वो लड़की

उर्वशी
उर्वशी
वो लड़की
निर्धारित किये गए
तमाम सामाजिक मापदंडों के
अनुरूप ढाली गयी थी
साथ ही निहायत
खूबसूरत थी
उससे…
प्रेम किया गया
उसकी गरिमा को
बार बार
संशय के प्रहारों से
नग्न किया गया
और फिर …..
एक दिन सब कुछ
शांत हो गया
सफेद चादर में
लिपटी उसकी देह
कुंठित मनोवृत्ति
का निवाला बन गई
समाज के ठेकेदारों ने
नवीन सृजनात्मक पहल की
कहा—–
चरित्र पर संदेह था ..अत:
मृत्यु की भेंट चढ़ा दी गई।
उर्वशी

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