अजमेरी कहने में सचमुच शर्म महसूस हो रही है

mahesh nebhwaniआज घटित हुई घटना के कारण मुझे अपने आप को अजमेरी कहने में सचमुच शर्म महसूस हो रही है, मैं तो सोचता था की इस प्रकार की घटना सिर्फ मुंबई या दिल्ली में ही होती है. मेरे शहर अजमेर के लोगो का दिल इतना निर्दयी होगा मैने कभी नहीं सोचा था,
आज दिन के करीब एक बजे जब मैं किसी काम से पुरानी मंडी के लिए जा रहा था , जब मैं मदार गेट पर पहुंचा तो देखा की एक बुजुर्ग आदमी जिसके उपर एक कम्बल था, बीच चोराये पर मूसलाधार बारिश के बीच सड़क पर गिरा पड़ा है, ट्रैफिक पुलिस वाले लोगो का चालान काटने मैं व्यस्त थे, अजमेर का अस्त व्यस्त ट्रैफिक बदस्तूर उस बरसात मैं गिरे बुजर्ग के आस पास से निकल रहा था, दुकानदार अपनी दुकानदारी मे और ठेले वाले अपने फ्रूट बेचने में व्यस्त थे , किसी को भी उस रोड पर गिरे व्यक्ति से कोई सरोकार नहीं था, मै भी पहले तो उस सड़क पर लैटे हुए बुजुर्ग को नजर अंदाज करते हुए आगे बड़ गया, लेकिन मुझ से जब रहा नहीं गया तो मैने अपनी बाइक को खड़ा कर एक फ्रूट बेचनेवाली से पूछा तो उसने कहा बाउजी कोई फ़क़ीर है एक घंटे से पड़ा है, मुझ से नहीं रहा गया, मेने उस फ़क़ीर के पास जा कर देखा तो वो एक सफ़ेद दाढ़ी वाला कमजोर सा शख्श था जिसके पूरे कपडे बारिश के कारण गीले थे और उस पर पड़ा कंबल भी पूरी तरह से गीला था, और वो बुजर्ग ठण्ड के कारण कम्कम्पा रहा था, मेने उससे से पूछा ” बाबा क्या हुआ ? तबियत ठीक है ? ” उसने आँखे खोली पर कोई जवाब नहीं दिया, मेने उनसे कहा चलो बाबा चल के साइड मे बैठो, और एक और रहागीर की मदद से उस बुजर्ग को सामने माला वालो के चबूतरे पर बिठाया ।
वंही से मेने 108 एम्बुलैंस को फ़ोन लगाया, जन्हा से मुझे मदार गेट थाने में कनेक्ट किया गया, मेने उन्हें बतया की कोई बुजुर्ग है जो की सड़क पर गिरा पड़ा है और बीमार है पूरी तरह से गीला है, उन्हें अस्पताल ले कर जाना है, उन्होंने पूछा अस्पताल कौन जायेगा उनके साथ, मेने कहा में जायूँगा, उन्होंने ठीक है कह के फ़ोन काट दिया, मेने उस दूसरे रहगीर को उन्हें संभालने का कह कर सामने हलवाई से जा कर एक कुलड़ दूछ ला कर बाबा को पिलाया । कुछ ही देर मे मदार गेट थाने से दो पुलिस वाले आ गए और उनको और ट्रैफिक पुलिस वालो को मेने खूब खरी खोटी सुनाई उसके बाद जा कर एक पुलिस वाले ने एक ऑटो को रोक कर उसमे बाबा को बिठाया और एक पुलिस वाले को उनके साथ बिठा के उसे अस्पताल भेज दिया ,
दोस्तों ये पोस्ट मै इसलिए पोस्ट कर रहा हूँ , ताकि आप लोग भी अगर इस तरह किसी को देखे तो जरूर मदद करे , वंहा पर खड़े लोगो की तरह सिर्फ तमाशा न देखे, हो सकता है कल को उस बाबा की जगह आप का कोई अपना भी हो सकता है , सोचिये अगर उस समय भी लोग सिर्फ खड़े हो के तमाशा देखते रहे तो आप पर क्या बीतेगी ? जो काम मेने किया वो कोई भी वंहा खड़ा आदमी कर सकता था .
महेश नेभवानी

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