वैदिक जी के खिलाफ भारतीय संविधान के अपमान का मुकदमा दर्ज करवाएं

कीर्ति शर्मा पाठक
कीर्ति शर्मा पाठक

कोई संसद पर आतंकी हमला करता है ….
और
कोई शाब्दिक हमला …
पर
हमला तो हमारे लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर पर ही होता है ना …

माननीय वैदिक जी ने लोकतंत्र के इस मंदिर पर थूकने को कहा तो इस का अर्थ हुआ कि उन्होंने संविधान को आहत किया …
और
सांसदों को मूर्ख ठहराने का अर्थ तो सीधे लोकतंत्र की मर्यादा पर चोट करना हुआ …

उन करोड़ों मतदाताओं को बुद्धिहीन कहा उन्होंने जिन्होनें सांसदों को चुन कर संसद में कार्य सम्पादन हेतु भेजा है ….

इसी प्रकार राष्ट्रपिता पर अनर्गल टिप्पणी की ….

इन सब टिप्पणियों को हलके में नहीं लिया जा सकता …

भारतीय जनता की कमज़ोरी है कि हम रोष प्रकट करते हैं …
और
दोषी खेद प्रकट करता है …
और
अनुचित अनर्गल वक्तव्य रद्दी की टोकरी में दफ़न हो जाता है ….

परन्तु क्या देश के संविधान को आहत करने वालों को इतने हलके में छोड़ दिया जाना चाहिए ?
ताकि
ये देश की गरिमा पर आघात होते रहें ?
और
माँ भारती का ह्रदय छलनी होता रहे ?

अब देश भक्ति के स्वर गूंजने चाहिए …
और
हर शाब्दिक देश द्रोही को भी सबक मिलना ही चाहिए …

अजमेर के प्रथम लिटरेरी फेस्टिवल के आयोजकों से अनुरोध है कि वे इस वक्तव्य पर कार्यवाही करते हुए तुरंत प्रभाव से कोर्ट में वैदिक जी के खिलाफ भारतीय संविधान के अपमान का मुकदमा दर्ज करवाएं …
सामाजिक कार्यकर्त्री श्रीमती कीर्ति शर्मा पाठक की फेसबुक वाल से साभार

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