क्या है नागालैंड की खबर का सच?

questionनागालेंड को लेकर सोशल मीडिया पर एक खबर इन दिनों सोशल मीडिया पर चल रही है। सच्चाई क्या है, पता नहीं, मगर उसका खंडन भी सोशल मीडिया पर है। दोनो ही पक्ष आपके सामने हैं:-

नागालैंड का अलग झंडा और पासपोर्ट :-

आखिरकार अब बात सामने आ ही गयी कि प्रधान सेवक उर्फ चौकीदार ने नागालैंड के एनएससीएन यानी नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के साथ शांति समझौते पर 3 अगस्त 2015 को क्या हस्ताक्षर किए थे । प्रधानमंत्री के आवास पर रक्षामंत्री, गृहमंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की मौजूदगी में इस शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

ध्यान रखें कि प्रधानमंत्री ने इस समझौते को होने के पहले ही सुबह सुबह ट्विट करके देश को किसी खुशखबरी के लिए इंतजार करने को कहा था।

अब नागालैंड का अलग झंडा और अलग पासपोर्ट होगा , नागा नेताओं की मांग थी कि नागा को अलग झंडा और अलग पासपोर्ट जारी करने की अनुमति दी जाए और ये मांग भारत सरकार ने मान ली।

http://eclecticnortheast.in/separate-passport-and-flag-for-nagas-approved-by-goi/

इंडो-नागा मुद्दे के समाधान के इस तरीक़े पर आपको आश्चर्य हो सकता है लेकिन नागा समूह का अब अपना अलग पासपोर्ट होगा और साथ ही झंडा भी अलग होगा। काश्मीर का अपना पासपोर्ट नहीं इसलिए नागालैंड को काश्मीर से अधिक अधिकार दे दिए गये हैं कि भविष्य में वह भारत से अलग होने में परेशानी का सामना ना करना पड़े ।

काश्मीर के मुद्दे पर खानदानी रोना रोने वाली यह मोदी सरकार बंगलादेश को भारत की तमाम जमीन देनें के बाद देश के ही एक हिस्से में अलग झंडे और पासपोर्ट की अनुमति दे चुकी है , यह है 56″ के सीने का नपुंसक चरित्र।

भक्तों तालियाँ बजाओ भारत अखंड हो रहा है और क्युँकि तुम्हारे हृदय में मुसलमानों के लिए इतनी नफरत भर दी गयी है कि देश की संप्रभुता और तिरंगे के विकल्प का तुम्हारे लिए कोई मायने नहीं होगा।

http://timesmedia24.com/hindi/the-governments-decision-will-land-in-the-nagaland-nagas-gave-permission-to-separate-passport/

मैं देश नहीं बंटने दूंगा ????
(पोस्ट-श्री निलेश शेवगांवकर)

नागालैंड एकॉर्ड की खबर की सच्चाई

कल से पूरे सोशल मीडिया पर एक खबर चलाई जा रही है की केंद्र सरकार ने नागालैंड को नया झंडा और संविधान इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है। इसके अलावा एक शिगूफा और छोड़ा गया की नागालैंड के नागरिकों को भी 2 पासपोर्ट (एक भारतीय और एक नागा पासपोर्ट) रखने की इजाज़त दे दी गयी है !

फिर क्या था, आमी,कामी,वामी,लकड़बग्घे और ना जाने कौन कौन पिल पड़े सरकार पे।

क्या यही है 56 इंच की छाती?
क्या यही हैं अच्छे दिन?
वगैरह वगैरह ??

