सरकारें नाकाम क्यों ?

sohanpal singh
sohanpal singh
बहुत ही दुखद लगता है जब हम अपने 70 वर्ष पुराने लोकतंत्र का अवलोकन करते है तब ऐसा क्यों महसूस होता है की दक्षिण पंथी विचार धारा की वर्तमान केंद्र और राज्य की सरकारे, जातीय और क्षेत्रीय संघर्ष को रोकने में अक्षम तो दिखती ही है, गहराई से देखने में प्रोत्साहित करने में नजर आती है उदाहरण के रूप में उत्तर प्रदेश के सहारन पुर में एक स्थानीय सांसद दलितों को लामबंद करते हुए एसएसपी के घर तक तोड़फोड़ कर बैठता है और अब वह संघर्ष रुकने का नाम नहीं ले रहा है ! एक माह में 2 DM और 2 एसएसपी बदले जा चुके कई निलंबित भी किये जा चुके है , परंतु सांसद पर मुकदमा होते हुए भी कोई कार्यवाही नहीं हुयी ? उधर झारखंड में बच्चा चोरी की अफवाह में अल्पसंख्यक लोगो को तड़पा तड़पा के भीड़ डीवारा मार दिया गया है ? केंद्र सरकार के स्तर पर भी कुछ इसी तरह के कार्य कलाप जारी हैं । जब वह अपनी। क्षुद्र राजनीती के लिए फ़ौज द्वारा किये गए कार्यों का कक्रेडिट लेने की कोशिस करती है , इतना ही नहीं कश्मीर में एक नवयुवक को पत्थर बाज बता कर फौजी जीप में आगे बाँध कर कुछ स्थानीय पुलिस के लोगो और चुनाव में लगे कर्मचारियों को सुरक्षित निकलने पर मेजर गोगोई की हीरो बनाकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करवा कर क्षेत्रीयता को बढ़ावा देना जैसा ही है जो की गलत है ? क्योंकि जबसे असम के रहने वाले मेजर गोगोई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है तब से उसके असम स्थित गावँ में जश्न का माहोल है इससे यह सन्देश जा रहा है की एक असमी ने एक कश्मीरी को सबक सिखाया ? यह एक बहुत दुखद बात है ?ऐसा लगता है दक्षिण पंथी पार्टी कुछ जल्दी में है 2019 के चुनाव के लिए अभी से अपने अगड़े और पिछड़े वोट बैंक को संघटित करने के लिए ध्रुवीकरण करना चाहती है जातीय और क्षेत्रीय ध्रुवीकरण करके जो किं बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण और कायरता की निशानी है ?

SPSingh, Meerut

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