सही इलाज

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
एक नगर के प्रसिद्ध कवि बीमार हो गए । पडोसियों ने उन्हे अस्पताल के जनरल वार्ड मै भरती करा दिया ।इलाज के बाद भी वो ठीक नही हो रहे थे। दूसरे दिन विधायक देखने पहुंचे । नगर की शान व कवि के नाम की कद्र करते हुए उन्होने 5 हजार रूपए स्वेच्छिक अनुदान स्वीकृत कर दिये।डाकटर ने बजार की ऊंची दवाईयो का बिल लगाकर भरपाई कर दी ।फिर भी वे ठीक नहीं हुए । दूसरे दिन सांसद महोदय अस्पताल पहुंचे।उन्होनें डाक्टरों से चर्चा कर 10 हजार रुपये अच्छे इलाज के लिए स्वीकृत कर दिए। फिर भी वे ठीक नहीं हुऐ । पेपर मै समाचर सबके आ रहे थे । तीसरे दिन महापौर अस्पताल पहुंचे। उन्होने वार्डबाय से गुप्त चर्चा की । कवि महोदय को अस्पताल से छूडवाकर कार मै अपने साथ ले गए । कार से उन्होंने कवि महोदय को उतार कर 5–5 रुपए के दो कुपन लेकर दिन दयाल अंत्योदय रसोइ योजना की दो थालियां लगवाई व कवि महोदय के साथ भोजन किया।भोजन करते ही कवि महोदय शौचालय गए और प्रसन्न होकर लौटे । उनकी मुख्य बीमारी थी एनिमा लगाने के बाद भी शौच नहीं होना । जिसकी जानकारी महापौर जी को वार्डबाय ने दी। महपौरजी को औचक भोजन चेक भी करना था सो ठीक पाया साथ ही कवि महोदय को उपकृत भी करना था।उसके बाद महापौर जी ने पत्रकार वार्ता मै २ फरमान जारी किए । एक स्थानीय कवियों को भी पारिश्रमिक दिया जावे । दूसरा फरमान दिननदयाल रसोई योजना का भरपूर प्रचार प्रसार किया जावे। ताकि ऐसी घटनाएं भविष्य मै न हो।
हेमंत उपाध्याय
व्यंग्यकार व लघुकथाकार
9424949839 h 9425086246 7999749125
gangour [email protected]

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