लाखों गरीबों के घर पहली बार हुए रोशन

-आलोक कुमार-
जयपुर/ देश भर में जहां लोग बिजली संकट से बेहाल हैं वहीं राजस्थान में मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के पिछले चार सालों के कार्यकाल में जनता को इस बात का रत्ती भर भी अहसास नहीं हुआ कि किसी भी श्रेणी के उपभोक्ता ने बिजली की भारी कमी महसूस की हो। राज्य सरकार द्वारा आमजन, गांव, गरीब और किसान सहित उद्योगों की तरक्की के लिए ऊर्जा के क्षेत्र में समय-समय पर कठोर किन्तु जनहित के फैसले लेकर एक नजीर कायम की गई है। इन्हीं नीतियों का परिणाम है कि प्रदेश बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो रहा है।
प्रदेश के प्रसारण एवं विद्युत वितरण तंत्र को मजबूत करने का काम भी तेजी से किया जा रहा है। इसके लिए ग्रामीण विद्युतीकरण पर विशेष जोर देते हुए किसानों को पर्याप्त बिजली की आपूर्ति और ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू उपयोग के लिए सिंगल फेस बिजली की समुचित आपूर्ति के लिए राज्य सरकार ने किसानों एवं घरेलू उपभोक्ताओं के हित में अनेक निर्णय किए हैं। नवम्बर, 2008 में राज्य की विद्युत उत्पादन क्षमता 6540 मेगावाट थी, उसमें गत 4 वर्षों में 3954 मेगावाट की वृद्घि करते हुए वर्तमान में कुल उत्पादन क्षमता 10494 मेगावाट हो गई है। इसमें 1070 मेगावाट राज्य क्षेत्र में, 445 मेगावाट केन्द्रीय परियोजनाओं से आवंटन, 616 मेगावाट निजी क्षेत्र से एवं 1823 मेगावाट गैर-परम्परागत स्रोतों से विद्युत उत्पादन में वृद्घि हुई है। उत्पादन परियोजनाओं के प्रारम्भ होने से पूर्व ही प्रसारण तंत्र तैयार करने व कृषि क्षेत्र में निर्बाध विद्युत उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रसारण व वितरण तंत्र का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है।
जिस तरह से देश के करीब-करीब हर कोने में उद्यमी, किसान और गरीब उपभोक्ता बिजली की कमी से त्रस्त हंै, वैसा राजस्थान में कहीं भी देखने को नहीं मिला। कई प्रदेशों में आंदोलन, पलायन जैसे हालात बन गए हैं, लेकिन राजस्थान तमाम संकटों के बावजूद इन सबसे अछूता है। खास तौर पर दक्षिणी राज्यों में तो हालात विकट हैं। राजस्थान में भी बिजली की कमी आई किन्तु सरकार ने सही समय पर बाहर से खरीदकर उपभोक्ताओं को राहत प्रदान की।
राज्य में सात साल बाद पिछले साल बिजली की दरों में बढ़ोतरी की गई, लेकिन इसका असर किसान पर नहीं पडऩ़े दिया गया। सरकार ने अपने घोषणा पत्र का अक्षरश: पालन करते हुए किसानों को बिजली की दरों में बढ़ोतरी से मुक्त रखा और उनका भार स्वयं उठाया। सरकार ने गठन के बाद से 5 साल तक किसानों को बिजली दरों में बढ़ोतरी से मुक्त रखने का संकल्प किया था। हाल ही सरकार ने किसानों के बिजली कनेक्शन का पचास फीसदी खर्च भी उठाने की घोषणा की, जो कि पहले केवल तीस फीसदी था। रबी के दौरान औसतन 1675 लाख यूनिट प्रतिदिन की आवश्यकता के सापेक्ष राज्य के स्रोतों से 1450 लाख यूनिट प्रतिदिन की उपलब्धता है, शेष 225 लाख यूनिट प्रतिदिन की पूर्ति के लिए 53 लाख यूनिट बैंकिंग द्वारा व शेष निविदाओं द्वारा द्विपक्षीय करार से व एनर्जी एक्सचेंज द्वारा की जा रही है। रबी में किसानों को चार ब्लाकों में साप्ताहिक रोटेशन अनुसार रात्रि व दिन के क्रम में प्रतिदिन छह घंटे विद्युत आपूर्ति की जा रही है व ग्रामीण क्षेत्र में घरेलू विद्युत आपूर्ति शहरों की भांति 24 घंटे की जा रही है। इसकी मॉनिटरिंग के लिए सभी 220 केवी जीएसएस क्षेत्र में अधिशासी अभियन्ताओं को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है एवं निदेशक-तकनीकी के स्तर पर निगरानी की जा रही है ताकि ग्रामीण क्षेत्र में पूरी व निर्बाध बिजली मिल सके।
