बटवारा

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
दो भाई प्रकांड पंडित थे। पूरा गांव ही नहीं आसपास के गांवों के लोग भी उन्ही से पूजा पाठ कराते थे । पूजा पाठ व भागवत कथा से जो भी मिलता वे आधा – आधा बांट लेते । एक बार एक ही दिन मै उनके गांव के पास के दो गावों मै पूजा का काम निकला । दोनो भाई एक- एक गाँव चले गए । वहाँ से जो पूजा मै नगदी व चढ़वा आया शाम को दोनो ने इकट्ठा कर आपस मै बांटना शुरु किया । लगभग सभी सामान सम संख्या मै थे । सो आसानी से आधे -आधे बंट गए । दुर्भाग्य से सुपारी पच्चीस थी । बारह . बारह दोनो ने ले ली । अंत मै एक सुपारी बची। बडे भाई ने कहा -मै बडा हूँ ,ये मै लूंगा । छोटा भाई बोला .. आज ज्यादा सुपारी मै लाया मै लूंगा। मै लूंगा । मै लूंगा होते -होते मै- मै होने लगी ओर तू -तू -मै — मै से नौबत हाथा पाई पर आ गई। इतने मै बडे़ भाई की पत्नी मुसल लेकर आई । छोटे भाई ने उससे मुसल छुड़ा कर बडे भाई के सिर पर दे मारा। सिर के दो भाग हो गए । उसकी भाभी मुसल सुपारी फौडने के लिए लाई थी ताकि सुपरी फोड़ कर आधी -आधी बांट ली जावे ।आवेश मै प्रकांड पंडित भी गलत निर्णय ले लेते है । शांत दिमाग से निर्णय लेते तो सुपरी फोडते सिर नहीं फोडते ।

हेमंत उपाध्याय । व्यंग्यकार व लघुकथाकार । गणगौर साधना केंद्र साहित्य कुटिर पं रामनारायण उपाध्याय वार्ड खण्डवा म .प्र 9424949839 9425086246 7999749125 gangour knw.gmail.com

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