हर कदम चुनाव को देखते उठाया जाता है

ओम माथुर
ओम माथुर
कोई व्यापारी संगठन या अन्य इस बात की गलतफहमी नहीं पालेे कि आज सरकार ने जीएसटी में जो संशोधन किए हैं उसका कारण उनका आंदोलन रहा है । यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी भी इस भ्रम मे ना रहे कि सरकार ने उनके बयान के दबाव मे आकर यह कदम उठाया है। यह तो अगले महीने होने जा रहे गुजरात विधानसभा चुनाव का प्रताप है कि मोदी सरकार को कदम पीछे खींचने पड़े । दरअसल खुफिया एजेंसियों ने सरकार को जो रिपोर्ट दी है उसमें गुजरात में व्यापारी वर्ग में नाराजगी के चलते भाजपा की सीटें घटने की आशंका जताई जा रही है । मोदी और अमित शाह दोनों का गुजरात गृह राज्य है । यहां उनके लिए पिछली बार से कम सीटें आन एक तरह से हार के बराबर है। इस फीडबैक के चलते ही अमित शाह को केरल यात्रा से बीच में बुलाकर कल प्रधानमंत्री ने उनसे इस पर चर्चा की थी और आज जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद सरकार ने कुछ कदम पीछे खींचे हैं । अगले साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं । ऐसे में कुछ कदम बाद के लिए छोड़ दिये लगते है, जिसमें पेट्रोल डीजल को जीएसटी में शामिल करने का बड़ा फैसला भी हो सकता है।वरना मोदी और शाह के जिस तरह के बोल हैं अगर गुजरात चुनाव नहीं होते तो सरकार हरगिज़ कदम पीछे नहीं हटाती। हमारे देश में लोकतंत्र की यह विडंबना है कि यहां हर कदम चुनाव को देखते उठाया जाता है । चाहे वह जनहित से जुड़ा कितना बड़ा मुद्दा क्यों ना हो अगर चुनाव नहीं होंगे तो उसे सरकार टालती ही रहेगी।

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