हे अन्ना एक और अनशन कर दो, अबकी मैं भी आऊंगा !!

Anna-hazare 450हे अन्ना एक और अनशन कर दो, अबकी मैं भी आऊंगा !!
चढ़ कंधे पर तेरे मैं भी, पार्टी नई बनाऊंगा !
खाँस – खाँस कर इस जनता से ढेरों वोटें पाउँगा !
दे गाली कांग्रेस – को, सीएम मैं बन जाऊंगा !
साथ छोड़ते मेरे साथी, उनको सबसे ” भ्रष्ट ” बताऊंगा !
हे अन्ना एक और अनशन कर दो, अबकी मैं भी आऊंगा !!

खुद का तो मुझे पता नहीं, पर सब पर ऊँगली उठाऊंगा !
झूठ बोलकर दिल्ली की जनता को, हर पल बुद्धू बनाऊंगा !
कौन बेईमान – किसमें है इमां, यह सब मैं ही बताऊंगा !
आये शरण में जो भी मेरी, उसे ” हरीशचंद्र ” बतलाऊंगा !
हे अन्ना एक और अनशन कर दो, अबकी मैं भी आऊंगा !!

नित्य करूँ कुछ ऐसा ” ड्रामा ” मैं ” नौटंकी ” कहलाऊंगा !
कभी सड़क – कभी सचिवालय, बिछा ” दरी ” सो जाऊंगा !
संविधान की क्या ” मर्यादा ” मैं ” अराजकता ” फैलाऊँगा !
कैसी शपथ और कैसा कानून, स्वयं ” चुनौती ” बन जाऊंगा !
हे अन्ना एक और अनशन कर दो, अबकी मैं भी आऊंगा !!

नहीं पहननी मुझको ” खादी “, इमेज गढूंगा सीधी – सादी !
पहन के स्वेटर – ओढ़ के ” मफलर “, आम – आदमी बन जाऊंगा !
कभी झोंपड़ी – कभी गली में, फोटो खूब खिचाऊंगा !
पब्लिसिटी मुझे चाहिए , नित नई कहानी सुनाऊंगा !
हे अन्ना एक और अनशन कर दो, अबकी मैं भी आऊंगा !!

ना कोई जादू – ना कोई जंत्री, नाम मिला मुझे ” धरना मंत्री ” !
जलवा मेरा होगा ऐसा, घूमें पीछे मंत्री – संत्री !
पूँछ पकड़ कर ” जन लोकपाल ” की, संसद मैं भी जाऊंगा !
” अन्ना ” मेरी बात सुनो, धरना छोडो ” गद्दी ” चुनो !
” राजनीति ” की पहन ली टोपी, अब सबको पहनाऊंगा !
हे अन्ना एक और अनशन कर दो, अबकी मैं भी आऊंगा !!

सर पर टोपी – हाथ में झाड़ू, नेता हूँ मैं सबसे ” ताड़ू ” !
ताड़ के मौका – सबसे पहले, तीसरे मोर्चे में जाऊंगा !
” ड्रामे ” की पटकथा भी सुन लो, जनता दरबार लगाउँगा !
अगर जबाव न दे पाया, फिर भाग के ” छत ” चढ़ जाऊंगा !
हे अन्ना एक और अनशन कर दो, अबकी मैं भी आऊंगा !!

चप्पल – जूते – थप्पड़ – स्याही, कुछ मत फेंको मेरे भाई !
एक बार फिर दे दो ” मांफी “, अब ” कुर्सी ” गले लगाउँगा !
विधानसभा को भंग कर दो, ये आरोप ” कमल ” पे धर दो !
” जनता ” तो ” मन ” बना चुकी है, ऐसा ” सर्वे ” कराऊंगा !
हे अन्ना एक और अनशन कर दो, अबकी मैं भी आऊंगा !!

दिल्ली अब भी मुझको चाहती, रोज हजारों मिलती ” पाती ” !
” अफवाहें ” ऐसी फैला दो, ” 36 ” सीटें दिल्ली में पाउँगा !
चुनाव बाद कुछ कमी जो रह गई, ” कमल ” लहर में जनता बह गई !
” बच्चों ” की मैं कसम हूँ खाता, फिर ” हाथ ” से ” हाथ ” मिलाऊंगा !
हे अन्ना एक और अनशन कर दो, अबकी मैं भी आऊंगा
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