वर्तमान में भी किसानों को रबी के लिए पर्याप्त बिजली दी जा रही है, जिससे इस बार रबी की फसल का रिकार्ड उत्पादन होने के कयास लगाए जा रहे हैं। किसानों को रियायती दरों पर कृषि उपकरण हों अथवा खाद-बीज का वितरण कहीं भी सरकार की ओर से कमी नहीं की गई, जिससे बिजली को लेकर प्रदेश में कोई भी बड़ा आंदोलन नहीं हुआ, जो सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है।
प्रदूषण मुक्त ऊर्जा को बढ़ावा
परम्परागत ऊर्जा के लिए ईंधन की कमी और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के मद्देनजर प्रदूषण मुक्त ऊर्जा यथा सौर, पवन और बायोमास आदि को प्रदेश में बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी के तहत बायोमास उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नीति जारी की गई है। सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए राजस्थान सौर ऊर्जा नीति-2011 जारी की गई, जिसके तहत वर्ष 2013 तक 1500 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। राज्य सरकार की नीतियों का ही परिणाम है कि सौर ऊर्जा उत्पादन में देश दूसरे स्थान पर आ गया है। इसी तरह तीन स्टार या उससे अधिक ऊर्जा दक्षता पम्प सैट स्वेच्छा से स्थापित करने पर नये कृषि कनेक्शन लेने वाले कृषक को 750 रुपये प्रति एच.पी. का अनुदान बिजली के बिल के माध्यम से 12 समान किश्तों में विद्युत वितरण निगमों द्वारा दिया जा रहा है। बूंद-बूंद सिंचाई व फव्वारा पद्घति को स्वेच्छा से अपनाने पर नये कृषि कनेक्शन लेने वाले कृषक को 5 हैक्टेयर तक के क्षेत्रफल के लिए कुल लागत का 70 प्रतिशत अनुदान भी कृषि विभाग की ओर से दिया जाएगा। शहरी क्षेत्र के बीपीएल परिवारों को मात्र 2500 रुपये में बिजली के कनेक्शन दिए जा रहे हैं, जिससे गरीब की झोपड़ी भी रोशन हो उठी है।
प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए बजट घोषणा के अनुरूप बेहतर सेवा प्रदान करने व विद्युत छीजत को कम करने के उद्देश्य से वितरण निगमों में अधिक छीजत वाले वृत, खण्ड व उपखण्डों के पुनर्गठन के लिए राज्य सरकार की स्वीकृति से 10 वृत कार्यालय, 47 खण्ड कार्यालय, 167 उपखण्ड कार्यालय तथा 11 नये विद्युत चोरी निरोधक पुलिस थाने स्थापित किये गये हैं। केन्द्र सरकार से स्वीकृत आर-एपीडीआरपी के अन्तर्गत शहरी क्षेत्रों में विद्युत छीजत को कम करने के लिए 82 शहरों में वितरण तंत्र के सुदृढ़ीकरण का कार्य चल रहा है। वितरण क्षेत्र में विद्युत छीजत में वर्तमान चार वर्षों में 12 प्रतिशत की कमी लाते हुए 3592 करोड़ रुपए के राजस्व की बचत की गई है एवं विद्युत छीजत को 15 प्रतिशत के स्तर तक लाने का लक्ष्य है।
बड़े भवनों में ऊर्जा के दक्ष उपयोग एवं इसके संरक्षण के लिए ऊर्जा संरक्षण भवन दिशा-निर्देश पिछले साल जारी कर दिए गए। निजी क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने नीति में संशोधन कर नए प्रावधानों के तहत मैसर्स जेएसडब्ल्यू एनर्जी को बाड़मेर में 2 गुणा135 मेगावाट क्षमता की परियोजना स्थापित करने की अनुमति गत वर्ष दी गई।