लेकिन किसी ने भी ना तथ्य जानने की कोशिश की,और ना ये देखा की खबर की वैद्यता कितनी है।

पेश है इस खबर का पोस्टमार्टम ?
* नागालैंड में अलग अलग ग्रुप हैं जो आजादी के बाद से ही एक अलग देश ‘नागालिम’ का गठन चाहते थे। इसके लिए इन्होंने सशस्त्र अभियान भी चलाया हुआ था जिसमे हजारो लोगो और सेना के जवानो को जान से हाथ धोना पड़ा।
* इन अलग अलग ग्रुप्स की मांगे थी अलग देश,अलग संविधान,झंडे और अलग पहचान की।
* इस समस्या को सुलझाने के लिए अलग अलग सरकारो ने प्रयास किये, अटल सरकार इस समस्या को सुलझाने के बहुत करीब थी। लेकिन अटल सरकार के जाने के बाद इस मुद्दे को ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया। मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो यह मुद्दा उनके लिए प्राथमिक मुद्दा था।
* अगस्त 2015 में भारत सरकार को इस मुद्दे पे सफलता मिली और नागा ग्रुप के साथ समन्वय बना और नागा एकॉर्ड तैयार हुआ।
* इस एकॉर्ड की ज्यादा डिटेल्स पब्लिक डोमेन में नहीं है, लेकिन एक बात जो पता चल पायी है वो यह है की मोदी सरकार ने अलग झंडे,अलग संविधान और पासपोर्ट की मांग को सिरे से खारिज कर दिया था।

अब आते हैं वर्तमान पर ?
पिछले 2 दिनों से, सोशल मीडिया पे कुछ अवैध पोर्टल्स और अविश्वसनीय वेबसाइट्स और 1 मीडिया ग्रुप(इंडियन एक्सप्रेस) ने यह खबर उड़ाई की भारत सरकार ने नागा ग्रुप्स की यह मांगे मान ली हैं।

हमने इस खबर की पड़ताल की तो निम्न तथ्य मिले।
* किसी भी विश्वसनीय समाचार के माध्यम से ऐसी कोई खबर नहीं मिली।
* इस खबर में अगस्त 2015 के नागा एकॉर्ड का ही रिफरेन्स दिया गया है। मतलब 1 साल पुरानी कथित खबर को ही आज वापस से परोस रहे हैं ?
* यहां यह महत्वपूर्ण हो जाता है की अगर मोदी सरकार ने अगस्त 2015 में ऐसा कोई कदम उठाया होता तो क्या आपको लगता है की opposition और मीडिया उन्हें छोड़ देता? यहां 10000 के सूट पे 2 साल बवाल काटा है लोगो ने, अगर नागा ग्रुप्स की यह मांग मानने की गलती मोदी करते तो शायद अब तक तो आसमान सर पे खड़ा कर दिया जाता ?
* हमने इस खबर के पैटर्न्स को देखा। शब्द से शब्द मिलाया और पाया की 2 दिन पहले की खबर को अगस्त,सितम्बर 2015 में भी चलाया गया। और आश्चर्य की बात है की यही खबर 2005 की डेट्स में भी पायी गयी है। हैडलाइन भी वही, खबर भी वही, एक शब्द भी इधर का उधर नहीं ?

तो कुल मिलाकर इन सबसे यह साबित होता है की यह काम कुछ मीडिया ग्रुप्स और राजनीतिक पार्टियों की सोशल मीडिया टीम्स का है। यह सीधा सीधा लांछन लगाने का काम है, जिसमे अब कुछ कथित राष्ट्रवादी भी उछल उछल के मजे ले रहे हैं।

आप लोगो को शायद पता नहीं होगा, नागालैंड में पासपोर्ट ऑफिस नहीं था….लोगो को गुवाहाटी या कोलकाता आना पड़ता था पासपोर्ट बनवाने।

अगर मोदी ने कुछ किया है तो वो यह की इस साल जनवरी में नागालैंड में नया पासपोर्ट सेवा केंद्र खुलवा दिया है, जिसका उद्घाटन मंत्री रिटायर्ड जनरल श्री वी. के. सिंह जी ने किया था।

और वहां नागालैंड वासियो के लिए भारतीय पासपोर्ट ही बनते हैं, अशोक स्तम्भ के ठप्पे वाले ?

सो दिखावो पे ना जाओ, अपनी अक़्ल लगाओ दोस्तों ??

error: Content is protected !!