आखिरकार स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने पेटीएम और अन्य मोबाइल वॉलेट में नेट बैंकिंग से पैसे डालना प्रतिबंधित कर दिया ……………..
अब शायद उन अंधे लोगों को समझ मे आये जो अब तक पेटीएम के समर्थन मे ये तर्क देते आये है कि आप कोई अन्य दूसरी ऐप्प क्यों नहीं इस्तेमाल कर लेते और पेटीएम से कोई फर्क नहीं पड़ता…………….
स्टेट बैंक ने यह कदम उठा कर साबित कर दिया कि पेटीएम अब भारतीय बैंकों के लिए खतरा बन गया है और उसके कारोबारी और सुरक्षा हित बुरी तरह से प्रभावित हो रहे है…………..
लेकिन आप यह जानकर आश्चर्य करेंगे क़ि सरकार इस मामले मे पूरी तरह पेटीएम के साथ खड़ी नजर आ रही है सरकार ने पहले तो पेटीएम को पेमेंट बैंक बनाने की अनुमति दे दी और उसकी हर मनमानी पर मुहर लगा दी………………
दरअसल ये जो निर्णय स्टेट बैंक को लेना पड़ा है उसकी एक बेहद खास वजह है जो छुपाई जा रही है …………….
वास्तव मे सरकार ने UPI यानि यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस से पेटीएम को जोड़ दिया है, और यह सिस्टम मूलतः नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ़ इंडिया ने डेवलप किया जो बैंक अकाउंट से मोबाइल बैंकिंग को सरल बनाने के लिए बनाया है, अब किसी प्राइवेट कंपनी को इस सिस्टम से क्यों जोड़ा गया इसके क्या मायने निकाले जाये विद्वान पाठक स्वयं समझ सकते है………………….
पेटीएम के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नितिन मिश्रा ने कहा, “हमने अपनी भुगतान प्रणाली और यूपीआई के बीच गहरा एकीकरण लागू किया है। इससे सिर्फ उपभोक्ताओं को सिर्फ अपने पेटीएम वॉलेट में पैसे डालने में ही नहीं, बल्कि यह हमारे आगामी बैंक भुगतान के लिए एक मजबूत नींव के रूप में कार्य करेगा।”………….
पेटीएम ने यह सिस्टम ऐसा डिज़ाइन किया है कि आपको बस एक बार अकाउंट की जानकारी फीड करनी है और बेहद आसानी से आप उसमे से कितने ही बार पैसा निकाल सकते है, यह कदम स्टेट बैंक को बहुत नागवार गुजरा है………………
मतलब साफ है कि एक प्राइवेट कम्पनी जिसका चीन से कनेक्शन जग जाहिर है उस भारतीय बैंकिंग प्रणाली को जोड़ा जा रहा है……. और आश्चर्य तो उस बीजेपी के मातृ संगठन की खामोशी से हो रहा है जो कुछ दिनों पहले तक चीनी सामानों की होली जलाने मे विश्वास रखता था………………
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