राज्य सरकार एवं मैसर्स श्री सिद्घि एनरटेक लि. के बीच बांसवाड़ा में 1200+ जमा 10 प्रतिशत क्षमता की कोयला आधारित तापीय परियोजना स्थापित करन के लिए गत वर्ष मई माह में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। सितम्बर, 2011 में टैरिफ में की गई वृद्घि का भार बीपीएल (10.72 लाख उपभोक्ता), छोटे घरेलू उपभोक्ताओं (50 यूनिट प्रतिमाह तक उपभोग करने वाले 33.15 लाख उपभोक्ता) एवं कृषकों (10.59 लाख उपभोक्ता) पर नहीं डालकर वितरण निगमों को वर्ष 2011-12 में 1000 करोड़ रुपए का अनुदान दिया गया।
अगस्त, 2012 में टैरिफ में की गई वृद्घि का भार बीपीएल (13.28 लाख उपभोक्ता), छोटे घरेलू उपभोक्ताओं (50 यूनिट प्रतिमाह तक उपभोग करने वाले 32.39 लाख उपभोक्ता) एवं कृषकों (10.80 लाख उपभोक्ता) पर नहीं डालकर वितरण निगमों को वर्ष 2012-13 में 2386 करोड़ तथा वर्ष 2013-14 में 3120 करोड़ रुपये का अनुदान दिया जाएगा। वितरण निगमों की वित्तीय स्थिति सुदृढ़ करने के लिए दीर्घकालीन कार्य योजना अनुमोदित की गई है।
बढ़ेगी विद्युत क्षमता
11वीं पंचवर्षीय योजना की शेष अवधि में 1860 मेगावाट क्षमता की वृद्घि किया जाना प्रस्तावित है, जिसमें 1200 मेगावाट कालींिसंध परियोजना, 500 मेगावाट छबड़ा तापीय विद्युत परियोजना इकाई 3 एवं 4 तथा 160 मेगावाट क्षमता की रामगढ़ गैस तापीय विद्युत परियोजना को कमीशन कर विद्युत उत्पादन प्रारम्भ करना सम्मिलित है। इन सभी परियोजनाओं पर कार्य प्रगति पर है तथा मार्च, 2013 तक विद्युत उत्पादन शुरू हो जाएगा।
12वं पंचवर्षीय योजना की अवधि में स्थापित होने वाली 11590 मेगावाट क्षमता की 14 विद्युत परियोजनाओं की स्वीकृति दी गई है जिनमें राज्य की 7750 मेगावाट क्षमता की 9 विद्युत परियोजनायें तथा निजी क्षेत्र की 3840 मेगावाट क्षमता की 5 विद्युत परियोजनाएं शामिल हैं।
इनमें राज्य क्षेत्र की छबड़ा थर्मल परियोजना यूनिट 5 व 6-1320 मेगावाट, सूरतगढ़ थर्मल परियोजना यूनिट 7 व 8-1320 मेगावाट, सूरतगढ़ थर्मल परियोजना यूनिट 9 व 10-1320 मेगावाट, कालीसिंध थर्मल परियोजना यूनिट 3 व 4-1320 मेगावाट, बांसवाड़ा थर्मल परियोजना यूनिट 1 व 2-1320 मेगावाट, धौलपुर गैस परियोजना चरण-2-330 मेगावाट, छबड़ा गैस परियोजना -330 मेगावाट, कोटा गैस परियोजना-330 मेगावाट, रामगढ़ गैस परियोजना चरण-4 – 160 मेगावाट सहित कुल 7750 मेगावाट क्षमता शामिल है।
इसी तरह निजी क्षेत्र की बांसवाड़ा थर्मल परियोजना – 1320 मेगावाट, गिरल लिग्लाईट परियोजना यूनिट 3 व 4-250 मेगावाट, गुढ़ा लिग्नाइट परियोजना -70 मेगावाट, केशोरायपाटन गैस परियोजना – 1000 मेगावाट, कवाई तापीय परियोजना-1200 मेगावाट सहित कुल 3840 मेगावाट क्षमता शामिल है।
सरकार ने 2012 करोड़ रुपये की लागत से 800 नये 33 केवी जी.एस.एस. ग्राम पंचायत विद्युत वितरण योजना के तहत स्वीकृत किए गए हैं। संशोधित त्वरित विद्युत विकास सुधार कार्यक्रम के अन्तर्गत 82 शहरों के वितरण तंत्र के सुदृढ़ीकरण हेतु 1540 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत की गई है।
चार साल की अवधि में 6168 करोड़ रुपए राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम, 10583 करोड़ रुपये राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम तथा 13548 करोड़ रुपये विद्युत वितरण निगमों द्वारा (कुल 30299 करोड़ रुपये) खर्च किये गये।
