तीर्थ लाभ

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
रेल में बैठे सहयत्री से मैंने पूछा — पूरे परिवार के साथ आप कहाँ जा रहे हो ? उत्तर मिला – हम हर आमावस्या के दिन सपरिवार गंगा स्नान के लिए जाते हैं । मैने पूछा — वहां जाकर क्या करोगे ? उत्तर मिला — पहले शौच जाकर फ्रेश होंगे। फिर ब्रस करेंगे। फिर डिसपोजल में थर्मस से चाय निकाल कर पिएंगे । फिर कपडे धोएँगे ।दोपहर का भोजन साथ है । प्लास्टिक के पत्तल दोने भी साथ ले जा रहे हैं । माँ के पवित्र जल में स्नान करने के बाद भोजन करेंगे । गंगा मैया में श्रद्धा से निर्माल्य विसर्जित करेंगे। पूरे माह चढाए फल -फूल एकत्र कर सब हर माह मैंया में ही विसर्जन करते हैं। एक डलिया पर बहुत मच्छर उड़ रहे थे । बदबू भी आ रही थी। उसकी तरफ इसारा करते हुए वो बोले — ये बडी डलिया उसी निर्माल्य की है ।तीर्थ का तीर्थ व नौका विहार का आनंद भी हो जाता है । मेंने सोचा ये पून्य कमाने नही ये तो तीर्थ को नरक बनाने जा रहे हैं।

हेमंत उपाध्याय । व्यंग्यकार व लघुकथाकार । साहित्य कुटिर पं गणगौर साधना केन्द्र पं राम नारायण उपाध्याय वार्ड खंडवा म.प्र 9424949839 9425086246 7999749125 gangour knw.gmail.com

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