अति सर्वत्र वर्जयेत्

हेमंत उपाध्याय
हेमंत उपाध्याय
यदि कोई फल कच्चा रह जाता है तो किसी के काम का नहीं होगा और यदि फल पक जाता है,तो वह सबके लिए फलदायी हो जाएगा,किन्तु वही फल ज्यादा पक जाए तो वह सड़ा गला कहलाएॅगा उसमें कीडे पडेंगे और अत्यन्त हानिकारक व दुर्गन्ंध फैलाने वाला होगा। फल का ज्यादा पकना किसी के हित में नहीं है ।
इसी तरह यदि कोई मटका कच्चा रह जाता है तो उसमें पानी भरना संभव नहीं होगा ,वह फूट जाएगा। यदि वह पूर्णतः पक जाता है तो उसमें पानी भी एकत्र रहेगा एवं वह जल अत्यन्त षीतल रहेगा। उसके जल को पीने वाले को पर्याप्त तृप्ति मिलेगी।यदि मटका ज्यादा पक जाए तो निष्चित ही उसमें रखा जल ठंडा नहीं होगा एवं गरम होकर पीने योग्य नहीं रहेगा वह अनुपयोगी होगा ।
इसी तरह मानव का अनुभव हीन होना नुक्षनदायी है पूर्णतः अनुभवी होना सबके लिए फायदे मंद है,किन्तु उसका अतिज्ञानी होना किसी के लिए भी हितकर नहीं कहा जात सकता । उसके ज्ञान को दैनिक कार्यो एवं व्यवहार में लाया जाना संभव नहीं होगा । उसका ज्ञान मात्र उपदेषों तक ही सीमित रह जाएगा । ष् षायद विद्वानों ने इसी लिए कहा है अति सर्वत्र वर्जयेत् ।

( हेमंत कुमार उपाध्याय )
साहित्य कुटीर , गणगौर साधना केन्द्र पं0रामनारायण उपाध्याय वार्ड खण्डवा म0प्र0 9425086246 7999749125 9424949839 [email protected] [email protected]

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