125 मेगावाट गिरल इकाई-द्वितीय, 250 मेगावाट सूरतगढ़ तापीय विद्युतगृह की छठी इकाई, 195 मेगावाट कोटा तापीय विद्युतगृह की सातवी इकाई, 250 मेगावाट क्षमता की छबड़ा तापीय विद्युतगृह की प्रथम इकाई व 250 मेगावाट क्षमता की छबड़ा तापीय विद्युत गृह की द्वितीय इकाई को क्रमश 26 दिसम्बर, 2008, 29 अगस्त, 2009, 31 अगस्त, 2009, 30 अक्टूबर, 2009 तथा 3 मई, 2010 को कमीशन कर विद्युत उत्पादन प्रारंभ किया जा चुका है।,
चार साल में विद्युत क्षमता में 3,927 मेगावाट की वृद्घि
400 केवी के 5, 220 केवी के 20 एवं 132 केवी के 76 ग्रिड सब-स्टेशन स्थापित कर चालू किये गये। इसी प्रकार 400 केवी की 1808 सर्किट किमी, 220 केवी की 2323 सर्किट किमी तथा 132 केवी की 1938 सर्किट किमी लाइनें डाली गईं। 220 एवं 132 केवी के ग्रिड सब-स्टेशनों की स्थापित क्षमता में 12044 एमवीए की वृद्घि की गई। गांव-गरीब को संबल 2430 गावों का विद्युतीकरण, 2,25,175 कुओं का ऊर्जीकरण तथा 266 हरिजन बस्तियों का विद्युतीकरण किया गया तथा 6,40,598 कुटीर ज्योति कनेक्शन दिये गये। 37,455 अनुसूचित जाति के कुओं का ऊर्जीकरण किया गया। 33 केवी के 1100 ग्रिड सब-स्टेशन बनाकर चालू किए गए तथा 6640 किमी लाइनें डाली गईं। 6 लाख 40 हजार 598 बीपीएल परिवारों को विद्युत कनेक्शन जारी किए गए। 1536 मेगावाट पवन ऊर्जा परियोजनाओं से तथा 60 मेगावाट बायोमास परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन प्रारम्भ किया गया। 50,754 घरेलू लाइटिंग सिस्टम स्थापित किए गए।
राज्य में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन एवं अन्य योजना में 978 मेगावाट क्षमता के सोलर पावर प्लांट्स लगाने के लिए स्वीकृति दी गई है। अब तक 201 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजना से विद्युत उत्पादन प्रारम्भ कर दिया गया है। आरएपीपी इकाई 7 एवं 8 (2 गुणा 700 मेगावाट) से उत्पादित विद्युत में राजस्थान को 50 प्रतिशत विद्युत का आवंटन किया गया है।
बांसवाड़ा में स्थापित की जाने वाली परमाणु विद्युत परियेाजना से उत्पादित विद्युत में से 50 प्रतिशत विद्युत राजस्थान को आवंटित करने की सहमति दी गई है। राज्य में पहली बार 2 गुणा 660 मेगावाट क्षमता के सुपर क्रिटिकल तापीय विद्युतगृहों की स्थापना सूरतगढ़, छबड़ा एवं बासंवाड़ा में की जाने की स्वीकृति दी गई।
देश में पहली बार 132 के.वी. हाइब्रिड गैस इन्सुलेटेड स्वीच गियर आधारित विद्युत सब स्टेशन सवाई मानसिंह स्टेडियम, जयपुर में स्थापित कर चालू किया जा चुका है तथा 132 केवी हाइब्रिड गैस इन्सूलेटेड सब स्टेशन कुड़ भगतासनी व प्रतापनगर, जोधपुर में स्थापित करने के कार्य आदेश जारी किये जा चुके हैं। 220 केवी जीएसएस इन्सूलेटेड स्विच गियर सब स्टेशन नला पावर हाऊस, जयपुर मय 220 केवी केबल सर्किट निर्माण के लिए कार्यादेश जारी किये गये हैं।
राज्य में पहली बार पूर्व जी.आई.एस आधारित 132 के.वी. गैस इन्सूलेटेड स्वीच गियर सब स्टेशन न्यू झोटवाड़ा व पी.डब्लू.डी. बंगलामय 132 केवी केबल सर्किट, जयपुर में स्थापित किया जा रहा है, जिसका कार्य प्रगति पर है। 132 के.वी. गैस इन्सूलेटेड स्वीच गियर सब स्टेशन पुराना पावर हाऊस, जोधपुर एवं एम एन आई टी, जयपुर में स्थापित करने के कार्य आदेश जारी कर दिए गए हैं ।
