हमें ऐसा क्यों लगता है की वर्तमान सरकार केवल और केवल इवेंट मैनेजमेंट के द्वारा सरकार के काम काज को चलाने की दिशा में बहुत अधिक जोर दे रही हैं? राष्ट्रपति के चुनाव के नामांकन के समयँ राज्यों की मुख्य मंत्री समर्थकों के रूप में उपस्थित रहेंगे ? GST को लागु जरने के लिए एक जश्न किया जायेगा वो भी आधी रात को ,उसमे भी 20 राज्यों के मुख्य मंत्री शामिल होंगें, गरीबी और भुखमरी तथा बेकरी से जूझते देश के लिए क्या इस प्रकार के इवेंट जरुरी है क्या ये जनता के पैसे का दुरूपयोग नहीं है , जब की सरकार ने अभी ऐलान किया है की देश के 3300 टॉप बयूक्रेट्स भ्रष्टाचार के आरोपी है जिस पर कार्यवाही की जा रही ? यानि सरकार को चलाने वाले लोग भ्रष्ठाचार में लिप्त है और सरकार है की जश्न मना रही ? वर्ष 1984 में एक तत्कालीन प्रधान मंत्री ने कहा था कि जो पैसा केंद्र से जाता है और केवल 10 पैसे का ही काम होता है बाकि 90 पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है ? अब 33 वर्ष बाद क्या हम वर्तमान समय के प्रधान मंत्री जी से यह पूंछने का साहस करना चाहते है की अब जो एक रूपय केंद्र से भेजा जाता उसका कितना उपयोग हो रहा है । या सरकार सारी कमियों को इवेंट मैंनेजमेंट के द्वारा ढक देना चाहती है ? इसके विपरीत क्या सरकार का काम केवल आत्महत्या करते हुए किसानो को यूंही मूक दर्शक की तरह देखते रहने से ही चल जाएगा ? कृषि प्रधान देश में अगर किसान और कृषि पर निर्भर लोग यूंही आत्महत्या करते रहेंगे तो एक दिन हमे फिर हाथ में कटोरा पकड़ कर पश्चिम के देशो से भीख मांगनी पड़ेगी ?
एस० पी० सिंह ,मेरठ