनारायण उपाध्याय वार्ड क्र0 43 खण्डवा म0प्र0
[email protected] 9425086246 / 9424949839watsaap

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