भारत एक खोज — “चौकीदार”

sohanpal singh
sohanpal singh
हमारे यहाँ सर्राफा बाजार में सुनार अपना सब माल असबाब भारी और बड़ी बड़ी तिजोरियों में बंद करके फिर बहार से भी ताला लगाते है लेकिन उसके बाद भी बाजार में रात में सुरक्षा करने के लिए चौकीदार रखते है जो सारी सारी रात जाग कर चिल्लाता है “जागते रहो -जागते रहो की लेकिन फिर भी दिनदहाड़े जब सब जाग रहे होते है कुछ लूटरे माल लूट कर ले भी जाते है यहाँ हम बात देश के चौकी दार की कर रहे है क्या चौकी दार सो रहा है , क्या हम उसे नौकरी से निकाल दे? फिर ‘इतना बडा कलाकार आल इनं वन कहाँ से लायेंगे हम. ? उसने कहा था न खाऊंगा न खाने दूँगा, एकदम सही कहा था और वह ऐसा कर भी रहा है किसी को खाने नही दिया है लेकिनं लूटने से किसी को ‘रोका नही है , और भारत जो देश है हमारा उसकी फितरत ही कुछ ऐसी है की जो भी शक्ति शाली होता है वो इस भारत नामक इस ‘देश को लूटना ही चाहता है क्योंकी इसमें प्रकृतिक और खनिज सम्पदा इतनी प्रचुर मात्रा में भारी पडी है की चौकीदार तो चौकीदार विदेशी आक्रमणकारी भी हाजारों मील का समुद्री और रेगिस्तानी सफर तय करके इसे लूटने आते रहे है और आज भी आ रहे है और हमारे चौकीदार उन लूटेरों को सहायता प्रदान करते है , ओडिशा , छात्तिस गढ , झार ‘खण्ड , बिहार, बंगाल , गोआ , कर्नाटाक , आंध्र प्रदेश , तेलंगाना , में देशी विदेशी कांपनियो को पट्टे पर ज़मीन देकर लूटने की खुली छूट देते है चौकीदार ,और लूटने वाले लूट के माल से करोड़पती नहीं अरब पती बन गए है । अब हम इसे क्या कहैं ?

s.p. singh, मेरठ

error: Content is protected !!