जातिगत राजनीति

“राजनीति से बड़ा कोई धर्म नहीं और धर्म से बड़ी कोई राजनीति नहीं ”

कल्पित हरित
कल्पित हरित
राम मनोहोर लोहिया जी का कथन आज भी भारतीय राजनीत में सटीक बैठता है | भारतीय समाज तो धर्म से आगर बढ़कर भी कई जातियों में बंटा है जहा हर जाति अपने तौर पर अपने लोगो के अधिकार के लिए संघर्षरत है और इनका ये संघर्ष किसी न किसी रूप में राजनैतिक रूप ले ही लेता है | सत्ता में मौजूद दल अपने फैसलों के माध्यम से तो विपक्ष संघर्ष के रास्ते जातिगत राजनीति को हवा देता है |
इन सभ के बीच मूल राजधर्म है जो कही पीछे छुट जाता है क्योकि राजधर्म तो आखरी पंक्ति में बैठे आखरी व्यक्ति तक पहुचने की बात करता है ,समानता की बात करता है ,संवैधानिक अधिकार की बात करता है पर सच तो ये है कि राजधर्म के आधार पर चुनाव जीते नहीं जाते और चुनाव जितने के लिए जातिगत समीकरण चाहिए |
जातिगत संघर्ष में यदि आपके पास संख्या बल ज्यादा है तो आप अपनी असंवैधानिक मांगे भी मनवा सकते है जैसे पाटीदार जैसा समर्द्ध वर्ग भी आरक्षण मांग रहा है और पार्टिया उन्हें आरक्षण देने के लिए जुगाड़ में लगी है , 50% से अधिक होने पर भी सरकार गुर्जरों को आरक्षण देने पर आमदा है | असल में इन जातिगत संघर्षो से प्राप्त लाभों का फायदा उन्हें हो ही नहीं पता जिन्हें वास्तव में इसकी जरुरत है तथा वे संपन्न लोग जिन्हें उन लाभों की आवश्यकता ही नहीं है जाति के नाम पर लाभ ले लेते है
अलबत्ता आप आरक्षण किसी भी जाति को दे दीजिये उस जाति का समर्द्ध वर्ग उसका फायदा उठा जाता है और जाति के गरीब वर्ग की स्तिथि वही जस की तस रह जाती है तो फिर चुनावी जीत हार के अलावा इन जातिगत संघर्षो का फायदा है क्या ?
अलग अलग जाति से इतर गरीब अपने आप में खुद एक बड़ा वर्ग है जिसको ख़ास जातियों में बांटा जा नहीं सकता और जात के आधार पर परिभाषित नहीं किया जा सकता जब तक देश की राजनीति असल मुद्दों से दूर हटकर जातियों के आस पास सिमटती रहेगी तब तक सर्वांगीण विकास एक कोरी कल्पना रहेगा |
सर्वांगीण विकास से तात्पर्य है जिसे जिसकी आवश्यकता हो ,वो जिस लाभ का हकदार हो वो उसे मिले फिर चाहे उसकी जाति कोई भी क्यों न रही हो इससे जमीनी स्तर पर बदलाव दिखाई देने लगेंगे साथ ही सरकारों और जनप्रतिनिधियों को भी यह ध्यान रखना चाहिए की वे भले ही किसी जाति के वोटो के बल पर चुनकर क्यों न आई हो उसने अंततः शपथ तो संविधान की ही ली ही जिसमे सभी के लिए समानता का जिक्र है |

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