आठवां आश्चर्य !

sohanpal singh
sohanpal singh
कश्मीर के अनंतनाग में अमरनाथ यात्रियों की बस पर 10 जुलाई को जो आतंकवादी हमला हुआ वह भारत के लोगों के लिए दुनिया का आठवां आश्चर्य साबित हुआ हैं ? क्योंकिं यह घटना राजनितिक चक्रव्यूह का खेल बन कर रह गई है ? क्योंकि इस हमले का सीधा सम्बन्ध गुजरात से है और गुजरात में इस वर्ष के अंत में चुनाव भी होने है ? चूँकि जिस बस पर हमला हुआ और सात लोगों की मौत हुई और 32 लोग घायल हुए है , उस बस की गतिविधि बहुत ही संदिग्ध ही नहीं कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में अवांछनीय भी थीं ? बस के विषय में राज्य सरकार के प्रवक्ताओं का कहना है की बस का रजिस्ट्रेशन यात्री बस के रूप में नहीं हुआ था यानि की बस अनिधकृत रूप से यात्रा में शामिल हुई थी और उस बस को ऑपरेट करने वालों ने सुरक्षा के सारे नियम कायदों को ताख पर रख कर यात्रा कर रहे थे ?

दूसरी सबसे बड़ी बात जो न तो समझ में आती है और न ही स्वीकार करने योग्य है । बस का बहादुर ड्राइवर हमला होने के बाद बस को दो किलोमीटर तक भगाता रह न तो आतंकवादियों ने ड्राइवर पर गोली चलाई न ही बस को रोकने कइ का कोई प्रयास किया यानि आतंक वादी नौसीखिये थे उन्हें याद ही नहीं आया होगा की बस के टायर पर गोली मारकर भी बस को रोक जा सकता है ?

अब तीसरी बात और भी बहुत सुन्दर है , घटना जम्मू एंड कश्मीर में हुई स्वाभाविक ही है की जांच भी वहां की पुलिस या फिर नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी करेगी लेकिन बहुत ही जल्दी सभी घायलों और बचे हुए लोगों को एक स्पेसल हवाई जहाज में भर कर गुजरात के अहमदाबाद शहर लेजाकर छोड़ा गया और देश भक्त राष्ट्रीय पार्टी के राष्ट्रिय अध्यक्ष ने घोषित भी कर दिया की यह हमला गुजरातियों पर किया गया है , शायद शवों पर राजनीती करने का यह प्रयोग हमे 2002 के गोधरा कांड की याद को ताजा करने को प्रेरित कर सके जहा 59 कर सेवकों को जो अयोध्या उत्तर प्रदेश सें ट्रेन में सवार होकर गुजरात लौट रहे थे वो भी चुनाव का ही समय था और उस कांड को चुनाव में खूब जमकर भुनाया गया था , हमे भी कोई आश्चर्य नहीं होगा जब श्रद्धालुओं पर हुयी गोली बारी को चुनाव में भुनाया जायेगा ? इस लिए इस काण्ड की गहराई सेंजांच की जानी चाहिए ? जो संभव ही नहीं है ?

एस० पी० सिंह, मेरठ

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