इराक में 40 भारतीय अगवा, 46 नर्सें भी फंसीं

iraqइराक के मोसुल शहर में एक प्रॉजेक्ट के लिए काम कर रहे 40 भारतीयों को अगवा कर लिया गया है। ये सभी लोग वहां कंस्ट्रक्शन का काम करते थे। अगवा भारतीयों के परिजनों ने इस बात की पुष्टि की है। इनकी किडनैपिंग के पीछे इस्लामिक स्टेट इन इराक ऐंड अल-शाम (आईएसआईएस) आतंकियों के हाथ होने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि किसी भी गुट ने अभी तक अपनी ओर से न तो इसकी जानकारी दी है, न ही कोई डिमांड की गई है। तिकरित में 46 भारतीय नर्सों के फंसे होने की भी खबर है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारतीयों के अगवा होने की पुष्टि नहीं की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने बताया कि 40 लोगों से संपर्क नहीं हो पा रहा है, लेकिन इनके अगवा होने की कोई सूचना नहीं है। उन्होंने कहा कि इराक की स्थिति पर नजर बनाए रखने के लिए नई दिल्ली स्थित विदेश मंत्रालय में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है। इराक के मोसुल शहर से जब इन भारतीयों को निकाला जा रहा था, तभी शायद इनका अपहरण कर लिया गया था। सुन्नी जेहादियों ने प्राकृतिक तेल से भरपूर मोसुल शहर को अपने कब्जे में कर लिया था। हालांकि यहां के स्थानीय कुर्द मिलिसिया ने आईएसआईएस आतंकियों को खदेड़ कर इस शहर पर अपना कब्जा कर लिया है। भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षित देश वापसी के लिए हर संभव प्रयास में जुटी है। इराक में भारत के पूर्व राजदूत सुरेश रेड्डी को समझौते के लिए भेजा गया है। रेड्डी को हाल ही में आसियान का विशेष दूत नियुक्त किया गया है। रेड्डी को इराक में अच्छे संपर्क होने के कारण यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश नीति के विशेषज्ञों और सुरक्षा सलाहकारों को स्पष्ट कहा है कि अगवा भारतीयों की सुरक्षित देश वापसी में कोई कोताही नहीं बरतनी है। सरकारी सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल खुद ही रेस्क्यू मिशन को कोऑर्डिनेट कर रहे हैं। सद्दाम हुसैन के गृह शहर तिकरित में 46 भारतीय नर्सें भी फंसी हुई हैं। इनमें से 14 वहां से निकल कर भारत वापस आना चाहती हैं, जबकि अन्य का कहना है कि डर का माहौल है, लेकिन वह सुरक्षित हैं। गौरतलब है कि इराक में गृह युद्ध सी स्थिति बनी हुई है। सुन्नी जिहादियों ने शिया समर्थित इराक सरकार के खिलाफ जंग छेड़ रखी है।

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