सत्ता की अंतरात्मा

ओम माथुर
ओम माथुर
समय थोड़ा ज्यादा लग गया, लेकिन बिहार मे भी अब भाजपा फिर सत्ता मे आ रही है। 16 ,मई को ब्लॉग लिखा था कि अबकी बारी,बिहार की बारी। आप एक बार फिर पढिए। लालू के पंजे से आजाद होने के लिए छटपटा रहे नीतीश फिर उसी भाजपा के अंगने मे सत्ता का डांस करेंगे,जिसे वो साम्प्रदायिक कह निकले थे। यानी भ्रष्टाचार का साथ छोड़ अब वापस साम्प्रदायिकता के साथ। जिन मोदी को भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाने पर नीतीश ने भाजपा से गठबंधन तोडा था,अब फिर उनकी गलबहियां डालेंगे। नीतीश अगर वाकई मूल्यों की राजनीति करते हैं। ईमानदार हैं, तो छोड़ देते सत्ता। हो जाने देते चुनाव। क्योंकि भाजपा और आरजेडी तो साथ आने से रहे। लेकिन सत्ता छोड़ने की नीयत नीतीश की भी नही है। साथी बदल फिर सत्ता में ही रहेंगे नीतीश। शायद यही उनकी अंतरात्मा की यही आवाज हो।

अबकी बारी,बिहार की बारी
चलिये एक और राज्य बिहार मे बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। लालू प्रसाद यादव के ठिकानो पर बेनामी सम्पत्तियो के मामले में आयकर छापों के साथ ही बिहार मे नितीश व लालू का साथ छूटने की पटकथा क्लाइमेक्स पर पहुंच गई है। सुशील मोदी का लगातार लालू पर आरोपों के हमले,फिर नीतीश के ये कहने के अगले ही दिन छापेमारी की, अगर केंद्र चाहे तो जाँच करा ले। फिर लालू का कहना की बीजेपी को गठबंधन के नए साथी मुबारक हो,साफ़ कर रहा है कि भाजपा व नीतीश मे खिचड़ी पहले से पक रही थी और लालू को भी इसका अहसास था। चारा घोटाले मे सुप्रीम कोर्ट के झटके के बाद लालू यूं भी कमजोर हुए थे और अब आयकर छापो के बाद नीतीश भी जनता मे अपनी क्लीन इमेज बनाए रखने के लिए लालू से पीछा छुडाना चाहेंगे। नीतीश व पीएम मोदी कुछ समय से एक दूसरे की तारीफ भी कर रहे हैं और सबसे बडी बात नीतिश कल का वो बयान है जिसमें उन्होंने एक तरह से मोदी को नेता मान लिया। जिन नीतीश ने बिहार मे बदनाम लालू व कांग्रेस के साथ गठबंधन कर मोदी का विजय रथ रोका था और जो विपक्ष की नजर मे पीएम उम्मीदवार माने जाने लगे थे अब कह रहे हैं,मैं पीएम पद का दावेदार नहीं हूं। मैं इतना बेवकूफ नहीं जो राजनीति की हकीकत नहीं समझू। मुझ मे वैसी क्षमताएं भी नहीं है। साफ है नीतीश को अब लालू से ज्यादा ठीक भाजपा लग रही है। उन्हें लग रहा होगा कि भाजपा के बढते प्रभाव को रोकने मे विपक्ष नाकाम रहा है। ऐसे मे वे क्यों लालू परिवार को बचाने के लिए खुद को दाव पर लगाएं। लेकिन भाजपा को इस बात के लिए बधाई देनी होगी कि जिन राज्यों मे वो चुनाव हार जाते हैं, वहां दूसरे तरीके से सत्ता हथिया ही लेती है। गोवा, मणिपुर के बाद अबकी बार बिहार। अब इन आरोपों मे कोई दम नहीं है कि बीजेपी विपक्षी नेताओं के खिलाफ सीबीआई, इन्कम टैक्स,ईडी का इस्तेमाल कर रही है।क्योंकि ये एजेंसियां हमेशा से केन्द्र सरकार की गुलाम थी,हैं और रहेंगी। लेकिन आप इन नेताओं की बेशर्मी भी देखिए। हराम की कमाई के अरबों रूपए डकारने के बाद भी गुर्राते है।

ओम माथुर। अजमेर।9351415379

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