सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्मदिन जिस पर मोदी जी ने एक मैराथन “रन फाॅर यूनिटी” का आयोजन किया। लेकिन यह आयोजन सिर्फ और सिर्फ एक राजनीतिक षड्यंत्र है क्योंकि यह विस्मृत नही किया जा सकता है कि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या के चार दिन पश्चात ही सरदार पटेल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था और लगभग 25 हजार संघियों को गिरफ्तार किया गया था तथा सरदार पटेल ने जीते जी संघ विचारधारा की हमेशा आलोचना की थी।
यह बात समझनी होगी कि प्रतीकों का इस्तेमाल सिर्फ प्रतिकात्मक नही हो सकता, वह व्यवहार में भी दिखना चाहिए। जिन्दगी भर जीते जी जिन्दा आदमियों में हिन्दू मुस्लिम के नाम पर खूनी संघर्ष को जन्म देने वाले जब महात्मा गाँधी और सरदार पटेल को अपना नेता मानते हैं तो ये विरोधाभास उनकी बदनीयती का प्रतीक बन जाता है और उन दो ऐतिहासिक नायकों सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरू को एक दूसरे का दुश्मन साबित करने की साजिश का मंतव्य प्रकट करता है जो कईं विपरीत मतों के पश्चात भी एक थे, 30 वर्षों तक एक साथ थे, एक दूसरे का सम्मान करते थे।यह नरेंद्र मोदी का संघ से दीक्षित होने का एक प्रबल प्रमाण है और उसी दीक्षा के तहत यह आयोजन एक घिनौना राजनीतिक षड्यंत्र है। यह ठीक उसी तरह है जैसे हिटलर की वैचारिक पैदाइश हिटलर विचारधारा का सरताज बन राजनीतिक षड्यंत्र के तहत जनता को दिग्भ्रमित करने के लिए गाँधी जी का गुणगान करता है। जबकि गाँधी और हिटलर दो विपरीत विचारधारा के प्रतिनिधि अथवा नायक हैं।
सीधे शब्दों में कहा जाए तो यह कृत्य “गाँधी जी की खाल में हिटलर” जैसे चरित्र का प्रतिरूपण है ।यह एक बेहद शातिराना साजिश है। ये कैसा कांग्रेस मुक्त भारत का आह्वान है ? ये कैसा गाँधी और पटेल जैसे धर्मनिरपेक्ष नेताओं के प्रति प्रेम है जबकि इन षड्यंत्रकारियों का मूल धर्म साम्प्रदायिकता है। यह विरोधाभास ही घिनौने राजनीतिक षड्यंत्र का प्रमाण है।
अगर मोदी जी वास्तव में ही देश के नायकों के सम्मान में ऐसा कर रहे हैं तो आज देश की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की पुण्यतिथि थी लेकिन मोदी जी ने उनके सम्मान में कोई आयोजन नहीं किया। यही नहीं पटेल के साथी राष्ट्रीय जन नायक मौलाना ज़नाब अब्दुल कलाम देश के प्रथम शिक्षामंत्री का 11 नवंबर को 125 वीं वर्षगांठ है उस के उपलक्ष्य में किसी तरह के कार्यक्रम का आयोजन तैय नही किया गया है क्योंकि नेहरू और मौलाना के मध्य जरा भी मतभेद नहीं थे जबकि नेहरू और पटेल के मध्य कुछ मुद्दों पर आपसी असहमति थी इसी असहमति को भुनाने के लिए मोदी जी का षड्यंत्र साफ जाहिर है।
इसके अतिरिक्त एक पक्ष ये भी है कि महात्मा गाँधी जी और सरदार पटेल दोनों गुजरात के रहने वाले थे इसलिए मोदी जी उनकी उपेक्षा नहीं कर पा रहे हैं जबकि 2 अक्टूबर को पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिन था लेकिन उन्हें कोई तवज्जो नहीं दी गई। एक व्यक्ति जो क्षेत्रवाद और धर्मवाद जैसी मानसिकता का शिकार हो उसका भारत जैसे देश का प्रधानमंत्री होना दुर्भाग्य पूर्ण ह ।
शर्मनाक, बेहद शर्मनाक।
DrVibhuti Bhushan Sharma
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