रिसर्जेंट राजस्थान समिट के आखिरी दिन का एक मजेदार वाकया बार-बार खूब गुदगुदाता रहा। खबर लिखने में रिस्क दिखा तो इसी मंच से शेयर करना मुनासिब समझा। दोपहर का वक्त था। मीडिया सेंटर के पीछे कतारबद्ध बने टॉयलेट के अंदर से बार-बार मोबाइल पर अजीब सी फुसफुहाहट होती रही। मजेदार और चौंकाने वाला यह रहा कि हर बार डिमांड बिसलेरी बॉटल्स की ही होती रहीं। यह सिलसिला बार-बार चला।
इधर बिसलेरी की बॉटल्स की बाहर खेप आते ही धड़ाधड़ खत्म होती रही। कुछ देर बाद माजरा समझ आ गया….टंकियां जवाब दे गई थीं। स्टार होटलों में आम तौर पर वक्त गुजारने वाले लोग टॉयलेट में ऐसे फंसे की चाहकर भी मदद नहीं ले सकते। बुरे तो वे फंसे जिन्हें fresh होने के बाद dry day का पता लगा। अब क्या हर कोई अंदर से मोबाइल पर अपने अजीज मित्रों को फोन लगाकर कहता…….यार एक बोटल लेकर नंबर 1, 2, 3 टॉयलेट पर आ। सामने वाला मासूमियत से सवाल भी पूछता–पानी तो यही आकर पी लेना। जब सामने से दुबारा गुस्सेभरी फुसफुसाहट होती रही तो हंसी के फव्वारे भी खूब फूटे। करीब सौ से डेढ़ सौ बोटल्स आज इसी तरह टॉयलेट के हवाले हो गई। एक मित्र ने कहा-वाह रे रिसर्जेंट राजस्थान। जहां पीने के पानी का संकट, वहां टॉयलेट में खूब खपी ये बिसलेरी…..।
अटकी साँसों से लोट-पोट वे भी हुए जो बिसलेरी के यूं इस्तेमाल में कामयाब रहे।
Madan Kalal, facebook wall