मानना पड़ेगा कि मोदी बड़े मीडिया मैनेजर है

modiमानना पड़ेगा कि मोदी बड़े मीडिया मैनेजर है।हर खबरिया चैनल चिल्ला रहा है हर अख़बार बांच रहा है कि मोदी ने ओबामा को भारत बुला कर मानो अलादीन का चिराग हासिल कर लिया हो।नामचीन पत्रकार दावा कर रहे है कि भारतीय प्रधानमंत्री ने प्रोटोकॉल तोड़ कर ओबामा की एअरपोर्ट जाकर अगवानी की अरे भाई चार साल पहले मनमोहन सिंह भी बेचारे अपनी पत्नी के साथ गए थे तब आप सब चश्मा पहने थे क्या।खैर अमेरिका के प्रति या यूँ कहिए कि पश्चिमी देशो के नेताओं के प्रति भारतीय नेताओ का रैवैया बेहतर नहीं रहा।कमाल ही कहिएगा कि पाकिस्तान के नेताओ को भी हमने अतिथि बनाया।लेकिन आज जिस अमेरिका और भारत के बेहतर रिश्तों की बात हो रही है उसके शिल्पी सही मायने में स्व पी वी नरसिम्हा राव थे और उसके बाद प्रधानमंत्री ने मनमोहन सिंह ने जब अपनी सरकार को दाव पर लगाया तो वो ऊर्जा के लिए नहीं था अपितु विदेश नीति में एक अहम परिवर्तन के लिए था। अमेरिका की छवि एक मौकापरस्त मुल्क की रही है और भारत का कभी स्वाभाविक सहयोगी अमेरिका नहीं रहा पर फिर भी जरूरत के वक्त अमेरिका भारत के लिए उपलब्ध था 1962 की भारत की हार के बाद हो 1965 के सूखे के बाद की मदद हो। एक बार फिर अमेरिका भारत के सम्बन्धो पर चर्चा हो रही है।मोदी जो अभी तक अच्छा बोलने वाले और दुनिया घूमने वाले प्रधानमंत्री के तौर पर उभरे है पर लोगो की निगाहे है  सबकी आँखे टिकी है  मोदी पर.. शानदार नाश्ते डिनर स्वागत नर्मदा विजिट और….  हाँ सेल्फ़ी के बाद ….अब कुछ सफलताओं का इंतज़ार कूटनीतिक मोर्चो पर रहेगा।।
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