वसुंधराराजे का सिहांसन डोल रहा है

vasundhara 20-कुलदीप भारत रस्तोगी- cm वसुंधराराजे का सिहांसन डोल रहा है, यदि हरियाणा, महाराष्ट्र में बीजेपी ने सरकार बना ली तो राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलना तय मानो.’कांग्रेस-कल्चर’ के साथ शासन चला रही वसुंधरा से rss,pm नरेंदर मोदी दोनों खफा है.ललित मोदी की rca से बेदखली राजस्थान में किसी बड़े परिवर्तन की आहट है.संघ को वसुंधरा का पहला कार्यकाल(2003-08) भी पसंद नहीं था लेकिन मजबूरी में बर्दाश्त किया.अब ठिकाने लगाने की रणनीति तय कर ली है.सता का ध्रुवीकरण,भर्ष्टाचार,प्रशासनिक शिथिलता के साथ घोर हठी होना उनकी बड़ी कमजोरी है.चाटुकार,भ्रष्ट लोग उन्हें घेरे रहे है.मंत्रिमंडल में एसे लोगों को अधिक इम्पोर्टेंस रहता है.कुलमिलाकर संघ को फूटी आँख नहीं सुहाती है.लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे,केन्द्रीय मंत्री-मंडल के गठन के दौरान उन्होंने जो तेवर दिखाए उसने मोदी की नाराजगी की आग में घी दाल दिया.देश के तमाम bjp शासित राज्यों के cm में वसुंधरा एक-मात्र cm है जो भर्ष्टाचार के प्रति लचीली है,या यह कहा जाये की खुद शामिल है तो गलत नहीं है.pm मोदी को यह प्रवृति सहन नहीं है.लेकिन सता संभालने के बाद इन समस्याओं की और ध्यान देने के लिए समय नहीं मिला.पहले विदेश-नीति,इससे जुड़े पहलुओं को देखा है.अब देश के दो इम्पोर्टेन्ट राज्यों के विधानसभा चुनाव में व्यस्त है.इससे फुरशत मिलते ही राजस्थान की फाइल खुलेगी.जिसमे यही अनुमान लगाया जा रहा है की वसुंधरा की छुटी होगी.सितम्बर के आखिरी सप्ताह में चर्चा थी कि राज्य मंत्रिमंडल का विस्तार होगा.लेकिन यह लटक गया क्योंकि bjp अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हें मुलाकात के लिए समय ही नहीं दिया.न्यू-देहली के सिंधिया विला में गुलाबचंद कटारिया,भूपेन्द्र यादव,पार्टी प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी के साथ तीन दिन इंतजार किया.पार्टी के राष्ट्रिय सह-संगठन मंत्री श्योदान सिंह से ही मुलाक़ात हो पाई.अब 18 अक्टूबर को अमित शाह के मिलने की उमीद है.शायद इसी भड़ास में वसुंधरा ने ‘जीत को कोई निजी करिश्मा नहीं समझे’ का विवादित बयान दिया था.यह मोदी के प्रति उनकी तिलमिलाहट थी.वसुंधरा की कार्यशैली को नापसंद करने वाले bjp,संघ के शीर्ष नेत्र्तव को विधानसभा उपचुनाव ने अच्छा मौका दिया है.कुछ लोगों को यह उम्मीद है की राज्य के अधिकांस विधायक वसुंधरा के साथ है लेकिन उनके खिलाफ इतना मसला ‘on-record’ इकठ्ठा हो चूका है कि या तो वो हटने का निर्देश मानेंगी वरना जयललिता की तरह सीधा जेल जाएँगी.पिछले टेन्योर में उन्हें हटाने की सोचने वालों के सामने यही समस्या थी.वसुंधरा के विकल्प के रूप में सबसे ऊपर ‘ओम-माथुर’ उभरे है.वह मोदी के नजदीकी है.उनके बाद गुलाबचंद कटारिया,धनश्याम तिवारी के नाम लिए जा रहे है.चोथा नाम भूपेंद यादव का भी सुनने को मिल रहा है.वैसे इस फैसले पर कुछ देरी हो सकती है लेकिन पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी की इसी महीने विदाई हो सकती है.
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5 thoughts on “वसुंधराराजे का सिहांसन डोल रहा है”

  1. आपका दिमाग ठिक नही होतो ईलाज करवाहीये लेकिन बिना सिर पैर की बाते मत लिखिये ।

  2. यह कैसी पतरकारिता है कुछ भी लिखो जो मनमे आया ! पता नही ईस देश मे मीडिया की गुणवता का आखिर कया होगा जब ऐसे लोग पतरकार बन बैठतै है जिनहे कुछ मालुम नही !

    जोयि

  3. कुलदीपजी आप को पतरकारिता नही करनी चाहियो आपको कुछ भी मालूम ही नही है अब देखिये कया होता है ……………………..ति का

  4. मेरे को लगता है कि तुमहारे हाथ-पैर और सिर भी डौलना शुरु करेगा ।

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