मुंशी जी वापस आ गए हैं

sohanpal singh
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वो अपने मुंशी जी अरे ! वहीँ मुंशी इतवारी लाल, विदेश गए थे अपने बेटे के पास आ गए हैं ? वो मार्च 2016में विदेश गए थे वापस अब आये है यानि 15 ई 2017 को , लेकिन जब से आये है बुखार में तप रहे है अंट शंट बोले जा रहे है जैसे उन पर पागल पन के दौरे पड़ रहे हो, कभी कहते है। ” मैं विदेश गया ही क्यों था” ,” मैं तो लूट गया , ” “बर्बाद हो गया ” ” अब मैं क्या करू ” कभी कहते ” भैया मुझे जहर लाकर देदो ” “मैं रेल के निचे कट के मर जाऊंगा”
हमने पूंछा यार ! मुंशी ये तो बताओं की तुम्हे हुआ क्या है क्यों परेशान हो रहे हो विदेश में बेटे के पास ठीक थे या वही से बीमारी ले कर आये हो ?
अब तो मुंशी जी एक दम से फट पड़े बोले ” साले ! तू भी मुझे पागल समझता है, अबे मैं क्या तुझे पागल लगता हु , मैं पागल नहीं हूँ , मैं वास्तव में बर्बाद हो गया अब जी कर क्या करूँगा ”
हम बोले :- ” नहीं यार ऐसी बात नहीं है , मैं तुम्हे पागल नहीं समझता , परंतु जब तक उम् बताओगे नहीं , मैं समझूँगा क्या खाक! बताना तो तुम्हे ही पड़ेगा मेरे यार मुंशी इतवारी लाल ,” ।
मुंशी जी का पारा कुछ शांत हुआ बोले :- “देखो तुम्हे तो मालुम ही है कि फ़रवरी 2014 में मेरे बेटे की शादी हुई थीं, और तुम्हे ये भी मालूम है कि विदेश में होने के कारण मेरा बेटा मुझे हर माह पांच सौ डॉलर भेजता था मैं उनको रुपये में बदल कर अपनी सेफ में रख देता था ! उन डालरों से पुरे 50 लाख नकद , जो हजार ओर पांच सौ वाले ,थे चूँकि सब कैश में ही था उसे घर में ही रखा था और मैं और मुुंशियाइन् दोनो नोट बंदी से पहले बेटे के पास चले गए थे पैसा सारा घर में ही रखा था ? अब जब एक वर्ष के बाद वापस आया हूँ तो यहां तो पूरा भारत ही बदला हुआ नजर आ रहा है , कोई चाय वाला प्रधान मन्त्र बन गया है जो अपने आप को प्रधान सेवक बताता है कोई तड़ी पार किसी पार्टी का अध्यक्ष बन गया है रूलिंग पार्टी वाले को विपक्ष तक मान्यता नहीं है , कोई दलित महामहिम हो गए है , कोई महंत योगी मठ छोड़कर राजा बन गया है कोई संत योग सिखाते सिखाते व्यापारी बन गया है , गौ माता कूड़े मे भोजन तलाशती रहती है और गौ भक्त यूंही लोगो को कुर्बान कर रहे हैं ! प्रधान सेवक अकेला क्या करे उसेविदेश भ्रमण् से ही फुर्शत नहीं मिलती ………….” तो हम बोले :-
“यार मुंशी ये तो बता तुझे इन बातो से क्या लेना देना , तू रिटायर्ड पेंशनर मौज कर ये सब तो राज काज और पार्टी पॉलिटिक्स की बाते है है तुझे क्या मतलब, तुम क्यों दुबले हुए जाते हो ?” इतना सुन कर मुंशी जी तो उखड गए और बहुत ही गुस्से में बोले :-
” मुझे क्यों कुछ नहीं लेना देना , अबे क्या मैं इस देश का नागरिक नहीं हूँ क्या मुझे बोलने का भी हक़ नहीं है क्यों ? ” ………… ” अबे ये कौन सा क़ानून है , कि तुम रात के अँधेरे में घोषणा कर दो कि अब 1000 और 500 के नोट चलन में नहीं रहेंगे क्यों भाई बाप का राज है क्या , ये लोकतंत्र है यानि जनता का राज , अब मैं अपने 50 लाख रुपयों का क्या करूँ, बैंक वाले कहते है ये तो कूड़ा हो गए हैं और तुम्हे जेल जाना पड़ सकता है क्योंकि अब पुराने नोट रखना अपराध है , क्यों भाई मैंने कौन सा अप्राध किया है जो जेल जाऊं ,”अबे उसी लिए तो कह रहा हूँ की अब मरना ही ठीक है इस बुढ़ापे में जेल जाने से तो अच्छा है मर ही जाऊं ।
हम बोले :- ” अबे मुंशी एक बात तो निश्चित ही होगि या तो तुम जेल जाओगे या मौत को गले लगाओगे क्योंकि बीटा ये सरकार तुम्हारे सपनो की सरकार जो है अब ये तुम्हे तय करना है की कौन सा रास्ता चुनते हो तुम्हारी इच्छा पर ही निर्भर है क्योंकि अब उस पैसे का यानि 50 लाख रुपये का उपयोग तो तुम कर ही नहो सकोगें ? और अगर तुम्हे इन दोनों बातों में से कोई भी अच्छी नहीं लगती तो एक काम करो कही से दो चार गाय ले आओ और उन्हें एक ट्रक में भर कर शहर से बाहर निकल जाओ फिर देखो इस देश के सच्चे गौभक्त तुम्हें सीधे स्वर्ग सिधार देंगे , क्योंकि इस लोक में बिना गौदान किये उस लोक में स्वर्ग नहो मिल सकता ” ——- “अब ये तुम्हे तय करना है की कौन सा रास्ता तुम्हे आसान लगता है ”

एस.पी.सिंह, मेरठ ।

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