पुष्कर तीर्थ की ऐसी दुर्दशा

pushkar ekadashi 450में ये सोचने पर मजबूर हु की पुष्कर जो की विद्वानों की नगरी है जहा ब्राह्मणों की संख्या इतनी है ये वही ब्राह्मण है जो चाणक्य जैसे विद्वान थे पर फिर भी ये लोग क्यों नहीं समज पा रहे है की क्यों कोई हमारे इस पावन तीर्थ की दुर्दशा करने की सोच रहा है क्यों कोई हमारे विश्व परसिद्ध पुष्कर मेले की दुर्दशा करने पर आमादा है पहले ही प्रशासन मेले को बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है मेले की कोई व्यवस्था नहीं हो रही है मेले जैसा कुछ भी दिकाई नहीं दे रहा है और ऊपर से आज जिला कलेक्टर„व् s.d.m.और नगर पालिका e.o.तक बदल    दिया जाता है क्यों????
क्यों ये दिक् मेला शुरू होने के दिक् एक दिन पहले क्या ये कोई सोची समजी साजिश है???
क्या आप को लगता जो भी अधिकारी आज बदले गए है वो इन चंद घंटो में पूरी मेला समज पाएंगे या समज गए होंगे  क्या ये मेला हमेशा की तरह भरवा सकेंगे ?????
मुझे तो नहीं लगता आप मुझसे कई ज्यादा बुदिमान है आप जवाब दे
और कृपया इस post को कोई राजनीती से जोड़ कर ना देखे दुख होता है पुष्कर तीर्थ की ऐसी दुर्दशा देक के
पुष्कर का एक आम नागरिक
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