पहली बार 132 के.वी. की मौजूदा लाइन को उसी जगह पर 220 के.वी. लाइनों में बदलने के लिए 220 के.वी. नैरोबेस टावर बनाने का कार्य प्रगति पर है। राज्य में पहली बार 400 के.वी. एवं 200 के.वी. हीरापुरा पर आटोमेशन एवं रिमोट कन्ट्रोल सिस्टम की स्थापना की गई है। राज्य क्षेत्र में पहली बार 765 केवी सब स्टेशन अन्ता (बांरा) व फागी (जयपुर) में स्थापित करने व 765 केवी की दो लाईनों के निर्माण के कार्य की स्वीकृति जारी की गई है। लाइनों के निर्माण के आदेश जारी कर दिये गये हैं तथा कार्य प्रगति पर है।
राज्य सरकार ने प्रदेश के दूर-दराज के गांवों में बिजली की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए केन्द्र सरकार से स्वीकृत राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में 10वीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत 505 करोड़ रुपए की 25 योजनाओं का कार्य वर्ष 2009 में ही पूरा कर लिया है। 11वीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत 825 करोड़ रूपये की 15 योजनाओं पर कार्य प्रगति पर है। इस योजना के तहत अक्टूबर, 2012 तक अविद्युतिकृत 4042 गांव, 8193 गांवों का सघन विद्युतीकरण, 31557 गांवों में वितरण तंत्र का विस्तार, 9392 ढााणियों का विद्युतीकरण तथा 11 लाख 02 हजार 935 बीपीएल परिवारों को घरेलू कनेक्शन दिये जा चुके है।
अक्षय ऊर्जा विकास में कई पुरस्कार
बायोमास एवं सोलर के क्षेत्र में किये गये उत्कृष्ट कार्य के लिए राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम को एन.डी.टी.वी. प्रोफिट द्वारा एन्वायरमेंटल मीडिया एसोसिएशन दश्वरू्र½ अवार्ड, 2009 का ईमा पावर अवार्ड, 2009 के अन्तर्गत प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया।
राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में विभिन्न विकल्पों यथा पीवी तकनीकी, थीम फिल्म तकनीक, सोलर तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए इण्डिया पावर अवार्ड, 2009 प्रदान किया गया। राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम को 28 जनवरी,2010 को 220/132 केवी किशनगढ़ सब स्टेशन को गोल्ड शील्ड तथा छबड़ा से डहरा 400 केवी प्रसारण लाइन के कार्य को समय से पूर्ण करने पर सिल्वर शील्ड प्रदान की गई।
राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम को राज्य में निजी क्षेत्र के निवेश को आकर्षित करने तथा नई नीतियां जारी करने के क्षेत्र में चतुर्थ एनशिया अवार्ड प्रदान किया गया। राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम को वर्ष 2011 में पवन ऊर्जा क्षमता में सर्वाधिक प्रतिशत बढ़ोतरी के लिए विण्ड इन्डिया-2011 में बेस्ट विण्ड पावर डवलपर स्टेट का प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया।
राज्य सरकार की आमजन हितकारी नीतियों का ही परिणाम है कि गत चार वर्षों में प्रदेश में प्रति व्यक्ति बिजली का वार्षिक उपभोग 24 प्रतिशत बढ़ गया है। यह राज्य के समग्र विकास का सूचकांक है।

1 thought on “लाखों गरीबों के घर पहली बार हुए रोशन”

  1. मेने कृषि कनेक्शन के लिए दिसम्बर 2010 फाईल जमा कराई लेकिन अभी तक मेरा कृषि कनेक्शन नही आया मुझे ईसकी जानकारी चाहिऐ

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